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Written By संदीप श्रीवास्तव
Last Updated : शनिवार, 15 दिसंबर 2018 (18:50 IST)

अब योगी आदित्यनाथ ने महर्षि वाल्मीकि को बताया दलित

अब योगी आदित्यनाथ ने महर्षि वाल्मीकि को बताया दलित - Yogi Adityanath says, Maharshi Valmiki is Dalit
अयोध्या। उत्तर प्रेदश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी मुक्ति आधार राम हैं, हमारे आदर्श राम हैं और हम सबका राम से साक्षात्कार कराने वाले महर्षि वाल्मीकि ही हैं और हम उन्हीं की परंपरा को भूल जाते हैं। हम वाल्मीकि समुदाय के लोगों से छुआछूत करते हैं, यह दोहरा चरित्र जब तक रहेगा तब तक कल्याण नहीं होने वाला है। तक जब चरित्र में दोहरापन है तब तक व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता। इसलिए आचार और विचार में सौम्यता बेहद आवश्यक है।
 
अयोध्या में आयोजित समरसता कुंभ के मंच से योगी ने परोक्ष रूप से महर्षिक वाल्मीकि को दलित कहा है। इससे पहले वे हनुमानजी को भी दलित और वनवासी कह चुके हैं। सीएम योगी ने सवाल उठाया कि वेद की अधिकतर ऋचाएं किसने रचीं? आज आप कहते हैं कि महिला वेद नहीं पढ़ सकती, दलित वेद नहीं पढ़ सकता। दरअसल, वेदों ऋचाओं को रचने वाले ऋषि हैं, जिन्हें आज हम दलित कहते हैं, वे उन्हीं के पूर्वज हैं। 
 
सीएम योगी ने कहा कि वाल्मीकि समुदाय के लोगों के साथ छुआछूत की भावना है। यह दोहरा चरित्र जब तक रहेगा तब तक कल्याण नहीं होने वाला है। जिन्होंने वेदों से हम सबका साक्षात्कार कराया, उन महर्षियों को हम भूल गए, हमने उस परंपरा को भुला दिया। हम आज राहुल गांधी की तरह अपना नया गोत्र बनाने लगे तो दुर्गति तो होनी ही है। 
 
कुंभ मानवता का सबसे बड़ा मिलन स्थल : उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में कुंभ यह संदेश देता है कि धर्म और जाति का कोई भेदभाव नहीं है। पहला वैचारिक कुंभ बाबा विश्वनाथ की धरती पर सम्पन्न हुआ। दूसरा कृष्ण की धरती मथुरा में आयोजित हुआ। आज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में तीसरा कुम्भ का आयोजन हो रहा है, जिसमें इस कुम्भ से देश दुनिया को मानव कल्याण से जुड़ा हुआ यह संदेश दिया जा रहा है। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि चौथा वैचारिक कुम्भ लखनऊ और पांचवा वैचारिक कुम्भ प्रयाग में सम्पन्न होना बाकी है। हमने इसके पहले राजधानी लखनऊ में कृषि कुम्भ का आयोजन किया था। कुम्भ का मतलब यह है कि भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी लोग बराबर हैं।
 
कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए योगी ने कहा कि अब राजनीति करने वाले भी अपने को हिन्दू बताने लगे हैं, जबकि यह सनातन धर्म की विजय है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म से वास्ता न रखने वाले शबरीमाला मंदिर में जनभावनाओं का विरोध कर रहे हैं।