शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Poem on Meena Kumari

कविता : हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था

कविता : हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था - Poem on Meena Kumari
हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था
किसे कहां पता भीतर हाला था
 
लब की शोख हंसी चेहरे का नूर
ख़ुद को तपा कर उसने ढाला था
 
जिस्म की ज़रूरत जानते हैं सब
रूह की चाह को उसने पाला था
 
तुम नाम देते हो हुनर का जनाब
दर्द को आंसुओं में संभाला था
 
मीना ने मय में बहा दी ज़िंदगी
सलीका मुहब्बत का आला था
 
ये भी पढ़ें
अहसान फरामोश हैं कुछ हमारे आसपास के लोग,हैं बहुत नाशुक्रे लोग....