5 Shiva temples in a single row: भारत में कई प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं, जो अपनी वास्तुकला, इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत रहस्य है केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में बने शिव मंदिरों का। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके निर्माण में वास्तु, विज्ञान और वेद का भी अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
सीधी रेखा में बने मंदिर
उत्तराखंड का केदारनाथ, तेलंगाना का कालेश्वरम, आंध्रप्रदेश का कालहस्ती, तमिलनाडु का एकंबरेश्वर, चिदंबरम और रामेश्वरम मंदिरों को 79° E 4154” लॉन्गीट्यूड के भौगोलिक सीधी रेखा में बनाया गया है। यह आश्चर्य की बात है कि हजारों वर्ष पहले, जब आधुनिक तकनीक नहीं थी, इन मंदिरों को इतनी सटीकता से कैसे बनाया गया होगा।
पंच भूत का प्रतीक हैं ये 5 मंदिर
यह सभी मंदिर प्रकृति के पांच तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तत्वों को पंच भूत कहा जाता है। तिरुवनैकवल मंदिर में जल, तिरुवन्नमलई में अग्नि, कालाहस्ती में वायु, कांचीपुरम में पृथ्वी और चिदंबरम मंदिर में आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व किया गया है।
योग विज्ञान के अनुसार निर्माण
इन मंदिरों को योग विज्ञान के अनुसार बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों को एक दूसरे के साथ एक निश्चित भौगोलिक संरेखण में रखा गया है, जिसका मनुष्य के शरीर पर प्रभाव पड़ता है। इन मंदिरों का निर्माण लगभग चार हजार वर्ष पूर्व हुआ था, जब अक्षांश और देशांतर मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक उपलब्ध नहीं थी। फिर कैसे इतने सटीक रूप से पांच मंदिरों को स्थापित किया गया, यह आज भी एक रहस्य है।
रहस्यों से भरा निर्माण
केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच 2383 किमी की दूरी है, लेकिन ये सभी मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में पड़ते हैं। हजारों वर्ष पूर्व किस तकनीक का उपयोग कर इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाया गया, यह आज तक रहस्य ही है। श्रीकालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से वायु लिंग, तिरुवनिक्का मंदिर के अंदरूनी पठार में जल वसंत से जल लिंग, अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक से अग्नि लिंग, कांचीपुरम के रेत के स्वयंभू लिंग से पृथ्वी लिंग और चिदंबरम की निराकार अवस्था से आकाश तत्व का पता चलता है।
यह आश्चर्यजनक है कि ब्रह्मांड के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लिंगों को एक समान रेखा में सदियों पूर्व ही स्थापित किया गया था। हमारे पूर्वजों के ज्ञान और बुद्धिमता की हमें दाद देनी होगी कि उनके पास ऐसा विज्ञान और तकनीक था, जिसे आधुनिक विज्ञान भी नहीं भेद पाया है। माना जाता है कि केवल यह पांच मंदिर ही नहीं, बल्कि इसी रेखा में अनेक मंदिर होंगे जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में पड़ते हैं। इस रेखा को शिव शक्ति अक्ष रेखा भी कहा जाता है। बताया जाता है कि ऐसा संभव है कि यह सारे मंदिर कैलाश को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हों, जो 81.3119° ईस्ट में पड़ता है।
उज्जैन से ज्योतिर्लिंगों की दूरी के आंकड़े भी हैं आश्चर्यजनक :
उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विश्व में अलग ही ख्याति है। देश में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा 11 और ज्योतिर्लिंग है। इन सभी ज्योतिर्लिंग का उज्जैन महाकालेश्वर से दूरी के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये आंकड़े बड़े ही रोचक नजर आते हैं। जानिए अन्य ज्योतिर्लिंगों की महाकालेश्वर से दूरी।
-
सोमनाथ (गुजरात): 777 किलोमीटर
-
ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश): 111 किलोमीटर
-
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: 777 किलोमीटर
-
भीमाशंकर (महाराष्ट्र): 666 किलोमीटर
-
काशी विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश): 999 किलोमीटर
-
मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश): 1000 किलोमीटर
-
केदारनाथ (उत्तराखंड): 888 किलोमीटर
-
त्रयंबकेश्वर (महाराष्ट्र): 555 किलोमीटर
-
बैजनाथ (झारखंड): 1000 किलोमीटर
-
रामेश्वरम (तमिलनाडु): 2000 किलोमीटर
-
घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र): 555 किलोमीटर
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।