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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 18 अगस्त 2025 (17:04 IST)

अजा जया एकादशी व्रत रखने का महत्व और पारण का समय

Bhadrapada Month Aja Ekadashi in Hindi
Ekadashi significance: अजा एकादशी का व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में किया जाता है। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत राजा हरिश्चंद्र की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2025 में यह व्रत 19 अगस्त, दिन मंगलवार को रखा जा रहा है। ALSO READ: 2025 में कब मनाई जाएगी अपरा एकादशी, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 
अजा एकादशी व्रत का महत्व : इस एकादशी व्रत का महत्व जानें तो यह एकादशी सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के वर्तमान और पूर्व जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अजा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। यह व्रत करने वाले व्यक्ति को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और अंत में वह वैकुंठ लोक को जाता है।
 
अजा एकादशी की पूजा विधि: अजा एकादशी का व्रत दशमी तिथि (व्रत के एक दिन पहले) से शुरू होता है। इस दिन कुछ नियमों का पालन करना ज़रूरी है।
• दशमी तिथि (एक दिन पहले): शाम को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
• एकादशी तिथि (व्रत का दिन):
1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
3. एक घी का दीपक जलाएं और भगवान को पीले फूल, चंदन और तुलसी दल अर्पित करें।
4. पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और गंगाजल का मिश्रण) से भगवान का अभिषेक करें और उन्हें भोग लगाएं। भोग में तुलसी पत्र ज़रूर रखें।
5. 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करें।
6. अजा एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
7. अंत में, आरती करें और प्रसाद सभी में बाँटें।
8. पूरे दिन व्रत रखें और अगर संभव हो तो रात में जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन करें।
• द्वादशी तिथि (व्रत के अगले दिन):
1. सुबह स्नान करने के बाद, भगवान विष्णु की पूजा करें।
2. किसी ब्राह्मण को भोजन करवाएं और दान दें।
3. इसके बाद, शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण (व्रत खोलना) करें।ALSO READ: अजा एकादशी व्रत कथा – पढ़ें और पुण्य पाएं
 
अजा एकादशी: 19 अगस्त 2025, शुभ मुहूर्त और पारण समय:
- भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि 18 अगस्त 2025 शाम 05 बजकर 22 मिनट से शुरू, 
- समापन 19 अगस्त 2025, दोपहर 03 बजकर 32 मिनट पर। 
- उदया तिथि के अनुसार 19 अगस्त को व्रत रखा जाएगा।
- व्रत तोड़ने/ पारण का समय: व्रत या पारण का शुभ समय- 20 अगस्त को सुबह 06 बजकर 21 मिनट से 08 बजकर 53 मिनट।
पारण के दिन द्वादशी का समापन समय- दोपहर 01 बजकर 58 मिनट पर। 
 
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