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Last Updated :मुंबई , बुधवार, 21 अगस्त 2024 (16:04 IST)

Badlapur Case : बाल आयोग की अध्‍यक्ष बोलीं- स्कूल ने की अपराध को छुपाने की कोशिश, पीड़िताओं के अभिभावकों की नहीं की मदद

Badlapur Case : बाल आयोग की अध्‍यक्ष बोलीं- स्कूल ने की अपराध को छुपाने की कोशिश, पीड़िताओं के अभिभावकों की नहीं की मदद - Statement of the Chairperson of the Commission for Protection of Child Rights on the Badlapur case
Statement of the Chairperson of the Commission for Protection of Child Rights on the Badlapur case : महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने बुधवार को कहा कि बदलापुर के जिस स्कूल में 2 बच्चियों का यौन शोषण किया गया था, उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने में पीड़िताओं के माता-पिता की मदद करने के बजाय अपराध को छुपाने की कोशिश की।
 
बदलापुर में मंगलवार को उस समय बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए जब गुस्साए अभिभावकों, स्थानीय निवासियों और अन्य लोगों ने रेलवे पटरियों को अवरुद्ध कर दिया और उस स्कूल में तोड़फोड़ की, जहां पिछले सप्ताह एक पुरुष सहायक ने दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न किया था।
शाह ने मामले की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि दो बच्चियों के यौन शोषण का यह मामला स्पष्ट रूप से पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत आता है। राज्य बाल अधिकार आयोग प्रमुख ने बताया कि घटना का पता चलने के बाद उन्होंने माता-पिता की चिंताओं को लेकर ठाणे जिला बाल संरक्षण इकाई से संपर्क किया।
 
शाह ने कहा, वे (बाल संरक्षण इकाई) उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास ले गए। जब ​​मैंने स्कूल प्रबंधन से मामले के बारे में पूछा, तो उन्होंने इसे छिपाने की कोशिश की। मैंने उनसे यह भी पूछा कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पॉक्सो प्रावधान क्यों नहीं लगाए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर स्कूल प्रबंधन ने पुलिस को तुरंत सूचित किया होता, तो बदलापुर में अराजकता की स्थिति से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा, समस्या इसलिए पैदा हुई क्योंकि अभिभावकों को 11 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। शाह ने कहा कि कथित यौन हमले की जानकारी मिलने के बावजूद प्रधानाचार्य ने पुलिस से संपर्क नहीं करने का फैसला किया और इसके बजाय, वह स्कूल प्रबंधन के पास गईं। उन्होंने इस घटना को भयानक स्थिति बताया।
 
उन्होंने कहा कि राज्य के हर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत एक बाल संरक्षण इकाई है और हर पुलिस थाने में एक विशेष किशोर संरक्षण इकाई भी है। उन्होंने कहा, सभी प्रणालियां, इकाइयां और समितियां मौजूद हैं। हम सभी को सामूहिक प्रयास करने चाहिए ताकि यह प्रणाली प्रभावी ढंग से काम कर सके। शाह ने कहा कि वह भविष्य में राज्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के वास्ते एक संरचनात्मक प्रक्रिया की सिफारिश करेंगी। उन्होंने कहा, राज्य को ऐसी प्रक्रियाओं को सख्ती से लागू करना चाहिए।
ठाणे के एक स्कूल में बस सहायक द्वारा छात्राओं के साथ कथित छेड़छाड़ के एक पुराने मामले का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि तब उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षण, गैर-शिक्षण और संविदा कर्मचारियों के अनिवार्य पुलिस सत्यापन की आवश्यकता पर बल दिया था। छेड़छाड़ की यह घटना 20 फरवरी को उस समय हुई थी जब शहर के एक निजी स्कूल के विद्यार्थी बस से घाटकोपर इलाके के एक थीम पार्क में भ्रमण के लिए गए थे। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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