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Last Modified: शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025 (20:39 IST)

अखाड़ों का महाकुंभ से कूच, अब बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में होगी साधु-संतों की होली

प्रयागराज महाकुंभ का औपचारिक समापन महाशिवरात्रि के दिन होगा। अखाड़ों की छावनियां अभी नहीं हटेंगी

अखाड़ों का महाकुंभ से कूच, अब बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में होगी साधु-संतों की होली - Akharas leave Maha Kumbh, now Holi of saints will be celebrated in Kashi
Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ मेले का आकर्षण और सनातन परांपरा की अगुवाई करने वाले शैव अखाड़े अब तीर्थराज प्रयाग से विदा लेकर अपने अलग गंतव्य की तरफ कूच कर रहे है। शुक्रवार को कुंभ से विदाई के दौरान अखाड़ों ने अपने विधि-विधान के साथ इष्टदेव की पूजा-अर्चना करते हुए भभूत से अपना श्रृंगार किया। कुंभ 2025 से अखाड़ों ने विदा लेने से पहले अखाड़े में स्थापित धर्मध्वजा का पूजा की और परम्परा के मुताबिक कड़ी-चावल का प्रसाद वितरित किया। इस विदा बेला पर साधु-संतों को फूलों का हार पहनाकर वहां मौजूद लोगों ने आशीर्वाद लिया है।
 
144 साल बाद अद्भुत संयोग : प्रयागराज महाकुंभ में 144 साल बाद अद्भुत संयोग में 13 अखाड़ों ने अमृत स्नान (शाही स्नान) किया है। कुंभ का आखिरी अमृत स्नान बसंत पंचमी यानी 4 फरवरी को था। अंतिम शाही स्नान के बाद कुंभ मेले से अखाड़ों की धर्मध्वजा ढीली होने के साथ ही अखाड़ों का सामान हटना शुरू है गया है। शुक्रवार को समस्त शैव अखाड़ों ने पूजा करने के बाद कड़ी-पकौड़ी और चावल का भोग लगाया और भंडारा किया। ALSO READ: महाकुंभ में 40 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
 
साधु-संतों का वाराणसी कूच : अखाड़ों की परंपरा के मुताबिक नियमों का निर्वाहन करने के बाद सभी नागा साधु-संत भी कुंभ नगरी प्रयागराज से विदा और वाराणसी कूच कर गए। बाबा की नगरी काशी में यह अखाड़े होली उत्सव मनाएंगे और उसके बाद हरिद्वार चले जायेंगे और वहां रहकर आगामी उज्जैन कुंभ मेले की तैयारी शुरू कर देंगे। निरंजनी अखाड़े को विदाई देते हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी रविंद्र पुरी का विशेष स्वागत किया गया और उन्होंने वहां मौजूद सभी श्रद्धालुओं को एकता और समरसता बनाए रखने का संदेश दिया। ALSO READ: प्रयागराज महाकुंभ 2025 के बाद अगला कुंभ कौन से शहर में होगा?
 
औपचारिक समापन महाशिवरात्रि को : अखाड़ों ने कुंभ मेले में लगभग 22 दिन अपनी धूनी रमाई रखी थी, लेकिन अब अखाड़ों की धर्मध्वजा ढीली करने के बाद कुंभ मेले का आकर्षण भी आधा हो जाएगा। कुंभ मेले में मुख्य आकर्षण का केन्द्र नागा साधु होते हैं। दूर-दराज से श्रद्धालु नागा साधुओं का आशीर्वाद लेने आते हैं। अब अखाड़ों की धर्मध्वाजा ढीली होने के बाद साधु-संत विदा ले चुके हैं, लेकिन उनकी ढीली हुई धर्मध्वजा महाशिवरात्रि के बाद ही छावनी से उतारी जाएगी और औपचारिक रूप से महाशिवरात्रि के बाद कुंभ मेले का समापन होगा।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala