मणिपुर में कब तक होगा मुख्यमंत्री का चयन, क्या बोले BJP नेता
मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से एन. बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के 4 दिन बाद भी राज्य में राजनीतिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है और सत्तारूढ़ भाजपा ने अब तक नए नेता के बारे में फैसला नहीं किया है।
Manipur News: मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से एन. बीरेन सिंह (N. Biren Singh) के इस्तीफा देने के 4 दिन बाद भी राज्य में राजनीतिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है और सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) ने अब तक नए नेता के बारे में फैसला नहीं किया है। इस बीच राज्य के वन मंत्री टी. बिश्वजीत (T. Biswajit) बुधवार शाम को इंफाल से असम की राजधानी गुवाहाटी के लिए रवाना हुए और पड़ोसी राज्य की उनकी यात्रा का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और पार्टी विधायकों के बीच कई दौर की चर्चा के बावजूद गतिरोध बना हुआ है। कुछ विधायकों ने सुझाव दिया है कि अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व ले सकता है। पात्रा पिछले 2 दिन में 2 बार राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर चुके हैं।
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पात्रा ने राज्यपाल से मुलाकात की : मंगलवार को पात्रा ने पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष ए. शारदा देवी के साथ भल्ला से बातचीत की और बुधवार को उन्होंने फिर से राज्यपाल से मुलाकात की। पात्रा ने स्थिति पर चर्चा करने के लिए राज्य के उपभोक्ता मामलों के मंत्री एल. सुसिंड्रो और विधायक करम श्याम समेत भाजपा विधायकों के साथ भी बैठक की।
पत्रकारों से बात करते हुए श्याम ने कहा कि सिंह के पद छोड़ने के फैसले के बाद कोई संवैधानिक संकट नहीं है और केंद्रीय नेतृत्व विधायकों की मदद से मुद्दों को सुलझाएगा। राज्य विधानसभा के 2 सत्रों के बीच निर्धारित अधिकतम 6 महीने की अवधि समाप्त होने पर एक सवाल के जवाब में श्याम ने कहा कि देखते हैं क्या होता है। यह पूछे जाने पर कि क्या नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी, श्याम ने मुस्कुराते हुए टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
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कांग्रेस ने उठाया सवाल : इस बीच कांग्रेस विधायक थोकचोम लोकेश्वर ने पात्रा के राज्य के दौरे पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या उनका इरादा नेतृत्व संकट को हल करना है? कांग्रेस विधायक ने कहा कि पात्रा को भाजपा विधायकों के साथ चर्चा करके नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति के लिए पहल करनी चाहिए थी।
पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि उनका दौरा यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विधानसभा सत्र न हो और राज्य के मुद्दे दरकिनार रहें। अब तक उन्होंने कोई टिप्पणी भी नहीं की है। इस बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि अब तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किए जाने से भाजपा शासित मणिपुर संवैधानिक संकट की ओर बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। राज्यपाल ने 10 फरवरी से शुरू होने वाले मणिपुर विधानसभा सत्र को पहले ही अमान्य घोषित कर दिया है। राज्य में विधानसभा का अंतिम सत्र 12 अगस्त, 2024 को संपन्न हुआ था।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta