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Last Updated : रविवार, 14 नवंबर 2021 (21:06 IST)

सलमान खुर्शीद ने बताया- बाबरी विध्वंस के बाद मंत्रिमंडल बैठक में प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने क्या कहा था

सलमान खुर्शीद ने बताया- बाबरी विध्वंस के बाद मंत्रिमंडल बैठक में प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने क्या कहा था - pv narasimha rao said in cabinet meeting that i dont want your sympathy after babri masjid demolition salman khurshid
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या : नेशनहुड इन आर टाइम्स' में उल्लेख किया गया है कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक हुई और जब मंत्रियों ने यह बताने की कोशिश की कि वे सभी तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के लिए कैसा महसूस कर रहे हैं, तो राव बोले: ' मुझे आपकी सहानुभूति नहीं चाहिए। खुर्शीद ने अपनी किताब में लिखा है कि इस 'अकल्पनीय घटना' ने धीरे-धीरे एक तरह सबको सन्न कर दिया।
 
उन्होंने कहा कि विध्वंस रविवार को हुआ और 7 दिसंबर की सुबह, मंत्रिपरिषद के सदस्य संसद भवन के भूतल पर स्थित एक भीड़भाड़ वाले कमरे में एकत्र हुए। सभी उदास थे और सभा में सन्नाटा छाया हुआ था।
 
खुर्शीद याद करते हैं कि जाहिर है, अधिकांश सदस्यों के पास शब्द नहीं थे, लेकिन माधवराव सिंधिया ने चुप्पी तोड़ते हुए बताया कि हम सभी प्रधानमंत्री नरसिंह राव के लिए कैसा महसूस कर रहे हैं। चिंतित प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया ने हमें आश्चर्यचकित कर दिया जब उन्होंने जवाब दिया कि मुझे आपकी सहानुभूति नहीं चाहिए।
 
उनका यह भी कहना है कि राव की 'कठोर प्रतिक्रिया' के बाद, इस विषय पर फिर से चर्चा करने का कोई और अवसर नहीं बचा तथा बैठक समाप्त हो गई। पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कहते हैं कि कल्याणसिंह की उत्तर प्रदेश सरकार 6 दिसंबर को ही बर्खास्त हो चुकी थी और उसके एक हफ्ते बाद राष्ट्रपति द्वारा कैबिनेट की सलाह पर हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भाजपा सरकारों को बर्खास्त किया गया था।
 
खुर्शीद यह भी लिखते हैं कि 6 दिसंबर की रात को वह और कुछ अन्य युवा मंत्री कि राजेश पायलट के आवास पर एकत्र हुए, और फिर एक साथ सी के जाफर शरीफ के पास गए। उन्होंने कहा कि 'प्रधान सचिव ए.एन. वर्मा को फोन किए गए, जिन्होंने सुझाव दिया कि हम प्रधानमंत्री से बात करें। हमने प्रधानमंत्री से संपर्क किया और उन्हें सुझाव दिया कि राजेश पायलट को उस समूह में शामिल किया जाए जो, फैजाबाद जाने वाला था।
 
खुर्शीद ने लिखा कि राव ने बदले में हमें एएन वर्मा से फिर से बात करने के लिए कहा, और इस तरह तब तक कुछ देर के लिए असमंजस जारी रहा, जब तक हमें बताया गया कि प्रधानमंत्री उपलब्ध नहीं होंगे। उस रात कुछ नहीं हो सका। उन्होंने लिखा कि उस समय सरकार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के लिए इस बात की सबसे अधिक जरूरत थी कि मस्जिद के विध्वंस के दौरान स्थानांतरित की गई मूर्तियों को स्थल पर फिर से स्थापित करने से पहले इस मामले में हस्तक्षेप करे।
 
उन्होंने आगे कहा कि फिर से मूर्तियां स्थापित की गईं, लेकिन अगली सुबह जब यह लगा कि मूर्तियों के ऊपर एक छत रखी जाएगी, तो सरकार कारसेवकों की स्पष्ट रूप से कम हुई भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आगे बढ़ी। खुर्शीद के अनुसार, मंदिर-मस्जिद की राजनीति ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अस्तित्व के संकट में डाल दिया और, समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाजवादी पार्टी के अस्थायी सशक्तीकरण के बाद, भाजपा को राज्य तथा केंद्र में प्रभुत्व कायम करने का मौका मिल गया। (भाषा)
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