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Last Modified: शनिवार, 14 जनवरी 2023 (00:29 IST)

नफरती भाषणों से खतरा, हम भारत में स्वतंत्र और संतुलित प्रेस चाहते हैं : उच्चतम न्यायालय

Supreme Court
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को टीवी समाचार सामग्री पर नियामकीय नियंत्रण की कमी पर अफसोस जताते हुए कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण एक 'बड़ा खतरा' हैं और भारत में 'स्वतंत्र एवं संतुलित प्रेस' की जरूरत है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आजकल सब कुछ टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट) से संचालित होता है और चैनल एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं तथा समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि यदि कोई टीवी समाचार एंकर नफरत फैलाने वाले भाषण के प्रचार की समस्या का हिस्सा बनता है, तो उसे प्रसारण से क्यों नहीं हटाया जा सकता।

न्यायालय ने कहा कि प्रिंट मीडिया के विपरीत, समाचार चैनलों के लिए कोई भारतीय प्रेस परिषद नहीं है। इसने कहा कि हम स्वतंत्र भाषण चाहते हैं, लेकिन किस कीमत पर। देशभर में नफरती भाषणों की घटनाओं पर अंकुश लगाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, घृणास्पद भाषण एक बड़ा खतरा बन गया है। इसे रोकना होगा।

‘मीडिया ट्रायल’ पर चिंता जताते हुए पीठ ने एयर इंडिया के एक विमान में एक व्यक्ति द्वारा महिला सहयात्री पर कथित तौर पर पेशाब किए जाने की हालिया घटना की ओर इशारा करते हुए कहा, उसका नाम लिया गया। मीडिया के लोगों को समझना चाहिए कि उसके खिलाफ अभी भी जांच चल रही है और उसे बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। हर किसी की गरिमा होती है।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि टीवी चैनल एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं क्योंकि समाचार कवरेज टीआरपी से प्रेरित है। उन्होंने कहा, वे हर चीज को सनसनीखेज बनाते हैं और दृश्य तत्व के कारण समाज में विभाजन पैदा करते हैं। अखबार के विपरीत, दृश्य माध्यम आपको बहुत अधिक प्रभावित कर सकता है और दुर्भाग्य से दर्शक इस तरह की सामग्री को देखने के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व नहीं हैं।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि अगर टीवी चैनल नफरती भाषण के प्रचार में शामिल होकर कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन करते पाए जाते हैं, तो उनके प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा, हम भारत में स्वतंत्र और संतुलित प्रेस चाहते हैं।

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने दावा किया कि पिछले एक साल में हजारों शिकायतें मिली हैं और चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पीठ ने कहा, सीधे प्रसारित किसी कार्यक्रम में, कार्यक्रम की निष्पक्षता की कुंजी एंकर के पास होती है। यदि एंकर निष्पक्ष नहीं है, तो वह वक्ता को म्यूट करके या दूसरी तरफ से सवाल न पूछकर जवाबी मत नहीं आने देगा। यह पूर्वाग्रह का प्रतीक चिह्न है।

इसने कहा, कितनी बार एंकर के खिलाफ कार्रवाई की गई है? मीडिया के लोगों को यह एहसास होना चाहिए कि वे बड़ी शक्ति वाले पदों पर बैठे हैं और उनका समाज पर प्रभाव है। वे समस्या का हिस्सा नहीं हो सकते। न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि अगर न्यूज एंकर या उनके प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो सभी लाइन में आ जाएंगे।

अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं नाजुक चीज है और सरकार को वास्तव में इसमें हस्तक्षेप किए बिना कुछ कार्रवाई करनी होगी। नटराज ने कहा कि केंद्र इस समस्या से अवगत है और नफरत भरे भाषणों की समस्या से निपटने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन लाने पर विचार कर रहा है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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