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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : गुरुवार, 13 मई 2021 (15:02 IST)

एक ही प्रदेश और दोनों सहपाठियों के एयर वाइस मार्शल के पदों पर पहुंचने से खुश हुआ जम्मू-कश्मीर

एक ही प्रदेश और दोनों सहपाठियों के एयर वाइस मार्शल के पदों पर पहुंचने से खुश हुआ जम्मू-कश्मीर - Two classmates became Air Vice Marshals
जम्मू। कोरोना काल में जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए इससे बड़ी खुशी की खबर क्या हो सकती है कि एक ही प्रदेश के एक ही स्कूल व एक ही कक्षा में पढ़ने वाले दो दोस्त एकसाथ एक ही पद पर आसीन हो गए हैं। दरअसल, भारतीय वायुसेना के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब एक ही प्रदेश के हैं और वह भी सहपाठी, एकसाथ एयर वाइस मार्शल के रूप में पदोन्नत हुए हों।

 
हिलाल अहमद राथर और कीर्ति खजूरिया दोनों ही नगरोटा सैनिक स्कूल के छात्र हैं। दोनों स्कूल में एक ही बैच में थे और 10वीं से 12वीं तक साथ-साथ पढ़े। इन दोनों ने जहां वायुसेना में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, वहीं इनके कई साथियों ने जम्मू-कश्मीर प्रदेश प्रशासन और पुलिस में अपनी प्रतिभा और कार्यकुशलता की एक नजीर साबित की है।

अनंतनाग के रहने वाले हिलाल अहमद राथर बुधवार को भारतीय वायुसेना में एयर वाइस मार्शल बन गए।
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि उनके साथ एयर वाइस मार्शल बनने वाले वायुसेना के दूसरे अधिकारी कीर्ति खजूरिया उनके बचपन के सहपाठी हैं। कीर्ति खजूरिया जम्मू प्रांत में एक पिछड़े गांव टिकरी के रहने वाले हैं। 
एयर कमाडोर कीर्ति खजूरिया ने 11 जून 1988 को और हिलाल अहमद राथर ने 17 दिसंबर 1988 को वायुसेना में बतौर पायलट कमीशन प्राप्त किया था। कीर्ति खजूरिया एक योग्य उड़ान प्रशिक्षक, युद्धक विमान प्रशिक्षक होने के अलावा दुश्मन के ठिकानों पर बमबारी के लिए हमेशा तैयार रहने वाले दस्ते की भी कमान संभाल चुके हैं। मिग-23 एफ विमान के स्क्वॉड्रन लीडर रहे कीर्ति खजूरिया ने भारतीय वायुसेना की पहली एकीकृत एयर कमांडर एंड कंट्रोल सिस्टम की भी कमान संभाली है।

 
हिलाल अहमद राथर का नाम बीते वर्ष उस समय सुर्खियों में आया था, जब वह भारत सरकार ने फ्रांस से राफेल विमान मंगवाए थे। फ्रांस में बतौर अटैची नियुक्त हिलाल अहमद राथर ने राफेल की भारत को जल्द आपूर्ति व उसे भारतीय परिवेश के मुताबिक बनाने में एक अहम भूमिका निभाई थी। उधमपुर में स्थित टिकरी गांव के रहने वाले कीर्ति खजूरिया वर्ष 2012-15 के दौरान भारतीय सेना द्वारा विभिन्न हथियारों की खरीद प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं।
 
वायुसेना मुख्यालय में निदेशक शस्त्र के पद पर भी अपनी योग्यता का परिचय दे चुके कीर्ति खजूरिया ने 2700 घंटे दुर्घटनामुक्त विमान उड़ाया है। वे भारतीय वायुसेना के सूर्य किरण दस्ते को तैयार करने में अहम भूमिका निभा चुके हैं और खुद भी इसका हिस्सा रहे हैं। उन्हें वायुसेना और विशिष्ट सेवा मैडल से भी सम्मानित किया गया है।
 
भारतीय वायुसेना में 17 दिसंबर 1988 में कमीशन प्राप्त करने वाले हिलाल अहमद राथर 17 दिसंबर 1993 को फ्लाइट लेफ्टिनेंट और 16 दिसंबर 2004 को विंग कमांडर व पहली मई 2010 को ग्रुप कैप्टन बने। 26 दिसंबर 2016 को वे एयर कमाडोर बने। एनडीए के दीक्षांत समारोह में उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर भी मिला। वायुसेना में अपने दोस्तों के बीच हली के नाम से लोकप्रिय हिलाल अहमद राथर का मिराज-2000, मिग-21 और किरण विमान जैसे जेट फाइटर एयरक्राफ्ट पर 3,000 घंटे से अधिक की दुर्घटनामुक्त उड़ान का रिकॉर्ड हैं।