खालिस्तान समर्थक अमृतपाल पाल सिंहं की तलाश में जुटी पंजाब पुलिस के हाथ पांच दिन के बाद भी खाली है। अमृतपाल सिंह पंजाब पुलिस के लाख दावों को धता बताते हुए फरार है। अमृतपाल की तलाश में जुटी पंजाब पुलिस ने अब अमृतपाल की पत्नी और उसके समर्थकों पर शिकंजा कस दिया है। अब तक सुरक्षा एजेंसियों ने अमृतपाल सिंह के समर्थक डेढ़ सौ से अधिक लोगों को गिऱफ्तार कर चुकी है।
चुनौती क्यों बना अमृतपाल?-अमृतपाल सिंह जो वारिस पंजाब दे संगठन के मुखिया के तौर पर लंबे समय से अलग खालिस्तान बनाने की मांग कर रहा था और उसके मंसूबे बेहद खतरनाक है। 30 साल के अमृतपाल सिंह को एक्टर-एक्टिविस्ट दीप सिंह सिद्धू की सड़क हादसे में मौत के बाद 'वारिस पंजाब दे' संगठन की कमान सौंपी गई थी और मात्र 6 महीने में वह पंजाब पुलिस के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बन गया।
खालिस्तान समर्थक अमृतपाल अपनी एक आर्मी भी बना रहा था जिसका नाम था आनंदपुर खालसा फौज (AKF) । आर्मी के लिए लड़ाकों को भर्ती करने के साथ उनके लिए संसाधन और हथियार जुटाने का काम तेजी से चल रहा था। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमृतपाल सिंह युवा सिक्खों का माइंड वॉश कर उन्हें मानव बम के लिए तैयार कर रहा था। अपनी आर्मी के लिए अमृतपाल सिंह इन दिनों हाथियारों की खेप जमा कर रहा था और बुलेट फ्रूफ जैकेट बनवा रहा था। पंजाब में पुलिस की कार्रवाई में अब तक बहुत से हथियार और बुलेट फ्रूफ जैकेट बरामद की थी।
अमृतपाल सिंह के पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध होने के साथ बब्बर खालसा से सीधे कनेक्शन की बात आ रही है। वहीं सीमावर्ती पंजाब में अमृतपाल सिंह के ड्रग माफियाओं से सीधा कनेक्शन है और देश और विदेश से भी ड्रग माफिया फंडिंग कर रहा है। अमृतपाल सिंह पंजाब में जड़े कितनी गहरी है उसको इससे समझा जा सकता है कि मात्र 6 महीने में वह आतंक का पर्याय बन गया और वह पंजाब पुलिस को सीधी चुनौती देने लगा था।
अमृतपाल का रोल मॉडल भिंडरावाले-अलग खालिस्तान देश बनाने का समर्थक अमृतपाल सिंह पंजाब में अस्सी के दशक में आंतक के पर्याय रहे जरनैल सिंह भिंडरावाले को अपना रोल मॉडल मानता है। अमृतपाल सिंह ने सितंबर 2022 में जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव जाकर एक रैली का आयोजन किया था जिसमें युवाओं से खालिस्तान के लिए लड़ने का आह्वान किया था। पंजाब पुलिस को सीधी चुनौती देने के साथ अमृतपाल सिंह इशारों ही इशारों में देश के गृहमंत्री को भी धमकी दे चुका है।
खालिस्तान का खुलकर समर्थन-दुबई से पंजाब लौटने के बाद वारिस पंजाब दे संगठन का अध्यक्ष कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह पंजाब में पिछले छह महीने से लोगों को अलग राज्य खालिस्तान के समर्थन के लिए एकजुट कर रहा है। पंजाब के अजनाला थाने पर हमले के बाद अमृतपाल सिंह ने मीडिया से बात में कहा था कि “खालिस्तान के हमारे उद्देश्य को बुराई और वर्जित के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, इसे बौद्धिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए कि इसके भू-राजनीतिक लाभ क्या हो सकते हैं और इसके सिखों के लिए क्या लाभ हैं। मीडिया से चर्चा में अमृतपाल सिंह ने कहा था खालिस्तान रहेगा और कोई भी इसे नहीं दबा सकता और उसके उसे गुरु साहिबों का समर्थन हासिल है।
दरअसल पंजाब में बीते कुछ सालों में खालिस्तान का मुद्दा फिर गर्मा रहा है। वहीं ऑस्ट्रेलिया,कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में बैठे खालिस्तान समर्थक ने भी खालिस्तान को लेकर अपनी मुहिम तेज कर दी है। साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में सिख्स फॉर जस्टिस ने कथित खालिस्तान रेफरेंडम का आयोजन किया था वहीं अलगाववादी सिख संगठन ने कनाडा के ब्रैंप्टन में एक जनमत संग्रह का आयोजन किया था। भारत में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पर शिंकजा कसने के बाद ब्रिटेन, \कनाडा में खालिस्तान समर्थक विरोध के लिए सड़क पर उतर आएं।
आतंक का पर्याय क्यों हुआ फरार?-खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह टारगेट पर तब आया जब उसने अपने समर्थकों के साथ तलवारों, बंदूकों के साथ लैस होकर अमृतसर के अजनाला थाने में हमला कर अपने साथियों को छुड़ा ले गया। इस मामले को लेकर अमृतपाल सिंह अचानक सुर्खियों मे आ गया है। अमृतपाल सिंह भले ही थाने पर हमला कर अपने समर्थकों को छुड़ा ले गया है लेकिन घटना के पुलिस उसके खिलाफ न FIR कर पाई न कार्रवाई कर पाई। आखिरकार पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह के खिलाफ बड़ा अभियान शुरु किया लेकिन जब तक पंजाब पुलिस जागी तब तक अमृतपाल सिंह फरार हो चुका था।
अमृतपाल पर सियासी दल मेहरबान-अमृतपाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर है तो दूसरी ओर अमृतपाल पर अब राजनीति शुरु हो गई है। अमृतपाल के समर्थक को लगातार पुलिस गिरफ्तारी के खिलाफ अकाली दल अब खुलकर मैदान में उतर आई है। अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट करते हुए लिखा देश की एकता और अंखड़ता से अब समझौता नहीं हो लेकिन बेगुनाहों नौजवानों की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए उन्हें कानूनी मदद देने का एलान किया है। वहीं कांग्रेस ने सीधे पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार को घेरते हुए कहा कि अमृतपाल सिंह को जानबूझकर पंजाब से भागने का मौका दिया गया। वहीं राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा पर भी अमृतपाल सिंह के समर्थन करने के आरोप विरोधी दल लगाते रहे है।
दरअसल अमृतपाल सिंह पर सियासी दलों के नरम रूख और मेहरबानी होने का बड़ा कारण पंजाब की राजनीति है। पिछले विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करने वाला अकाली दल अमृतपाल सिंह के बहाने अपनी सियासी जमीन तलाशने में जुट गया है। वहीं पहली बार पंजाब की सत्ता पर काबिज हुआ आम आदमी पार्टी पर अमृतपाल सिंह के बहाने सियासी दल हावी होने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाह रहे है।