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Last Updated : शनिवार, 28 जून 2025 (13:55 IST)

महाजाम में फंसने से 3 मौतें, किसी ने नहीं ली जिम्‍मेदारी, जनता से गुजारिश, किसी से ये न पूछे कि कौन है जिम्‍मेदार

jam in indore
आम आदमी शहर की सड़कों के गड्डों में गिरकर मर जाता है। ट्रैफिक अव्‍यवस्‍थाओं के कारण जान गंवा देता है। जाम फंसकर अस्‍पताल पहुंचने से पहले आम आदमी की सांसें उखड़ जाती हैं। मरीज को ले जा रही एंबुलेंस बीच चौराहों में फंस जाने से मरीज दम तोड़ देता है। तमाम मौतों के बाद हर बार मीडिया और आम जनता ये सवाल पूछती है कि इन हादसों का कौन जिम्‍मेदार है। आज तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका कि आखिर कौन जिम्‍मेदार है।

शायद यह सवाल ही गलत है, क्‍योंकि हकीकत में कोई जिम्‍मेदार नहीं है। न सड़क बनाने वाले जिम्‍मेदार हैं, न ब्रिज बनाने वाले, न ट्रैफिक व्‍यवस्‍था करने वाले, न अस्‍पताल वाले, न पुलिस और न ही सरकारी सिस्‍टम के किसी विभाग के अफसर जिम्‍मेदार हैं। ऐसा लगता है कि आम आदमी खुद की अपनी तकलीफों के लिए और अपनी मौतों के लिए जिम्‍मेदार है। उसका काम है सिर्फ सरकार को तरह तरह के टैक्‍स देना।     
शुक्रवार को आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग इंदौर और देवास के बीच लगे महा जाम में फंसकर तीन लोगों की मौत हो गई। लेकिन इनकी मौत की जिम्‍मेदारी किसी न नहीं ली है।

बता दें कि इंदौर देवास रोड पर डकाच्‍या से लेकर अर्जुन बडौद तक 32 घंटो से ज्‍यादा समय तक जाम लगा हुआ है। हजारों वाहन और हजारों बच्‍चे, महिलाएं और बुजुर्ग इसमें फंसे रहे। जाम में फंसने की वजह से 3 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। लेकिन प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।   

केस 01 : जाम में हार्टअटैक से मौत : इंदौर के बिजलपुर के निवासी 65 वर्षीय कमल पांचाल की जाम के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। करीब एक घंटे तक उनकी कार जाम में फंसी रही, इसी दौरान हार्ट अटैक आया और इसके पहले कि वे अस्‍पताल पहुंच पाते उनकी मौत हो गई। उनके बेटे विजय ने बताया कि हम कार से इंदौर से देवास जा रहे थे। अर्जुन बड़ौदा गांव में सड़क पर निर्माण कार्य चलने से राजमार्ग पर करीब 7 किलोमीटर लम्बा जाम लगा था। हजारों वाहन जाम में बुरी तरह फंसे थे। इस दौरान मेरे पिता को अचानक घबराहट हुई और उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। जाम नहीं होता और हम वक्त पर अस्पताल पहुंच जाते, तो मेरे पिता की जान बच सकती थी।

केस 02 : संदीप पटेल नहीं पहुंच सके अस्‍पताल : ग्राम गारी पिपलिया के 32 साल के युवा संदीप पिता प्रेम सिंह पटेल को हार्ट अटैक आया तो परिजन उसे लेकर अस्‍पताल भागे, लेकिन मांगलिया रेलवे क्रॉसिंग पर रोड बंद होने की वजह से अस्‍पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। दरअसल, मांगलिया रेलवे क्रॉसिंग पर रोड बंद होने के कारण परिजनों ने वैकल्पिक मार्ग सिंगापुर टाउनशिप वाले रास्ते को चुना, लेकिन वहां भी टाउनशिप वाले रास्ते में कई किलोमीटर लंबा जाम लगा था। इसी वजह से संदीप को ले जाने वाला वाहन भी रास्‍ते में फंस गया। संदीप ने अपनी पत्नी के सामने ही तड़पते हुए दम तोड दिया।

केस 03 : जाम में खत्‍म हो गया आक्‍सीजन, सांसें उखड़ गईं : शुजालपुर के 55 साल के बलराम पटेल को उनके परिजन इलाज के लिए इंदौर ला रहे थे। कार में दो ऑक्‍सीजन सिलेंडर थे। एक सिलेंडर देवास पहुंचते हुए खत्‍म हो गया, जबकि दूसरा सिलेंडर जाम में फंसे होने के कारण खत्‍म हो गया। दो घंटे तक जाम में फंसे होने के चलते उनका दूसरा सिलेंडर जाम के दौरान ही खत्‍म हो गया और उनकी सांसें उखड़ गईं।    

क्‍या बोले कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट : आज शाम को 5 बजे इसे लेकर बैठक रखी गई है। यह एक गंभीर समस्‍या है। अधिकारियों से मिलकर चर्चा करेंगे और समाधान निकालेंगे।

जनता किससे पूछे कौन जिम्‍मेदार : इंदौर देवास रोड पर पिछले एक महीने से जाम की स्‍थिति बन रही है। इसे लेकर आसपास के किसान और रहवासी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन अब तक न तो कोई नेता और न ही कोई अधिकारी सुध लेने पहुंचा। इसी का नतीजा है कि शुक्रवार को जाम में फंसकर 3 लोगों की मौत हो गई। इस जाम में एक भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। न कोई पुलिस विभाग का कोई अफसर अधिकारी नजर आया। आम आदमी जिस प्रशासन के भरोसे घर के बाहर निकलता है, वो किसी तरह की जिम्‍मेदारी लेने को तैयार नहीं है। अभी भी इन हादसों और मौतों को लेकर प्रशासन सिर्फ बैठक बैठक खेल रहा है, ऐसे में आम जनता को कि सिर्फ भगवान के भरोसे खुद को छोड देना चाहिए।   
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल