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Last Modified: मंगलवार, 26 अप्रैल 2022 (18:49 IST)

'धर्म संसद' को लेकर SC ने दी चेतावनी, उत्तराखंड के मुख्य सचिव को दिए ये निर्देश...

'धर्म संसद' को लेकर SC ने दी चेतावनी, उत्तराखंड के मुख्य सचिव को दिए ये निर्देश... - The Supreme Court gave these instructions to the Chief Secretary of Uttarakhand regarding the   Parliament of Religions
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह अदालत में सार्वजनिक रूप से यह कहें कि रुड़की में निर्धारित 'धर्म संसद' में कोई अप्रिय बयान नहीं दिया जाएगा और चेतावनी दी कि अगर कोई घृणा भाषण दिया जाएगा तो वह शीर्ष अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराएगा। कार्यक्रम बुधवार को होना है।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने उत्तराखंड सरकार द्वारा दिए गए इस आश्वासन पर गौर किया कि अधिकारियों को विश्वास है कि आयोजन के दौरान कोई अप्रिय बयान नहीं दिया जाएगा और इस अदालत के फैसले के अनुसार सभी कदम उठाए जाएंगे।

पीठ ने उत्तराखंड सरकार से यह भी कहा कि यदि राज्य निवारक कदम उठाने में विफल रहता है तो मुख्य सचिव को उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा जाएगा। पीठ ने कहा, आपके आश्वासन के बावजूद कोई अप्रिय स्थिति होने पर हम मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिरीक्षक को जिम्मेदार ठहराएंगे। हम इसे रिकॉर्ड में डाल रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने चिंता व्यक्त की कि सरकारी अधिकारियों द्वारा उठाए जाने वाले निवारक उपायों पर शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों के बावजूद देश में घृणा भाषणों की घटनाएं होती रहती हैं। पीठ में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, हम उत्तराखंड के मुख्य सचिव को उपरोक्त आश्वासन सार्वजनिक रूप से कहने और सुधारात्मक उपायों से अवगत कराने का निर्देश देते हैं। सुनवाई की शुरुआत में, हिमाचल प्रदेश में धर्म संसद से संबंधित मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि समय-समय पर हर दूसरे स्थान पर ‘धर्म संसद’ आयोजित की जा रही हैं।

उन्होंने कहा, यह उना, हिमाचल प्रदेश में आयोजित की गई। यह बहुत ही चौंकाने वाला है। मैं इसे सार्वजनिक रूप से भी नहीं पढ़ूंगा। पीठ ने हिमाचल प्रदेश सरकार से कहा कि उसे पहले से मौजूद दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

पीठ ने कहा, आप उनका अनुसरण कर रहे हैं या नहीं, आपको जवाब देना होगा। यदि नहीं, तो आपको सुधारात्मक उपाय करने होंगे। हिमाचल प्रदेश के वकील ने पीठ को बताया कि उसने निवारक उपाय किए हैं और जांच भी की है। उन्होंने कहा कि राज्य ने यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस अधिनियम की धारा 64 के तहत नोटिस जारी किया है कि ऐसा कोई मुद्दा नहीं है।

पीठ ने कहा, आपको गतिविधि रोकनी होगी, न कि सिर्फ जांच करनी है। एक हलफनामा दायर करें जिसमें बताया गया हो कि आपने इसे रोकने और उसके बाद के लिए क्या कदम उठाए हैं। पीठ ने राज्य के गृह सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा, ये घटनाएं अचानक नहीं होती हैं। इस तरह के आयोजनों की पहले से ही घोषणा कर दी जाती है।

पीठ ने कहा, स्थानीय पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। आप उन चरणों की व्याख्या करते हुए एक हलफनामा दाखिल करें। क्या आप तुरंत एक्शन में आएंगे या नहीं? सिब्बल ने अदालत को यह भी बताया कि रुड़की में एक और धर्म संसद की योजना है।

उत्तराखंड के वकील ने पीठ को बताया कि निवारक उपायों के संबंध में एक कठिनाई है। उन्होंने कहा, एक व्यक्ति कहता है कि वह धर्म संसद आयोजित करेगा, हम नहीं जानते कि वह क्या कहेगा और हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि क्या कहा जाएगा।

पीठ ने इस पर कहा, अगर वक्ता वही होने वाला है, तो आपको तत्काल कार्रवाई करनी होगी। हमें कुछ कहने के लिए मजबूर मत करिए। निवारक कार्रवाई के अन्य तरीके हैं। आप जानते हैं कि यह कैसे करना है। उत्तराखंड के वकील ने कहा कि एक रंग है जो एक विशेष समुदाय से संबद्ध किया जा रहा है।

पीठ ने कहा, जिस विशेष समुदाय की आप रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं, वह भी ऐसा कर रहा है। हम चीजों को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सद्भाव बना रहे। पीठ ने प्रतिवेदन पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि इस तरह के मामलों को संबोधित करने का यह तरीका नहीं है। उसने कहा, हम आपको ऐसा करने के लिए निर्देशित करते हैं। हमें आपका आश्वासन नहीं चाहिए।

पीठ ने कहा, इस तरह के मामलों को संभालने का यह तरीका नहीं है। अगर ऐसा होता है तो हम मुख्य सचिव को उपस्थित रहने के लिए कहेंगे। उत्तराखंड के वकील ने पीठ को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार उचित कदम उठाएगी।(भाषा)
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