फेक एंबेसी चलने वाला हर्षवर्धन जैन कौन है, कितने देशों से जोड़ा नाम?
खुद को 'वेस्ट आर्कटिका', 'सबोर्गा', 'लोडोनिया' और 'पोल्विया' 'देशों' का राजनयिक बताने वाले एक ठग ने बिल्डिंग पर इन गैर मान्यता प्राप्त कथित देशों के झंडे लगे थे जिन्हें असली वाणिज्य दूतावास का आभास देने के लिए परिसर में नियमित रूप से फहराया जाता था। इसके अलावा उसके पास नीले रंग की नम्बर प्लेट वाली कई लग्जरी गाड़ियां थीं।
'वेस्ट आर्कटिका' जलवायु संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली एक गैर-सरकारी संस्था है और अंटार्कटिका में एक गैर-मान्यता प्राप्त लघु देश है। वहीं, लोडोनिया दक्षिणी स्वीडन में एक छोटा सा देश है। सबोर्गा और पोल्विया के बारे में भी ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।
नकली राजनयिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियों में घूमता था: अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश ने बताया कि जैन एक किराए के भवन से फर्जी दूतावास चला रहा था और खुद को 'वेस्ट आर्कटिका' जैसे छोटे देश और 'सबोर्गा', 'पोल्विया' और 'लोडोनिया' जैसे अस्तित्वहीन देशों का वाणिज्यदूत या राजदूत बताता था। वह रौब जमाने के लिए नकली राजनयिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियों में घूमता था।
उन्होंने बताया कि जैन ने कथित तौर पर लोगों को गुमराह करने और प्रभाव हासिल करने के लिए छेड़छाड़ कर बनवायी गयी तस्वीरों में खुद को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य प्रमुख व्यक्तियों के साथ खड़ा होने का दावा करता था। आरोपी पहले विवादास्पद धर्मगुरु चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खशोगी से भी जुड़ा था।
हर्षवर्धन के पास से क्या क्या मिला : अपर पुलिस महानिदेशक यश ने बताया कि हालांकि इस ठग की धोखाधड़ी का सिलसिला मंगलवार को रुक गया जब उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से 44.7 लाख रुपए नकद, विदेशी मुद्रा, कई जाली राजनयिक पासपोर्ट और 18 नकली राजनयिक नंबर प्लेटें, चार लग्जरी गाड़ियां, जाली पैन कार्ड और विभिन्न देशों और निजी कम्पनियों की फर्जी मुहरें तथा दो जाली प्रेस कार्ड बरामद किए गए हैं।
2011 में भी हो चुका है गिरफ्तार : एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुशील घुले ने एक बयान में कहा कि आरोपी कई देशों के राजदूतों का रूप धारण कर रहा था और लोगों को विदेश में नौकरी और संपर्क का झूठा वादा करके उन्हें लुभाता था।
उन्होंने बताया कि जैन का मुख्य उद्देश्य इन फर्जी पहचानों का इस्तेमाल दलाली करने, विदेशों में नौकरी दिलाने का दावा करने और फर्जी कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट चलाने के लिए करना था। उसे साल 2011 में भी गिरफ्तार किया गया था। तब उसके पास से एक अवैध सैटेलाइट फोन बरामद हुआ था।
edited by : Nrapendra Gupta