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Last Modified: सोमवार, 22 नवंबर 2021 (18:53 IST)

टिकैत ने कहा- सरकार को हमारी बात समझने में लगा एक साल, किसानों को बांटने की कोशिश हुई

एक साल में समझ पाए कि ये कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और फिर उन्होंने कानूनों को वापस लिया, उन्होंने कानूनों को वापस लेकर सही काम किया लेकिन, किसानों को यह कहकर विभाजित करने की कोशिश की कि वे कुछ लोगों को कानूनों को समझाने में विफल रहे, हम कुछ लोग

टिकैत ने कहा- सरकार को हमारी बात समझने में लगा एक साल, किसानों को बांटने की कोशिश हुई - Rakesh Tikait again targeted the central government
लखनऊ। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि किसानों को सरकार को यह समझाने में एक साल लग गया कि उसके द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और अफसोस है कि उन्हें वापस लेते समय भी किसानों को बांटने की कोशिश की गई।
 
यहां किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि उन्हें समझाने में हमें एक साल लग गया, हमने अपनी भाषा में अपनी बात कही, लेकिन दिल्ली में चमचमाती कोठियों में बैठने वालों की भाषा दूसरी थी। जो हमसे बात करने आए, उन्हें यह समझने में 12 महीने लग गए कि यह कानून किसानों, गरीबों और दुकानदारों के लिए नुकसान पहुंचाने वाले हैं।
 
उन्होंने कहा कि वह एक साल में समझ पाए कि ये कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और फिर उन्होंने कानूनों को वापस लिया, उन्होंने कानूनों को वापस लेकर सही काम किया लेकिन, किसानों को यह कहकर विभाजित करने की कोशिश की कि वे कुछ लोगों को कानूनों को समझाने में विफल रहे, हम कुछ लोग हैं? उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माफीनामे का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम माफी मांगने से नहीं बल्कि नीति बनाने से मिलेगा।
 
एमएसपी पर समिति की बात गलत : टिकैत ने इस दावे का भी विरोध किया कि एमएसपी के लिए एक समिति बनाई गई है। उन्होंने कहा कि यह असत्य है। उन्होंने कहा कि 2011 में, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह उन मुख्यमंत्रियों की वित्तीय समिति के प्रमुख थे, जिससे भारत सरकार ने पूछा था कि एमएसपी के बारे में क्या किया जाना है? समिति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को सुझाव दिया था कि एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की जरूरत है। इस समिति की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय में पड़ी है। किसी नई समिति की जरूरत नहीं है और न ही देश के पास इतना ज्यादा समय है।
 
किसानों के सामने अब भी कई मुद्दे : टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री को देश के के सामने स्पष्ट जवाब देना होगा कि क्या वह उस समिति के सुझाव को स्वीकार करेंगे जिस समीति का वह हिस्सा थे। सरकार की हालिया घोषणा पर उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा किसानों ने नहीं बल्कि सरकार ने की है और किसानों के सामने कई मुद्दे हैं।
 
उन्होंने सरकार से कहा कि सरकार किसानों से उनसे जुड़े मुद्दों पर बात करे, हम दूर नहीं जा रहे हैं और पूरे देश में बैठकें होंगी और हम लोगों को आपके काम के बारे में बताएंगे। टिकैत ने किसानों से कहा कि वे आप सभी को हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-सिख और जिन्ना में उलझाएंगे और देश को बेचते रहेंगे।
 
आंदोलन जारी रहेगा : टिकैत ने लखनऊ में आयोजित किसान महापंचायत में कहा कि सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून बनाने सहित अन्य मांगों से ना तो किसान पीछे नहीं हटेंगे ना ही इन मांगों के पूरा होने तक आंदोलन खत्म करेंगे। 
 
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा सोमवार को यहां आयोजित किसान महापंचायत में टिकैत ने कहा कि आंदोलन में मारे गए 750 से अधिक किसानों को शहीद का दर्जा देने, उनके परिजनों को मुआवजा देने और एमएसपी का कानून बनाने, गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्री पद से बर्खास्त करने सहित अन्य मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। 
टिकैत के तेवर अब भी नरम नहीं : उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री द्वारा किसान बिल वापस लिए जाने के बाद भी टिकैत की भाषा अभी नरम नही है। लखनऊ के इको गार्डन में किसानों को संबोधित करते हुए टिकैत ने आंदोलनकारियों से बार-बार बात करने के सरकार के दावे को गलत बताते हुए कहा कि दिल्ली में आराम से बैठने वालों की भाषा अलग थी। उन्होंने कहा कि एमएसपी के लिए कानून बनना चाहिए, जिससे किसानों का भला हो, यह हमारी प्रमुख़ मांग है।
 
सरकार पर हमला बोलते हुए टिकैत ने कहा कि, पूरे देश को निजी कंपनियों को दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगें पूरी हुए बिना किसान आंदोलन से पीछे हटने वाले नहीं हैं। टिकैत ने एआईएमआईएम के प्रमुख व सांसद असदउद्दीन ओवैसी के नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) को वापस लेने की सरकार से मांग करने के बारे में कहा कि ओवैसी और भाजपा के बीच 'चाचा-भतीजे' का रिश्ता है। ये सरकार उनकी हर मांग पूरी करेगी। 
 
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