अच्छी खबर...रिजर्व बैंक एक बार फिर कर सकता है रेपो दर में कटौती
नई दिल्ली। वैश्विक नरमी से घरेलू आर्थिक वृद्धि संभावनाओं पर असर पड़ने की आशंकाओं के बीच आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक गुरुवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की एक और कटौती कर सकता है। विशेषज्ञों ने यह अनुमान व्यक्त किया है।
रिजर्व बैंक ने 18 महीने के अंतराल के बाद फरवरी में ही रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। ब्याज दर में एक के बाद एक कटौती से मौजूदा चुनावी मौसम में कर्ज लेने वालों को राहत मिल सकती है।
मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद 7 फरवरी 2019 को मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया गया। दिसंबर 2018 में रिजर्व बैंक गवर्नर का पद संभालने के बाद शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक में यह फैसला लिया गया।
इस सप्ताह रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की 3 दिवसीय बैठक होने वाली है। समिति मुंबई में बैठक के बाद 4 अप्रैल को निर्णय की घोषणा करेगी। यह नए वित्त वर्ष की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक होगी। इसमें भी यदि नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत कटौती होती है तो यह लगातार दूसरी समीक्षा बैठक में की गई कटौती होगी।
गवर्नर दास पहले ही उद्योग संगठनों, जमाकर्ताओं के संगठन, एमएसएमई के प्रतिनिधियों तथा बैंक अधिकारियों समेत विभिन्न पक्षों के साथ बैठक कर चुके हैं। मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के दायरे में बनी हुई है। इससे उद्योग जगत एक और बार आधार दर कम करने की वकालत कर रहा है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रमुख (पीसीजी एवं पूंजी बाजार रणनीति) वीके शर्मा ने कहा कि बाजार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती तथा परिदृश्य बदलकर सामान्य करने के अनुकूल है। तरलता में अनुमानित सुधार तथा ब्याज दर में कटौती बाजार के लिए अच्छी होगी।
कोटक महिंद्रा बैंक के अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) पीएफबी शांति एकमबरम ने कहा कि आने वाले समय में नीतिगत कदम को घरेलू एवं वैश्विक कारक प्रभावित करेंगे। उपभोग कुछ नरम पड़ा है और निवेश का चक्र भी धीमा हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस साल बाद में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की एक और कटौती संभव है लेकिन यह मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के आंकड़े पर निर्भर करेगा। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने भी कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में बनी हुई है, जो ब्याज दर में और कटौती का समर्थन करती है।