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Last Updated : गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022 (00:41 IST)

रविदास जयंती पर राजनीतिक दलों ने दी श्रद्धांजलि, मायावती बोलीं- वोट के स्वार्थ के लिए मत्था टेक रहे नेता...

रविदास जयंती पर राजनीतिक दलों ने दी श्रद्धांजलि, मायावती बोलीं- वोट के स्वार्थ के लिए मत्था टेक रहे नेता... - Political parties pay tribute on Ravidas Jayanti
वाराणसी/लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बीच बुधवार को संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर वाराणसी में उनकी जन्‍म स्‍थली 'सीर गोवर्धन' पहुंच कर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने मत्था टेका और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

वहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने संत रविदास की जन्‍म स्‍थली 'सीर गोवर्धन' में नेताओं के मत्था टेकने पर तंज कसते हुए कहा कि संत गुरु रविदास एवं उनके उपदेशों की हमेशा अनदेखी एवं उपेक्षा करने वाले नेता वोट पाने के स्वार्थ की खातिर मत्था टेकते हैं, लेकिन वे उनका उपदेश मानकर गरीबों का भला नहीं करते।

उल्लेखनीय है कि संत कवि रविदास के अनुयायी देशभर में हैं। इनमें दलित समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या है। मध्यकालीन कवि एवं समाज सुधारक संत रविदास ने अपने दोहों और उपदेशों के माध्यम से जाति आधारित सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संदेश दिया। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की चुनावी सरगर्मी के बीच राजनीतिक दलों ने संत के प्रति अपनी आस्था दिखाई और श्रद्धांजलि अर्पित की।

राज्‍य में चुनावी परिणाम को प्रभावित करने में दलित मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। राजनीतिक विश्लेषकों ने दलील दी कि विधानसभा चुनाव की वजह से दलित समाज को प्रभावित करने की गरज से राजनीतिक दलों में वाराणसी जाने की होड़ लगी रही।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सीतापुर की एक चुनावी जनसभा में कहा, आज संत रविदास की जयंती है और उनके मंदिरों में अनेकों भक्त जुटे हैं। मुझे भी दिल्‍ली में संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी विश्राम धाम मंदिर जाने का सौभाग्य मिला।

मोदी ने कहा, मान्‍यता है कि जब एक बार गुरु रविदास जी राजस्‍थान जा रहे थे तो दिल्‍ली में उसी स्थान पर उन्होंने विश्राम किया था और मेरे लिए दोहरी खुशी ये भी है कि मैं उस काशी का सांसद हूं जहां संत रविदास जी का जन्म हुआ था।

उन्होंने कहा, ये भी मेरा सौभाग्य है कि वाराणसी में उनके मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण का कार्य करने के लिए ईश्वर ने मुझे माध्‍यम बनाया और इतने वर्षों से जो काम नहीं हुआ था, मुझे रविदास मंदिर परिसर को सजाने का मौका मिला।

इसके पहले बुधवार की भोर में पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी सबसे पहले वाराणसी पहुंचे और 'सीर गोवर्धन' में मत्था टेककर संत शिरोमणि को श्रद्धांजलि दी। इसके कुछ ही घंटे बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ भी वाराणसी पहुंचे और 'सीर गोवर्धन' स्थित संत रविदास मंदिर में पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और पूजा-अर्चना के बाद लंगर में प्रसाद ग्रहण किया।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को रविदास जयंती के मौके पर वाराणसी के 'सीर गोवर्धन' पहुंचकर संत रविदास को श्रद्धांजलि देने के बाद अमृत वाणी सुनी एवं प्रसाद ग्रहण किया। आम आदमी पार्टी (आप) के उत्तर प्रदेश मामलों के प्रभारी एवं राज्‍यसभा सदस्‍य संजय सिंह ने बुधवार को संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर काशी के 'सीर गोवर्धन' स्थित रविदास मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि दिल्ली में आप द्वारा प्रस्‍तुत शिक्षा के मॉडल को संत रविदास और बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचारों से लिया है।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी तथा देश-दुनिया में रहने वाले उनके करोड़ों अनुयायियों को बधाई दी।

मायावती ने लखनऊ में राज्य में बसपा की पूर्व सरकार के कार्यकाल में संत रविदास के सम्मान में किए गए कार्यों का जिक्र करते हुए दावा किया कि उनकी सरकार ने भदोही जिले का नाम बदलकर संत रविदास नगर रखा था, लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) की पूर्ववर्ती सरकार ने जातिवादी एवं राजनीतिक द्वेष के कारण यह नाम बदल दिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मौजूदा सरकार ने भी उसे बहाल नहीं किया।

मायावती ने संत रविदास की जन्‍म स्‍थली 'सीर गोवर्धन' में नेताओं के मत्था टेकने पर तंज कसते हुए कहा कि संत गुरु रविदास एवं उनके उपदेशों की हमेशा अनदेखी एवं उपेक्षा करने वाले नेता वोट पाने के स्वार्थ की खातिर मत्था टेकते हैं, लेकिन वे उनका उपदेश मानकर गरीबों का भला नहीं करते। बसपा प्रमुख ने कहा कि जो लोग केवल वोट के स्वार्थ की राजनीति करने में माहिर हैं, उनसे बहुत सावधान रहने की जरूरत है।(भाषा) 
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