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Last Modified: बुधवार, 19 फ़रवरी 2025 (23:32 IST)

Prayagraj Mahakumbh : बीओडी बढ़ने से स्नान के लिए असुरक्षित है संगम का पानी, सरकार के आंकड़ों से हुआ खुलासा

Prayagraj Mahakumbh : बीओडी बढ़ने से स्नान के लिए असुरक्षित है संगम का पानी, सरकार के आंकड़ों से हुआ खुलासा - Government released data on BOD in water of Ganga river
Prayagraj Mahakumbh 2025 : सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में गंगा नदी का पानी वर्तमान में स्नान के लिए असुरक्षित है क्योंकि इसमें जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) निर्धारित सीमा से अधिक है। महाकुंभ के दौरान संगम में प्रतिदिन लाखों लोग डुबकी लगा रहे हैं। बीओडी, जल की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए एक प्रमुख मापदंड है। बीओडी, जल में जैविक पदार्थों को तोड़ने के लिए एरोबिक सूक्ष्मजीवों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है। बीओडी का उच्च स्तर पानी में अधिक जैविक सामग्री को प्रदर्शित करता है।
 
यदि बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है तो नदी के पानी को स्नान के लिए उपयुक्त माना जाता है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि संगम में नदी का पानी वर्तमान में इस सीमा को पार कर रहा है। संगम में 16 जनवरी को सुबह 5 बजे बीओडी का स्तर 5.09 मिलीग्राम प्रति लीटर था। यह 18 जनवरी को शाम 5 बजे 4.6 मिलीग्राम प्रति लीटर और 19 जनवरी (बुधवार) को सुबह 8 बजे 5.29 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 13 जनवरी को जब महाकुंभ शुरू हुआ था उस वक्त संगम में बीओडी का स्तर 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर था। मकर संक्रांति (14 जनवरी) को यह बेहतर होकर 2.28 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया और 15 जनवरी को और घटकर एक मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया।
 
हालांकि 24 जनवरी को यह बढ़कर 4.08 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) को 3.26 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया। तीन फरवरी को राष्ट्रीय हरित अधिकरण को सौंपी गई रिपोर्ट में सीपीसीबी ने कहा कि प्रयागराज में अधिकांश स्थानों पर 12-13 जनवरी को निगरानी के दौरान नदी के पानी की गुणवत्ता ने स्नान के मानकों को पूरा नहीं किया।
सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि उसके बाद, ऊपरी स्थानों पर ताजा पानी के प्रवेश के कारण जैविक प्रदूषण (बीओडी के संदर्भ में) कम होने लगा। रिपोर्ट के अनुसार, 13 जनवरी 2025 के बाद, 19 जनवरी 2025 को गंगा नदी पर लॉर्ड कर्जन पुल के नीचे के स्थान को छोड़कर नदी के पानी की गुणवत्ता बीओडी के संबंध में स्नान के मानदंडों के अनुरूप है।
 
उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार, गंगा में 10,000 से 11,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है ताकि यह स्नान के मानकों को पूरा करे। महाकुंभ 26 फरवरी को महा शिवरात्रि के दिन समाप्त हो जाएगा। अब तक 54 करोड़ से अधिक लोग त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं।
 
महाकुंभ नगर दुनिया का सबसे बड़ा अस्थाई शहर है, जहां हर समय 50 लाख से 1 करोड़ श्रद्धालु मौजूद रहते हैं। ये तीर्थयात्री प्रतिदिन कम से कम 1.6 करोड़ लीटर मल-जल तथा खाना पकाने, कपड़े धोने और स्नान करने जैसी गतिविधियों से 24 करोड़ लीटर ग्रेवॉटर (घरेलू कार्यों का अपशिष्ट जल) उत्पन्न करते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने रविवार को बताया कि 2019 के अर्धकुंभ के बाद से नदी के पानी की गुणवत्ता और स्वच्छता में सुधार करने में सरकार की सफलता के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, 2019 से पहले कुंभ में शौचालय नहीं होते थे।
 
अधिकारी लाल झंडा लगाकर एक क्षेत्र निर्धारित करते थे, तंबू उपलब्ध कराते थे और खुले में शौच किया जाता था। सिंह ने कहा, 2019 में पहली बार हमने 1.14 लाख शौचालय बनाए, जिनके नीचे प्लास्टिक के टैंक लगाए गए, ताकि अपशिष्ट जल-मल एकत्र किया जा सके।
 
उन्होंने कहा कि हर दो-तीन दिन में मल-जल को बाहर निकाला जाता है और उसे दूर खुले ऑक्सीकरण तालाबों में ले जाया जाता है। उन्होंने कहा, इस बार हमने 1.5 लाख शौचालय और दो मल-जल शोधन संयंत्र बनाए हैं। सिंह ने कहा कि मल-जल शोधन के लिए 200 किलोमीटर लंबा अस्थाई जल निकासी नेटवर्क स्थापित किया गया है।
 
अखिलेश यादव ने लगाया महाकुंभ के खराब प्रबंधन का आरोप : समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर प्रयागराज में महाकुंभ के खराब प्रबंधन का आरोप लगाया। यादव ने महाकुंभ के दौरान भगदड़, यातायात जाम और पानी की खराब गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, महाकुंभ के खिलाफ कोई नहीं है, लेकिन सरकार ने लोगों को आमंत्रित किया और दावा किया कि उसने 100 करोड़ लोगों के लिए आयोजन की व्यवस्था की है।
 
अगर ऐसा है तो सवाल यह है कि भगदड़ कैसे हुई? यातायात जाम कैसे हुआ? लोग घंटों तक वाहनों में फंसे रहे। सड़क हादसों में श्रद्धालुओं की मौत हो गई। यह आयोजन के खराब प्रबंधन को दिखाता है। यादव ने संगम में पानी की गुणवत्ता के बारे में भी चिंता जताई और कहा, सरकार श्रद्धालुओं की मदद क्यों नहीं करती? और उन्होंने पानी की वास्तविक स्थिति क्यों छिपाई? पानी की गुणवत्ता के मापदंड क्या हैं?
उन्होंने संगम के पानी में मानव मल के जीवाणु पाए जाने की खबरों की तरफ इशारा करते हुए कहा, ये बैक्टीरिया कहां से आते हैं? शायद मुख्यमंत्री को भी नहीं पता है। अगर उन्हें पता होता तो वह खुद उस पानी में स्नान नहीं करते। यादव ने कहा, मैं मांग करता हूं कि सरकार उन श्रद्धालुओं के परिवारों को सहायता प्रदान करे जिन्होंने अपनी जान गंवाई है और संगम में डुबकी लगाने के बाद बीमार हुए लोगों के लिए चिकित्सा उपचार की व्यवस्था करे।
 
सपा प्रमुख ने यह भी दावा किया कि संगम में स्नान करने के बाद कई कल्पवासी (कुंभ के दौरान लंबे समय तक रहने वाले श्रद्धालु) बीमार पड़ गए हैं। उन्होंने कहा, ऐसी खबरें आ रही हैं कि बड़ी संख्या में कल्पवासी बीमार पड़ गए हैं। उन्हें जो बीमारी हो रही है, वह नदी में डुबकी लगाने के बाद हुई है। मेरा सुझाव है कि सरकार इस मामले की गहन जांच करे।
यादव ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा इस आयोजन को लेकर बरती गई लापरवाही मौजूदा महाकुंभ तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, पिछले अर्धकुंभ में आयोजन की व्यवस्थाओं को लेकर घोटाला हुआ था। इस बार जब जांच की जाएगी, तो पता चलेगा कि स्वच्छता सुविधाएं, खासकर शौचालय के विषय मुद्दों की सूची में सबसे ऊपर होंगे। (इनपुट भाषा)
Edited By : Chetan Gour