CM ममता बनर्जी को भारी पड़ेगी संदेशखाली हिंसा, क्या बंगाल में लगेगा राष्ट्रपति शासन?
Sandeshkhali news in hindi : टीएमसी समर्थकों द्वारा महिलाओं का उत्पीड़न किए जाने के मामले की पड़ताल के लिए पश्चिम बंगाल के संदेशखाली का दौरा करने वाले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
अधिकारियों ने बताया कि एनसीएससी प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संदेशखाली का दौरा किया और दिल्ली लौटने के बाद राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदर ने कहा कि 7 सदस्यों की टीम गुरुवार को संदेशखाली गई थी। लेकिन पुलिस ने मिलने पीड़ितों से मिलने ही नहीं दिया। जैसे तैसे कमिशन के सदस्यों ने परिवार वालों से मुलाकात की। पुलिस को कमीशन को रिस्पेक्ट देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पुलिस आरोपियों को बता रही है। हमने वहां जो हालत देखे, उसके आधार पर बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने का जिक्र रिपोर्ट में किया है।
इधर भाजपा की 7 सदस्यीय कमेटी को भी धारा 144 का हवाला देकर संदेशखाली जाने से रोक दिया गया। कमेटी में शामिल महिला सदस्यों ने कहा कि राज्य की जो स्थिति है इसको लेकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए।
इस बीच पुलिस ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में संदेशखाली जा रहे कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को भी रोक दिया। नाराज अधीर रंजन भी धरने पर बैठ गए। उन्होंने सवाल किया कि विपक्षी नेताओं को क्यों रोका जा रहा है।
संदेशखाली में बड़ी संख्या में महिलाओं ने TMC नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर बलपूर्वक जमीन पर कब्जा करने और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है।
वे पिछले महीने कथित राशन घोटाले के सिलसिले में छापा मारने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद से फरार शाहजहां को गिरफ्तार करने की मांग कर रही हैं। मामले के तूल पकड़ने के बाद ममता बनर्जी की पार्टी ने आरोपी नेताओं को पार्टी से निकालने की कार्रवाई की थी।
Edited by : Nrapendra Gupta