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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 12 फ़रवरी 2025 (11:56 IST)

Prayagraj kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में किस तारीख को होगा अंतिम स्नान?

Prayagraj kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में किस तारीख को होगा अंतिम स्नान? - last snan bath of maha kumbh mela 2025
Prayagraj Kumbh Mela 2025: महाकुंभ में कुल 6 अमृत स्नान हैं। पहला पौष पूर्णिमा, दूसरा मकर संक्रांति, तीसरा मौनी अमावस्या, चौथा बसंत पंचमी, पांचवा माघ पूर्णिमा और छठा महाशिवरात्रि का स्नान। महाशिवरात्रि के दिन अंतिम अमृत स्नान होगा और इसके बाद कुंभ मेला समाप्त हो जाएगा। महाशिवरात्रि 26 फरवरी बुधवार के दिन रहेगी। इस दिन भी लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाएंगे। इस स्नान के दिन महासंयोग का निर्माण भी हो रहा है।ALSO READ: प्रयाग कुंभ से लौटने के बाद घर पर जरूर करें ये 5 कार्य तभी मिलेगा तीर्थ स्नान का लाभ
 
महाशिवरात्रि के दिन महासंयोग:
1. इस दिन चतुर्दशी तिथि के योग में बुधवार रहेगा। तिथि शिवजी की और वार गणेशजी का है।
2. इस दिन श्रवण नक्षत्र रहेगा। इस नक्षत्र के देवता भगवान विष्णु हैं।
3. इस दिन अमृत काल सुबह 07:28 से 09:00 बजे तक रहेगा।
4. इस दिन सबसे दुर्लभ शुभ योग छत्र योग रहेगा। यानी चतुर्थ से दशम भाव के बीच सभी ग्रह रहेंगे।
5. चतुर्दशी, बुधवार, श्रवण नक्षत्र, छत्र योग और महाशिवरात्रि के महासंयोग में अमृत काल में अमृत स्नान कर सकते हैं।
6. ब्रह्म मुहूर्त का स्नान प्रात: 05:09 से 05:59 के बीच होगा।
कैसे करें महाशिवरात्रि पर अंतिम स्नान?
-प्रात:काल प्रथम प्रहर में ही स्नान करना शुभ होता है। इससे प्रजापत्य का फल प्राप्त होता है।
-कुंभ में नदी स्नान में डुबकी लगाने से पूर्व तट से दूर स्नान करके शरीर को पवित्र कर लें। इसे मलापकर्षण स्नान कहा गया है। यह अमंत्रक होता है।
-मलापकर्षण करने के बाद नदी को नमन करें और फिर जल में घुटनों तक उतरें।
-इसके बाद शिखा बांधकर दोनों हाथों में पवित्री पहनकर आचमन आदी से शुद्ध होकर दाहिने हाथ में जल लेकर शास्त्रानुसार संकल्प करें।
-स्नान से पूर्व पहले पवित्री अर्थात जनेऊ को स्नान कराएं। इसके बाद शिखा खोल दें।
-इसके बाद इस मंत्र को बोलें- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
-इसके बाद  जल की ऊपरी सतह हटाकर, कान औए नाक बंद कर प्रवाह की और या सूर्य की और मुख करके जल में 5 डुबकी लगाएं। 
-डुबकी लगाने के बाद खड़े होकर जल से तर्पण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
-इसके बाद जल से बाहर निकलकर शुद्ध वस्त्र पहनें और फिर पंचदेवों की पूजा करें।