8 बार लोकसभा के सदस्य रहे रामविलास पासवान, कहलाते थे भारतीय राजनीति के 'मौसम वैज्ञानिक'
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने गुरुवार की शाम को उनके निधन के बारे ट्वीट कर जानकारी दी। भारतीय राजनीति में पासवान 'मौसम वैज्ञानिक' के नाम से पहचाने जाते थे। पासवान का राजनीतिक सफर पांच दशक से भी पुराना था।
पासवान उस वक्त बिहार विधानसभा के सदस्य बन गए थे जब लालूप्रसाद यादव और नीतीश कुमार अपने छात्र जीवन में ही थे। बीते दो दशकों में पासवान केंद्र की हर सरकार में मंत्री रहे। पांच दशकों में रामविलास पासवान 8 बार लोकसभा के सदस्य रहे। वर्तमान में वे राज्यसभा के सदस्य थे। पासवान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दोनों सरकारों में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहे हैं। खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान राजनीति में आने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे।
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जीता पहला चुनाव
रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में शुरू हुआ। उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे। पासवान ने इमरजेंसी का पूरा दौर जेल में गुजारा।
4 लाख वोटों से जीतकर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड : आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस सरकार से लड़ने से लेकर अगले पांच दशकों तक पासवान कई बार कांग्रेस के साथ तो कभी उसके खिलाफ चुनाव लड़ा और विजयी होते रहे। आपातकाल खत्म होने के बाद पासवान छूटे और जनता दल में शामिल हो गए। जनता दल के ही टिकट पर उन्होंने हाजीपुर संसदीय सीट से 1977 के आम चुनाव में ऐसी जीत हासिल की, जो इतिहास में दर्ज हो गई। पासवान ने 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।
वीपी सरकार में पहली बार बने मंत्री : रामविलास पासवान 1980 और 1989 के लोकसभा चुनावों में जीते। इसके बाद बनी विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अगले कई वर्षों तक विभिन्न सरकारों में पासवान ने रेल से लेकर दूरसंचार और कोयला मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली। पासवान भाजपा, कांग्रेस, राजद और जदयू के साथ कई गठबंधनों में साथी रहे।
गोधरा दंगों के बाद छोड़ा एनडीए का साथ : रामविलास पासवान ने 2002 के गोधरा दंगों के बाद तत्कालीन अटलबिहारी वाजपेयी वाली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर एनडीए गठबंधन से भी नाता तोड़ लिया था। इसके बाद पासवान कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में शामिल हुए और मनमोहन सिंह कैबिनेट में 2 बार मंत्री रहे। 2014 में पासवान एनडीए के साथ हो गए। 2014 और फिर 2019 में बनी नरेंद्र मोदी की दोनों सरकारों में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए।