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Last Updated : शुक्रवार, 5 जून 2020 (18:18 IST)

राजधानी दिल्ली में धर्मस्थल खोलने की तैयारी, दिशानिर्देशों का इंतजार

राजधानी दिल्ली में धर्मस्थल खोलने की तैयारी, दिशानिर्देशों का इंतजार - Preparations for opening of shrine in capital Delhi, waiting for Guidelines
नई दिल्ली। धर्मस्थलों को खोलने के संबंध में केंद्र से मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) मिलने के बाद राजधानी के मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरूद्वारों को आम जनता के लिए खोलने की तैयारी शुरू कर दी गई है। हालांकि उन्हें अभी दिल्ली सरकार के दिशानिर्देशों का इंतजार है।
 
केंद्र ने गुरुवार को जारी एसओपी में निषिद्ध इलाकों के अलावा सभी धर्मस्थलों को 8 जून से आम जनता के लिए खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके लिए सामाजिक दूरी और स्वास्थ्य संबंधी कई दिशानिर्देश भी दिए गए हैं।
 
राजधानी के 14 इस्कॉन मंदिर 8 जून को नहीं खुलेंगे। हालांकि एसओपी के अनुसार सारी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस्कॉन के राष्ट्रीय संचार निदेशक युधिष्ठिर गोविंद दास ने कहा कि दूसरे प्रांतों में जहां हमारे मंदिर खुले हैं, वहां से फीडबैक को देखते हुए और दिल्ली के बाकी बड़े मंदिरों के ट्रस्ट से बातचीत के बाद हमने यही फैसला लिया है कि अभी 8 तारीख को इस्कॉन मंदिर नहीं खोलेंगे। हम दो तीन दिन देखने के बाद ही मंदिर खोलने को लेकर फैसला लेंगे।
मंदिर के भीतर तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा कि हमने फुल बॉडी सेनिटाइजेशन चैंबर्स लगा दिए हैं। जगह-जगह निशान लगा रहे हैं ताकि सामाजिक दूरी बनी रहे। मंदिर में बैठने की समय सीमा रहेगी।
 
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनजिंदरसिंह सिरसा ने कहा कि गुरुद्वारों में तैयारियां चल रही हैं लेकिन दिल्ली सरकार से अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है।
 
उन्होंने कहा कि हम अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं। गुरुद्वारों को सेनिटाइज किया जा रहा है। अधिकतम प्रवेश और निकास द्वार बनाए गए हैं और जगह-जगह सेनिटाइजिंग स्टैंड्स लगा दिए गए हैं। 
 
सिरसा ने कहा कि इसके आगे हम तभी बढ़ पाएंगे जब दिल्ली सरकार से दिशा निर्देश आएंगे। मसलन गुरुद्वारे के अंदर बैठने की अनुमति है या नहीं, कितनी देर बैठ सकते हैं और गुरुद्वारे कितनी देर खुले रहेंगे। दिल्ली सरकार 7 तारीख को कहेगी कि 8 को नहीं खोलना है तो हम क्या करेंगे? यहां तो लोग सुबह 5 बजे गुरुद्वारे के बाहर आ जाएंगे या फिर ऐसे दिशानिर्देश हुए जो रातोरात लागू नहीं हो सकेंगे तो क्या करेंगे?
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि कोई समय का प्रतिबंध नहीं रखें वरना बहुत भीड़ हो जाएगी। रात को देर तक खुला रखें ताकि लोग आराम से दर्शन करें। दिशानिर्देश जल्दी दें ताकि हम लोगों को बता सकें।
 
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉक्टर मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि मस्जिद खुलने के बावजूद वे लोगों से अपील करेंगे कि दो तीन महीने घरों में ही इबादत करें।
 
उन्होंने कहा कि हम अपनी ओर से तैयारी कर रहे हैं, लेकिन हम लोगों से अपील करेंगे कि मस्जिदें खुलने के बावजूद दो तीन महीने घरों में ही इबादत करें। इस्लामी शरीयत में भी कहा गया है कि तंदुरुस्ती का ख्याल रखो।
 
मुफ्ती ने कहा कि हम लोगों से कहेंगे कि मस्जिद में मास्क लगाकर आएं और नमाज के लिए अपनी टोपी और पीने का पानी साथ लाएं। घर से ही वजू करके आएं और नमाज से पहले की सुन्नतें घर से ही पढ़कर आएं। मस्जिद में कम समय के लिए रहें। हम सामाजिक दूरी के लिए सिल्वर और ग्रीन रंग का निशान लगा रहे हैं। जेब में सेनिटाइजर और साबुत रखें। 
 
अहमद ने कहा कि बारह साल से कम उम्र के बच्चों और बूढ़ों को मस्जिद में प्रवेश नहीं मिलेगा। फतेहपुरी बड़ी मस्जिद है तो सामाजिक दूरी की कोई परेशानी नहीं आएगी। 
 
दिल्ली के कैथोलिक आर्कडियोसेज के जनसंपर्क अधिकारी फादर सवरिमुथु शंकर ने कहा कि सामूहिक उपासना को लेकर उन्हें स्पष्ट दिशानिर्देशों का इंतजार है।
 
उन्होंने कहा कि केंद्र के दिशा निर्देशों में यह स्पष्ट नहीं है कि ये व्यक्तिगत प्रार्थना को लेकर हैं या सामूहिक उपासना (मास) को लेकर भी। अलग-अलग चर्च में अलग-अलग मास होते हैं जैसे सेक्रेड हार्ट कैथेड्रिल में रविवार को छह और बाकी दिन तीन मास रोज होते हैं। इनको लेकर क्या व्यवस्था होगी? दिल्ली में करीब 50 कैथोलिक चर्च हैं जिनमें से कुछ भीड़भाड़ वाले इलाकों में हैं तो कुछ छोटी जगह पर भी हैं।
शंकर ने कहा कि सभी में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन कड़ाई से कराया जाएगा। सेनिटाइजर्स और तापमान जांच का इंतजाम रहेगा। प्रवेश और निकास द्वार अलग होंगे और सीमित संख्या में ही प्रवेश मिलेगा। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आम तौर पर लॉकडाउन संबंधी केंद्र के निर्देशों का दिल्ली ने पूरा पालन किया है।
 
उन्होंने कहा कि केंद्र ने धर्मस्थलों को लेकर एसओपी जारी कर दिया है, लेकिन राज्य सरकारें इसमें अपने अनुसार बदलाव कर सकती हैं। हम सात जून को इस पर फैसला लेंगे। (भाषा)
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