शनिवार, 5 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. Janaki Jayanti 2023
Written By

सीताष्टमी व्रत : जानिए जानकी प्रकट पर्व की कथा, मंत्र, मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय

सीताष्टमी व्रत : जानिए जानकी प्रकट पर्व की कथा, मंत्र, मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय - Janaki Jayanti 2023
निर्णय सिंधु पुराण के अनुसार-
फाल्गुनस्य च मासस्य कृष्णाष्टम्यां महीपते। जाता दाशरथे: पत्‍‌नी तस्मिन्नहनि जानकी॥ 
अर्थात् फाल्गुन कृष्ण अष्टमी के दिन प्रभु श्री राम की पत्नी जनकनंदिनी प्रकट हुई थीं। इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमी व्रत किया जाता है। 
 
महाराज जनक की पुत्री विवाह पूर्व महाशक्तिस्वरूपा थी। माता सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के साथ हुआ था। विवाह पश्चात वे राजा दशरथ की संस्कारी बहू और वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम के कर्तव्यों का पूरी तरह पालन किया। माता सीता एक आदर्श पत्नी मानी जाती है। अपने दोनों पुत्रों लव-कुश को वाल्मीकि के आश्रम में अच्छे संस्कार देकर उन्हें तेजस्वी बनाया। इसीलिए माता सीता भगवान श्री राम की श्री शक्ति है। 
 
इसीलिए फाल्गुन कृष्ण अष्टमी का व्रत रखकर सुखद दांपत्य जीवन की कामना की जाती है। सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत एक आदर्श पत्नी और सीता जैसे गुण हमें भी प्राप्त हो इसी भाव के साथ रखा जाता है। शादी योग्य युवतियां भी यह व्रत कर सकती है, जिससे वह एक आदर्श पत्नी बन सकें।

जानकी प्रकटोत्सव के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर माता सीता की पूजा करती हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है एवं श्री राम-सीता का विधिपूर्वक पूजन करता है, उसे सोलह महान दानों का फल, पृथ्वी दान तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल प्राप्त होता है।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन कृष्ण अष्टमी तिथि को माता सीता धरती पर अवतरित हुए थी। इसीलिए इस दिन श्री जानकी जयंती (Janaki Jayanti 2023) या सीता जयंती पर्व मनाया जाता है। इस बार सीताष्टमी व्रत का आरंभ 13 फरवरी 2023 से हो रहा है, लेकिन उदया तिथि के अनुसार सीताष्टमी/जानकी जयंती 14 फरवरी को ही मनाई जाएगी। 
 
1. कथा-Birth Story of mata janaki 
वाल्मिकी रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक धरती जोतने लगे। 
 
तभी उन्हें धरती में से सोने की खूबसूरत संदूक में एक सुंदर कन्या मिली। राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उस कन्या को हाथों में लेकर उन्हें पिता प्रेम की अनुभूति हुई। राजा जनक ने उस कन्या को सीता नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया। 
 
2. कथा- Goddess Sita Story 
 
माता सीता के जन्म से जुड़ी एक और कथा प्रचलित है जिसके अनुसार कहा जाता है कि माता सीता लंकापति रावण और मंदोदरी की पुत्री थी। इस कथा के अनुसार सीता जी वेदवती नाम की एक स्त्री का पुनर्जन्म थी। वेदवती विष्णु जी की परमभक्त थी और वह उन्हें पति के रूप में पाना चाहती थी। इसलिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए वेदवती ने कठोर तपस्या की। 
 
कहा जाता है कि एक दिन रावण वहां से निकल रहा था जहां वेदवती तपस्या कर रही थी और वेदवती की सुंदरता को देखकर रावण उस पर मोहित हो गया। रावण ने वेदवती को अपने साथ चलने के लिए कहा लेकिन वेदवती ने साथ जाने से इंकार कर दिया। वेदवती के मना करने पर रावण को क्रोध आ गया और उसने वेदवती के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा रावण के स्पर्श करते ही वेदवती ने खुद को भस्म कर लिया और रावण को श्राप दिया कि वह रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेंगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेंगी। 
 
कुछ समय बाद मंदोदरी ने एक कन्या को जन्म दिया। लेकिन वेदवती के श्राप से भयभीत रावण ने जन्म लेते ही उस कन्या को सागर में फेंक दिया। जिसके बाद सागर की देवी वरुणी ने उस कन्या को धरती की देवी पृथ्वी को सौंप दिया और पृथ्वी ने उस कन्या को राजा जनक और माता सुनैना को सौंप दिया।
 
जिसके बाद राजा जनक ने सीता का पालन पोषण किया और उनका विवाह श्रीराम के साथ संपन्न कराया। फिर वनवास के दौरान रावण ने सीता का अपहरण किया जिसके कारण श्रीराम ने रावण का वध किया और इस तरह से सीता रावण के वध का कारण बनीं। 
 
मंत्र-Janaki Jayanti Mantra 
 
- श्रीरामचन्द्राय नम:।
- श्री रामाय नम:।
- श्री सीतायै नम:।
- श्री सीतायै नम:।
- ॐ जानकीवल्लभाय नमः।
- श्रीसीता-रामाय नम:। 
 
पूजा विधि- 
 
- फाल्गुन कृष्ण अष्टमी तिथि यानी सीताष्टमी के दिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान के प‍श्चात माता सीता तथा भगवान श्री राम की पूजा करें।
- राम-सीता की प्रतिमा पर श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
- श्री राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र पहनाएं। 
- इस दिन राम-सीता की संयुक्त रूप से पूजन करें। 
- तत्पश्चात आरती करें। 
- माता जानकी की जन्म कथा पढ़ें। 
- श्री राम तथा माता जानकी के मंत्रों का जाप करें। 
- दूध-गुड़ से बने व्यंजन बनाएं और दान करें।
- शाम को पूजा करने के बाद इसी व्यंजन से व्रत खोलें। 
 
सीताष्‍टमी के शुभ मुहूर्त- 
 
जानकी जयंती/सीताष्‍टमी : 14 फरवरी 2023
फाल्गुन कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 13 फरवरी 2023 को 09.45 ए एम से शुरू।
अष्टमी तिथि का समापन- 14 फरवरी 2023 को 09.04 ए एम पर। 
 
दिन का चौघड़िया
चर- 09.48 ए एम से 11.12 ए एम
लाभ- 11.12 ए एम से 12.35 पी एम
अमृत- 12.35 पी एम से 01.59 पी एम
शुभ- 03.23 पी एम से 04.47 पी एम।
 
रात्रि का चौघड़िया
लाभ- 07.46 पी एम से 09.23 पी एमकाल रात्रि
शुभ- 10.59 पी एम से 12.35 ए एम, 15 फरवरी तक।
अमृत- 12.35 ए एम से 02.11 ए एम, 15 फरवरी तक।
चर- 02.11 ए एम से 03.47 ए एम, 15 फरवरी तक।
 
उपाय-
- सीता जयंती पर राम-सीता के पूजन से पति की आयु लंबी होती है। 
- सीताष्टमी व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं के वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होती हैं।
- अगर कोई खास मनोकामना पूर्ण नहीं हो रही हो तो सीताष्टमी के दिन रुद्राक्ष की माला से 'ॐ जानकी रामाभ्यां नमः' मंत्र का 1, 5, 11 या 21 माला का जाप करें। 
- जानकी जयंती के दिन सीता-राम जी का एक साथ पूजन करके माता सीता की मांग में 7 बार सिंदूर लगाएं और वहीं सिंदूर हर बार अपनी मांग में लगाएं, इससे वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है।
- यदि किसी कन्या की शादी में अड़चनें आ रही हैं गंगा या तुलसी के पेड़ की मिट्टी लेकर राम-सीता की प्रतिमा बनाकर उसका पूजन करके सुहाग सामग्री चढ़ाकर अच्छे वर की प्रार्थना करें। 
- जानकी जयंती के दिन राम-सीता की एक तस्वीर घर के पूजा स्थान में लाकर रखें तथा उसका प्रतिदिन पूजन करें। इस उपाय से पति-पत्नी के बीच चल रहा कलह दूर होकर मधुर संबंध बनेंगे।  

ये भी पढ़ें
क्या आप जानते हैं माता सीता का जन्म कैसे हुआ, पढ़ें कहानी