Shardiya navratri ashtami havan 2025: शारदीय नवरात्रि में अष्टमी या नवमी के दिन हवन करने का विशेष महत्व है। यह हवन, नौ दिनों की पूजा का समापन और देवी दुर्गा को धन्यवाद देने का एक तरीका है। कई घरों में अष्टमी के दिन हवन होता है, खासकर जब इसी दिन कन्या पूजन और पारण किया जाता है। अष्टमी को संधि पूजा का भी महत्व है, जिसमें अष्टमी और नवमी दोनों की पूजा एक साथ हो जाती है। इस वर्ष 30 सितंबर, 2025 को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। इस लेख में, हम आपको घर पर हवन करने की सरल विधि और आवश्यक सामग्री के बारे में विस्तार से बताएंगे।
हवन के लिए आवश्यक सामग्री:
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हवन शुरू करने से पहले, सभी सामग्री एकत्रित कर लेना महत्वपूर्ण है।
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हवन कुंड और अग्नि के लिए:
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हवन कुंड (बाजार में उपलब्ध या 8 ईंटों से बना हुआ)।
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आम की लकड़ी या समिधा।
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कपूर और माचिस।
हवन सामग्री (आहुति के लिए):
हवन सामग्री: बाजार में तैयार हवन सामग्री मिलती है।
नवग्रह की समिधा: नौ ग्रहों के लिए नौ अलग-अलग समिधा (जैसे आक, गूलर, पलाश, शमी, पीपल, आदि) का उपयोग किया जाता है।
मुख्य सामग्री: चावल, तिल, जौ, सूखा नारियल (गोला), जौ, चीनी या बूरा।
मेवे और फल: घी, शहद, सुपारी, पान, इलायची, लौंग, कमलगट्टा।
अन्य सामग्री: गुड़, सिंदूर, लाल कपड़ा, जनेऊ, कलावा (मौली), प्रसाद के लिए मिठाई।
अष्टमी पर हवन करने की सरल विधि
स्थान की तैयारी: सबसे पहले, घर में एक साफ जगह का चुनाव करें। वहां हवन कुंड रखें। हवन कुंड के चारों ओर स्वास्तिक बनाएं और उस पर कलावा बांधें।
अग्नि प्रज्वलन: हवन कुंड में आम की लकड़ी रखें। उस पर थोड़ा कपूर और घी डालकर माचिस से अग्नि प्रज्वलित करें।
आह्वान और संकल्प: धूप-दीप जलाएं। हाथ में जल लेकर हवन का संकल्प करें कि आप यह हवन किस उद्देश्य से कर रहे हैं।
मंत्रों के साथ आहुति: अब, नीचे दिए गए मंत्रों के साथ हवन कुंड में सामग्री की आहुति दें:
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सबसे पहले 'ॐ आग्नेय नम: स्वाहा' और 'ॐ गणेशाय नम: स्वाहा' मंत्र से शुरुआत करें।
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इसके बाद नवग्रहों के देवताओं के नाम से आहुति दें।
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अपने कुल देवी-देवता और स्थान देवता के नाम से आहुति दें।
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देवी दुर्गा के लिए आहुति: अब, देवी दुर्गा के विभिन्न नामों और स्वरूपों के लिए आहुति दें।
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'ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा'
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'ॐ गौरियाय नम: स्वाहा'
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'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे स्वाहा' (दुर्गा सप्तशती का मंत्र)। सप्तशती के प्रत्येक मंत्र के बाद 'स्वाहा' बोलकर आहुति दें।
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पूर्ण आहुति: हवन के अंत में पूर्ण आहुति दी जाती है।
एक नारियल लें, उसमें छेद करके सुपारी, पान, लौंग, जायफल, बताशा और अन्य प्रसाद डालें।
इस नारियल को हवन कुंड में समर्पित करते हुए 'ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते, पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते स्वाहा' मंत्र का उच्चारण करें।
समापन:
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पूर्ण आहुति के बाद, देवी के सामने अपनी यथाशक्ति दक्षिणा रखें।
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परिवार के साथ मिलकर आरती करें।
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अंत में, माता से अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा मांगते हुए अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें।
कुछ अतिरिक्त महत्वपूर्ण बातें:-
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हवन करते समय पवित्रता का ध्यान रखें।
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हवन कुंड के पास पर्याप्त पानी रखें ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
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हवन सामग्री को धीरे-धीरे और सावधानी से डालें।
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आप अपनी इच्छानुसार मंत्रों की संख्या बढ़ा सकते हैं।
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हवन के बाद बची हुई भस्म को अपने माथे पर लगाएं और घर के चारों ओर छिड़कें, यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
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हवन के धुएं से घर का वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।