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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025 (15:15 IST)

प्रयागराज महाकुंभ 2025 के बाद अगला कुंभ कौन से शहर में होगा?

महाकुंभ के बाद, कितने सालों बाद मिलेगा फिर से कुंभ स्नान का पुण्य, जानिए महत्वपूर्ण तिथियां और आयोजन

Next Kumbh Mela
Next Kumbh Mela date and place : कुंभ मेला भारत का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जिसे दुनिया का सबसे विशाल समागम भी माना जाता है। कुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सनातन परंपराओं को जीवंत रखने वाला सबसे बड़ा आयोजन है। कुंभ मेले का आयोजन हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है, जहां करोड़ों श्रद्धालु, संत-महात्मा, अखाड़े और भक्तजन एकत्रित होकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस आयोजन को मोक्ष प्राप्ति और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 2025 में महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा, लेकिन इसके बाद अगला कुंभ मेला कहां और कब होगा, यह जानने का विषय है। 
 
कुंभ मेला हर 12 साल में चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित किया जाता है, हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में। इसके अलावा, हर 6 साल में अर्धकुंभ मेला और हर 144 साल में एक विशेष महाकुंभ मेला होता है। प्रत्येक कुंभ मेले का आयोजन ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के आधार पर किया जाता है, जिसमें सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
 
प्रयागराज के बाद अगला कुंभ मेला कहां और कब होगा : तीर्थराज प्रयागराज में करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं, जो देश-दुनिया के लोगों को आकर्षित कर रहा है। महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो चुकी है जो कि 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। प्रयागराज के महाकुंभ 2025 के बाद अगला पूर्ण कुंभ मेला साल 2027 में नासिक में आयोजित होगा। नासिक कुंभ का आयोजन गोदावरी नदी के पवित्र तट पर होता है, जिसे दक्षिण गंगा भी कहा जाता है। यह कुंभ मेला हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि मान्यता के अनुसार, अमृत की कुछ बूंदें यहां भी गिरी थीं। नासिक कुंभ मेले में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का विशेष महत्व होता है, और लाखों श्रद्धालु यहां स्नान कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।
 
कुंभ मेले में प्रमुख स्नान तिथियां और आयोजन
कुंभ मेले के दौरान कई महत्वपूर्ण स्नान तिथियां होती हैं, जिनमें मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि प्रमुख हैं। इन दिनों में पवित्र स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
कुंभ मेले की प्रमुख विशेषताएं :
  • नागा साधुओं का शाही स्नान
  • विभिन्न अखाड़ों की पेशवाई
  • आध्यात्मिक प्रवचन और धार्मिक अनुष्ठान
  • गंगा, यमुना, क्षिप्रा और गोदावरी में स्नान का महत्व