बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. This tax law of the year 2012 will end
Written By
Last Modified: गुरुवार, 5 अगस्त 2021 (22:09 IST)

Retrospective Tax : मोदी सरकार का बड़ा फैसला, खत्म होगा साल 2012 का ये टैक्स कानून, IT एक्ट में बदलाव

Retrospective Tax : मोदी सरकार का बड़ा फैसला, खत्म होगा साल 2012 का ये टैक्स कानून, IT एक्ट में बदलाव - This tax law of the year 2012 will end
नई दिल्ली। सरकार ने रेट्रो कर यानी पिछली तिथि से लागू कर कानून को लेकर कंपनियों में भय को खत्म करने के लिए गुरुवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया। इसके तहत केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से पूर्व की तिथि से कर की मांग को वापस लिया जाएगा। सरकार ने यह भी कहा कि वह इस तरह के कर के जरिए वसूले गए धन को वापस कर देगी।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ पेश किया। इसके तहत भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 का इस्तेमाल करके की गई मांगों को वापस लिया जाएगा। विधेयक में कहा गया है कि इन मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस करने का भी प्रस्ताव है।

इस विधेयक का सीधा असर ब्रिटेन की कंपनियों केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह के साथ लंबे समय से चल रहे कर विवादों पर होगा। भारत सरकार पिछली तिथि से लागू कर कानून के खिलाफ इन दोनों कंपनियों द्वारा किए गए मध्यस्थता मुकदमों में हार चुकी है।

वोडाफोन मामले में हालांकि सरकार की कोई देनदारी नहीं है, लेकिन उसे केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर वापस करने हैं। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केयर्न ने कहा कि उसने विधेयक पेश किए जाने को संज्ञान में लिया है और वह स्थिति पर नजर रखे हुए है और आने वाले समय में इस बारे में अधिक जानकारी देगी।

वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि पिछली तिथि से कर कानून का उपयोग करके कुल 8,100 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे। इसमें से 7,900 करोड़ रुपए अकेले केयर्न एनर्जी के थे। यह धनराशि लौटा दी जाएगी। सोमनाथन ने कहा कि सरकार की 2014 से नीति रही है कि हम पिछली तिथि से कराधान का समर्थन नहीं करते हैं। हमें यह भी याद रखने की जरूरत है कि यह एक ऐसा समय है, जब भारत को अत्यधिक निवेश की जरूरत है। ये 2014 से पहले के पुराने विवाद थे।

उन्होंने कहा कि सरकार ने मध्यस्थता में कराधान के भारत के संप्रभु अधिकार का बचाव किया और मामलों के तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने का इंतजार किया। राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि मध्यस्थता की कार्यवाही में कुछ नतीजे आने के बाद हमने निवेशक समुदाय को कर व्यवस्था के बारे में भरोसा देने के लिए यह साहसिक कदम उठाया है।

निचले सदन में विपक्षी सदस्य पेगासस जासूसी मामले सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामा कर रहे थे। हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को पेश किया। विधेयक में कहा गया कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों के अंतरण (भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण) के जरिए भारत में स्थित संपत्ति के हस्तांतरण की स्थिति में होने वाले लाभ पर कराधान का मुद्दा लंबी मुकदमेबाजी का विषय था।

उच्चतम न्यायालय ने 2012 में एक फैसला दिया था कि भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से होने वाले लाभ कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत कर योग्य नहीं हैं। इसके बाद सरकार ने वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को पिछली तिथि से संशोधित किया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों की बिक्री से होने वाले लाभ पर भारत में कर लगेगा।

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है, इस कानून के अनुसार 17 मामलों में आयकर की मांग की गई थी। दो मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन के कारण आकलन लंबित हैं। ब्रिटेन और नीदरलैंड के साथ द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि के तहत इन 17 मामलों में से चार मामलों में मध्यस्थता लागू की गई थी।

केयर्न और वोडाफोन द्वारा जीते गए मध्यस्थता आदेशों के संदर्भ में इसमें कहा गया, दो मामलों में मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने करदाता के पक्ष में और आयकर विभाग के खिलाफ फैसला सुनाया। विधेयक में कहा गया, वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा किए गए उक्त स्पष्टीकरण संशोधनों ने पिछली तिथि से कराधान को लेकर हितधारकों की आलोचना को आमंत्रित किया। यह तर्क दिया जाता है कि पिछली तिथि से ऐसे संशोधन कर निश्चितता के सिद्धांत के खिलाफ हैं और एक आकर्षक गंतव्य के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।
विधेयक में आगे कहा गया कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल बनाने को लेकर वित्तीय और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं, लेकिन पिछली तिथि से स्पष्टीकरण संशोधन और कुछ मामलों में इसके चलते की गई कर मांग को लेकर निवेशकों के बीच यह एक गंभीर मामला बना हुआ है। कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार और रोजगार को बढ़ावा देने में विदेशी निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका है।
विधेयक में कहा गया है कि यदि लेन-देन 28 मई 2012 से पहले किया गया है तो भारतीय संपत्ति के किसी भी अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए पिछली तिथि से कराधान की कोई भी मांग भविष्य में नहीं की जाएगी। इन मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस करने का भी प्रस्ताव किया गया है और इस संबंध में सभी लंबित मुकदमों को वापस ले लिया जाएगा, हालांकि लागत, हर्जाना, ब्याज आदि के लिए कोई दावा दायर नहीं किया जा सकेगा।
ये भी पढ़ें
अखिलेश यादव पर योगी के मंत्री का निशाना, ट्‍वीट करने से नहीं मिलती है सत्ता