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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 29 सितम्बर 2025 (09:49 IST)

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर सप्तमी की देवी कालरात्रि की कथा, मंत्र और पूजा विधि

Navratri Day 7
When is Navratri 7th day 2025: इस बार 29 सितंबर को नवरात्रि का सातवां दिन माता कालरात्रि के पूजन के रूप में मनाया जाएगा। मां कालरात्रि का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है। इस देवी के तीन नेत्र हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं। ALSO READ: Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में माता कालिका की उपासना करें या नहीं
 
ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। यानी भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं अर्थात् इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं। उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है। 
 
कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार रक्तबीज नामक राक्षस ने देवता और मनुष्य सभी त्रस्त थे। रक्तबीज राक्षस की विशेषता यह थी कि जैसे ही उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरती तो उसके जैसा एक और राक्षस पैदा हो जाता था। इस राक्षस से परेशान होकर समस्या का हल जानने सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। 
 
भगवान शिव को पता था कि इसका वध अंत में देव पार्वती ही करेंगी। भगवान शिव ने माता से अनुरोध किया। इसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति व तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब मां ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस रूप में मां पार्वती कालरात्रि कहलाई।ALSO READ: Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी के दिन करें 5 अचूक उपाय, पूरे वर्ष रहेगी खुशहाली
 
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः।
 
प्रार्थना:
दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे।
चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमोऽस्तु ते।। 
 
स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
 
कालरात्रि माता की पूजा विधि:
- नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि के पूजन के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। 
 
- अब रोली, अक्षत, दीप, धूप अर्पित करें। 
 
- मां कालरात्रि को रातरानी का फूल चढाएं।
 
- गुड़ का भोग अर्पित करें। 
 
- मां की आरती करें। 
 
- इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा तथा मंत्र जपें। 
 
- इस दिन लाल कंबल के आसन तथा लाला चंदन की माला से मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें। 
 
- अगर लाला चंदन की माला उपलब्ध न हो तो रूद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं। 
 
मां कालरात्रि देवी का प्रसाद/ भोग- नवरात्रि में सातवें नवरात्रि पर मां कालरात्रि को चीकू या गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है। अत: इस दिन चीकू और गुड़ का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान अवश्य करें।
 
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