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Last Modified: बुधवार, 29 नवंबर 2023 (14:20 IST)

सुरंग में मजदूरों के 17 दिन, चट्टानों से टपकता पानी चाटा, मुरमुरे खाए

uttarkashi tunnel rescue
Uttarkashi Tunnel Rescue : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग से मंगलवार रात सुरक्षित बचाए गए 41 श्रमिकों में से एक श्रमिक अनिल बेदिया ने बताया कि हादसे के बाद उन लोगों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए चट्टानों से टपकते पानी को चाटा और शुरुआती 10 दिनों तक मुरमुरे खाकर जीवित रहे।
 
झारखंड के 22 वर्षीय श्रमिक अनिल बेदिया ने बताया कि उन्होंने 12 नवंबर को सुरंग का हिस्सा ढहने के बाद मौत को बहुत करीब से देखा। बेदिया सहित 41 श्रमिक मलबा ढहने के बाद से सुरंग में फंसे थे।
 
उन्होंने कहा कि मलबा ढहने के बाद तेज चीखों से पूरा इलाका गूंज गया। हम सब ने सोचा कि हम सुरंग के भीतर ही दफन हो जाएंगे। शुरुआती कुछ दिनों में हमने सारी उम्मीदें खो दी थीं। यह एक बुरे सपने जैसा था। हमने अपनी प्यास बुझाने के लिए चट्टानों से टपकते पानी को चाटा और पहले 10 दिनों तक मुरमुरे खाकर जीवित रहे।
 
बेदिया रांची के बाहरी इलाके खिराबेड़ा गांव के रहने वाले हैं, जहां से कुल 13 लोग एक नवंबर को काम के लिए उत्तरकाशी गए थे। उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि किस्मत ने उनके लिए क्या लिखा है।
 
tunnel rescue operation
जब आपदा आई तो सौभाग्य से खिराबेड़ा के 13 लोगों में से केवल 3 ही सुरंग के अंदर थे। सुरंग के भीतर फंसे 41 श्रमिकों में से 15 श्रमिक झारखंड से थे। ये लोग रांची, गिरिडीह, खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम के रहने वाले हैं। मंगलवार की रात जब इन श्रमिकों को बाहर निकाला गया तब उनके गांवों में खुशी से लोग जश्न मनाने लगे।
 
बेदिया ने बताया कि हमारे जीवित रहने की पहली उम्मीद तब जगी जब अधिकारियों ने लगभग 70 घंटों के बाद हमसे संपर्क स्थापित किया। उनके दो पर्यवेक्षकों ने उन्हें चट्टानों से टपकता पानी पीने के लिए कहा। हमारे पास सुरंग के अंदर खुद को राहत देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।
 
आखिरकार, जब हमने बाहर से, हमसे बात करने वाले लोगों की आवाजें सुनीं, तो दृढ़ विश्वास और जीवित रहने की आशा ने हमारी हताशा को खत्म कर दिया।
 
उन्होंने कहा कि शुरुआती 10 दिन घोर चिंता में बिताने के बाद पानी की बोतलें, केले, सेब और संतरे जैसे फलों के अलावा चावल, दाल और चपाती जैसे गर्म भोजन की आपूर्ति नियमित रूप से की जाने लगी। हम जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकलने के लिए प्रार्थना करते थे... आखिरकार भगवान ने हमारी सुन ली। (भाषा)
 
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