सोनिया गांधी बोलीं- पर्यावरण संरक्षण सरकार का कर्तव्य, वापस लें मसौदा...
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए)-2020 की अधिसूचना के मसौदे को लेकर गुरुवार को सरकार पर पर्यावरण संरक्षण से जुड़े नियमों को छिन्न-भिन्न करने का आरोप लगाया और कहा कि इस मसौदे को वापस लिया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना सरकार का एक सामाजिक कर्तव्य भी है और उसे इसका निर्वहन करना चाहिए। सोनिया ने एक लेख में कहा, पर्यावरण का संरक्षण और लोक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना साथ-साथ होना चाहिए और सभी के लिए सम्मानजनक जीविका की उपलब्धता होनी चाहिए।
उनके मुताबिक, अनियंत्रित आर्थिक विकास की कल्पना के पीछे भागने से हमारे देश को पर्यावरण और लोगों के अधिकारों दोनों का त्याग अक्सर करना पड़ा है। तरक्की के लिए व्यापारिक गतिविधियों की जरूरत होती है, लेकिन कुछ सीमाएं होनी चाहिए जिन्हें लांघा नहीं जा सकता।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि पिछले छह वर्षों में केंद्र सरकार ने हमारी पर्यावरण संरक्षण की रूपरेखा पर जानबूझकर अतिक्रमण किया है। उन्होंने कहा, मौजूदा समय की महामारी से सरकार को अपनी पर्यावरण एवं जन स्वास्थ्य संबंधी शासन व्यवस्था पर पुनर्विचार करने का अहसास हो जाना चाहिए था, लेकिन इसके उलट पर्यावरण मंत्रालय उचित जन परामर्श के बिना लॉकडाउन के दौरान परियोजनाओं की मंजूरी दे रहा है।
सोनिया ने दावा किया कि ईआईए-2020 की अधिसचूना का मसौदा पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रदूषण फैलाने वालों को क्लीन चिट देता है तथा इससे हमारे पर्यावरण के लिए बड़ी तबाही आएगी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह मसौदा आदिवासियों और वनक्षेत्रों में दूसरे निवासियों के अधिकारों पर सीधा हमला है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोनिया का लेख साझा करते हुए ट्वीट किया, प्रकृति की रक्षा की जाती तो प्रकृति भी रक्षा करती है। भारत सरकार को पर्यावरण संबंधी नियमों को तार-तार करना बंद करना चाहिए। पहला जरूरी कदम यह है कि इस अधिसूचना का मसौदा वापस लिया जाए।
गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्रालय ने इस साल मार्च में ईआईए के मसौदे को लेकर अधिसूचना जारी की थी और इस पर जनता से सुझाव मांगे गए थे। इसके तहत अलग-अलग परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी देने के मामले आते हैं।(भाषा)