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Last Updated : सोमवार, 12 अक्टूबर 2020 (13:24 IST)

Interesting Facts: दो लेख लिखकर 25 रुपए कमाए और फि‍र कलकत्‍ता गए राम मनोहर लोहिया

Interesting Facts: दो लेख लिखकर 25 रुपए कमाए और फि‍र कलकत्‍ता गए राम मनोहर लोहिया - Ram manohar lohia
23 मार्च 1910 को जन्मे राममनोहर लोहिया ने जवाहर लाल नेहरू की सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। 12 अक्टूबर 1967 को दुनिया को अलविदा कहने वाले लोहिया पर गांधी के विचारों का खासा प्रभाव था।

वे अपने सिद्धांतों को लेकर काफी सख्‍त थे। अपने आदर्शों को लेकर एक बार उन्‍होंने यहां तक कह दिया था कि मैं प्रधानमंत्री भी बनूंगा तो अपनी शर्त पर बनूंगा।

आइए जानते हैं  राम मनोहर लोहिया के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्‍प बातें।

लोहिया के पिताजी गांधीवादी थे। जब वे गांधीजी से मिलने जाते तो राम मनोहर को भी अपने साथ ले जाते थे। इस कारण वे गांधीजी के व्यक्तित्व का उन पर खासा असर था।

लोहिया ने बंबई के मारवाड़ी स्कूल में पढ़ाई की।

1925 में मैट्रिक (हाईस्कूल) की परीक्षा दी, जिसमें 61 प्रतिशत नंबर लाकर प्रथम आए।

लोहिया की इंटर की दो वर्ष की पढ़ाई बनारस के काशी विश्वविद्यालय में हुई।

1927 में इंटर पास किया तथा आगे की पढ़ाई के लिए कलकत्ता जाकर ताराचंद दत्त स्ट्रीट पर स्थित पोद्दार छात्र हॉस्टल में रहने लगे।

लोहिया पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए।

लोकमान्य गंगाधर तिलक की मृत्यु के दिन विद्यालय के लड़कों के साथ 1920 में पहली अगस्त को हड़ताल की।

1921 में फैजाबाद किसान आंदोलन के दौरान जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात हुई।

1924 में प्रतिनिधि के रूप में कांग्रेस के गया अधिवेशन में शामिल हुए।

1928 में कलकता में कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए।

1928 से अखिल भारतीय विद्यार्थी संगठन में सक्रिय हुए। 1930 में द्वितीय श्रेणी में बीए की परीक्षा पास की।

1930 जुलाई को लोहिया अग्रवाल समाज के कोष से पढ़ाई के लिए इंग्लैंड रवाना हुए।

1932 में लोहिया ने नमक सत्याग्रह विषय पर अपना शोध प्रबंध पूरा कर बर्लिन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

1933 में मद्रास पहुंचे। रास्ते में उनका सामान जब्त कर लिया गया। तब समुद्री जहाज से उतरकर हिन्दु अखबार के दफ्तर पहुंचकर दो लेख लिखकर 25 रुपया प्राप्त कर कलकत्ता गए।
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