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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 17 जून 2025 (10:10 IST)

योगिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है इसका महत्व?

When is Yogini Ekadashi in 2025
When is Yogini Ekadashi in 2025: हिन्दू धर्म में योगिनी एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आता है। उदया तिथि के नियम के अनुसार, एकादशी तिथि का व्रत उसी दिन रखा जाता है जिस दिन सूर्योदय के समय एकादशी तिथि हो।ALSO READ: हनुमंत सदा सहायते... पढ़िए भक्तिभाव से भरे हनुमान जी पर शक्तिशाली कोट्स

चूंकि 21 जून को एकादशी तिथि सूर्योदय के समय से ही प्रारंभ हो रही है, इसलिए व्रत इसी दिन रखा जाएगा। आइए यहां जानते हैं वर्ष 2025 में योगिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें मुहूर्त और योगिनी एकादशी का महत्व....
 
योगिनी एकादशी व्रत 2025: शुभ मुहूर्त और पारण समय: 
 
इस वर्ष योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून 2025, शनिवार को रखा जाएगा।
• एकादशी तिथि प्रारंभ: 21 जून 2025 को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर।
• एकादशी तिथि समाप्त: 22 जून 2025 को सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर।
• पारण (व्रत खोलने का) समय: 22 जून 2025 को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से शाम 04 बजकर 35 मिनट तक। 
• पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय- सुबह 09 बजकर 41 मिनट पर।
 
योगिनी एकादशी का महत्व क्या है: पद्म पुराण में योगिनी एकादशी के महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह व्रत सीधे भगवान विष्णु को समर्पित है। विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से भगवान नारायण प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं। 
 
मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं, चाहे वे जाने-अनजाने में हुए हों। कहा जाता है कि इस व्रत का फल 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्यदायक होता है। इसे 'रोग नाशक एकादशी' भी कहा गया है।

यह व्रत शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है, तथा शरीर की 'योगिनी' नामक नाड़ियों को शुद्ध करने में सहायक माना जाता है, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है। इसे सभी पापों को हरने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी माना जाता है। अत: यह व्रत व्यक्ति को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है और मृत्यु के बाद उसे स्वर्गलोक में स्थान दिलाता है।

साथ ही इस व्रत करने से जीवन से दुख, दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर होता है और सुख-समृद्धि आती है तथा आत्मिक शुद्धि देने, मन को स्थिर करने और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाला यह व्रत माना गया है।

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