गुरुवार, 3 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. poem on Corona time

कविता: भार तो केवल श्वासों का है...

Oxygen level in corona
स्वप्न जो देखा था रात्रि में हमने 
सुबह अश्रु बन बह किनारे हो गए हैं
चांद और मंगल पर विचरने वाले हम 
आज कितने बेसहारे हो गए हैं
विकास की तालश में हमने हमेशा 
जंगलों, पहाड़ों, पठारों को गिराया 
विकसित से अति विकसित बनने के सफर में
सृष्टि के किताब के अनमोल पृष्ठों को जलाया
बरगद, नीम, पीपल को काटकर 
प्राणवायु दाता का उपहास उड़ाया
कंक्रीट के जंगलों में कैक्टस और  
बोगनवेलिया उगाया
मंगल और चंद्रमा पर बसने के प्रयास में 
धरती को मिट्टी मानुष का उपहास उड़ाया
स्वार्थ, लालच और अभिमान के मार से गर्वित हो
तमाम पशु-पक्षियों का नामो निशान मिटाया
लेकिन आज तुम हे मानव 
ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए 
हांफ रहे हो भाग रहे हो 
और उद्घाटित कर रहे हो 
इस सत्य को कि 
भार तो केवल श्वांसो का है 
बाकी सब मिथ्या है।
ये भी पढ़ें
Vitamin D Deficiency: घर में कैद होने से हो रही है विटामिन D की कमी, कैसे करें इसे पूरी