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Last Modified: गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021 (18:04 IST)

शारदीय नवरात्रि 2021 : इस पर्व पर क्या करें और क्या नहीं तो होगा बहुत ही शुभ

शारदीय नवरात्रि 2021 : इस पर्व पर क्या करें और क्या नहीं तो होगा बहुत ही शुभ - Navratri me kya kare aur kya nahin
शादीय नवरात्रि के पर्व पर कई तरह के नियमों का पालन करना होता है। इन 9 दिनों में माता को प्रसन्न रखने के लिए बहुत कुछ त्यागना होता है और कई सावधानियां भी बरतना होती है। आओ जानते हैं कि नवरात्रि में क्या-क्या नहीं करना चाहिए, नवरात्रि में किन-किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए और नवरात्रि में क्या करें और क्या नहीं जिससे सब शुभ ही शुभ हो।
 
 
क्या करें : 
 
1. मूर्ति, घट और कलश सहित अखंड ज्योति की प्रतिदिन पूजा और आराधना विधिवत रूप में करें और माता को भोग लगाएं।
 
2. कई लोग अपने घरों में माता का जागरण रखते हैं और भजन कीर्तन करते हैं।
 
3. पूरे नौ दिन व्रत रखा जाता है। इसमें अधिकतर लोग एक समय ही भोजन करते हैं। प्रतिदिन दुर्गा चालीसा, चंडी पाठ या दुर्ग सप्तशती का पाठ करते हैं।
 
4. जब व्रत के समापन पर उद्यापन किया जाता है तब कन्या भोज कराया जाता है।
 
5. कई लोगों के यहां सप्तमी, अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का समापन होता है तब अंतिम दिन हवन किया जाता है।
 
6. अंतिम दिन के बाद अर्थात नवमी के बाद माता की प्रतिमा और जवारे का विसर्जन किया जाता है। सप्तमी, अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का पारण कर रहे हैं तो व्रत का उद्यापन करूर करें और नौ कन्याओं को भोजन करा कर उन्हें दक्षिणा देना चाहिए। तभी व्रत का फल मिलता है।
 
क्या नहीं करें :
 
1. इन नौ दिनों यात्रा, सहवास, वार्ता, गालीबकना, झूठ बोलना, क्रोध करना, गुटका, पान, मद्यपान, मांस-भक्षण और मसालेदार भोजन आदि कार्य नहीं करना चाहिए। व्रत में बार बार जल पीने से भी बचना चाहिए। इन नौ दिनों में काम, क्रोध, मद, लोभ जैसे मानसिक विकार मन में नहीं लाना चाहिए।
 
2. इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार से किसी महिला या कन्या का अपमान न करें।
 
3. अधिकतर लोग 2 समय खूब फरियाली खाकर उपवास करते हैं। ऐसा करने से व्रत का फल नहीं मिलता है। उपवास को उपवास के तरीके से ही करना चाहिए।
 
4. अशौच अवस्था में व्रत नहीं करना चाहिए। जिसकी शारीरिक स्थिति ठीक न हो व्रत करने से उत्तेजना बढ़े और व्रत रखने पर व्रत भंग होने की संभावना हो उसे व्रत नहीं करना चाहिए। रजस्वरा स्त्री को भी व्रत नहीं रखना चाहिए। यदि कहीं पर जरूरी यात्रा करनी हो तब भी व्रत रखना जरूरी नहीं है। युद्ध के जैसी स्थिति में भी व्रत त्याज्य है।
 
5. व्रत को बीच में ही तोड़ना नहीं चाहिए। यदि कोई गंभीर बात हो तो ही मता से क्षमा मांगकर ही व्रत तोड़ा जा सकता है।
 
6. अधोपवास अर्थात यदि एक समय भोजन करने का व्रत ले रखा है तो यह भी जानना जरूरी है कि भोजन में क्या खान और क्या नहीं खाना चाहिए। जैसे नवमी के दिन लौकी नहीं खाते हैं। मन से ही कुछ भी नहीं खाना या छोड़ना चाहिए।
 
7. मनमाने व्रत या संकल्प नहीं लेना चाहिए। जो शास्त्र सम्मत हो वही कार्य करना चाहिए।