Number of lions increased in Gujarat: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में शेरों की संख्या बढ़ने पर बुधवार को खुशी प्रकट करते हुए कहा कि शेर परियोजना ने इस जानवर के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया तथा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल द्वारा एक्स पर की गई पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए मोदी ने कहा- उन्होंने (पटेल ने) कहा था कि राज्य में शेरों की संख्या बढ़कर 891 हो गई है।
मोदी ने कहा कि यह बहुत उत्साहवर्धक जानकारी है। यह जानकर खुशी हुई कि शेर परियोजना के तहत किए जा रहे प्रयासों से उन्हें (शेरों को) अनुकूल वातावरण मिल रहा है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है।
674 से 891 हुए : गुजरात में एशियाई शेरों की अनुमानित संख्या बढ़कर 891 हो गई है, जो 5 साल पहले 674 थी। इस महीने कराई गई गणना के आधार पर बुधवार को अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि शेर अब केवल गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उनकी उपस्थिति अब 11 जिलों तक फैल गई है। इनमें कई गैर-जंगल और तटीय इलाके भी शामिल हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बातचीत में कहा कि गुजरात में एशियाई शेरों की अनुमानित संख्या बढ़कर 891 हो गई है। वन विभाग ने बताया कि जनगणना के अनुसार, 891 शेरों में से 196 नर, 330 मादा, 140 उप-वयस्क और 225 शावक शामिल हैं। शेरों की संख्या बढ़ने के साथ ही सौराष्ट्र क्षेत्र में भी उनका विस्तार हुआ है।
अब 11 जिलों में फैले शेर : अधिकारियों ने बताया कि पहले ये शेर जूनागढ़ और अमरेली जिलों के गिर राष्ट्रीय उद्यान तक ही सीमित थे, लेकिन अब ये 11 जिलों में फैल गए हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक जयपाल सिंह ने बताया कि गिर राष्ट्रीय उद्यान और उससे जुड़े अभयारण्यों में 384 शेर पाए गए, जबकि 507 शेर इन क्षेत्रों के बाहर मिले हैं।
उन्होंने बताया कि गिर के बाहर शेरों को पनिया, मटियाला, गिरनार और बारदा जैसे संरक्षित क्षेत्रों में देखा गया। इसके अलावा कई शेर गैर-जंगल और तटीय इलाकों में भी मिले। बारदा अभयारण्य में भी 17 शेरों को देखा गया, जो पोरबंदर से करीब 15 किलोमीटर दूर है। भावनगर जिले में एक ही झुंड में सबसे ज्यादा 17 शेर पाए गए।
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 16वीं एशियाई शेर गणना 10 से 13 मई तक दो चरणों में की गई। इसमें 11 जिलों के 58 तालुकों के 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को शामिल किया गया।
मई में हुई गणना : वन विभाग के मुताबिक प्रारंभिक गणना 10 और 11 मई को, जबकि अंतिम गणना 12 और 13 मई को की गई। इसमें 3000 से अधिक स्वयंसेवकों, क्षेत्रीय, अंचल एवं उप-अंचल अधिकारियों, गणनाकारों, सहायक गणनाकारों और निरीक्षकों ने हिस्सा लिया। इस बार गणना 'डायरेक्ट बीट वेरिफिकेशन' नामक तकनीक से की गई, जिसे अधिक सटीक माना जाता है। वन विभाग द्वारा हर पांच साल में शेरों की गणना की जाती है।
स्वयंसेवकों ने शेरों की निगरानी के समय, दिशा, लिंग, आयु, शरीर पर विशेष चिन्ह और जीपीएस लोकेशन जैसी जानकारियां दर्ज कीं। शेरों की गणना के लिए कैमरा ट्रैप, हाई-रेजोल्यूशन कैमरे और रेडियो कॉलर जैसे तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग किया गया। जूनागढ़, गिर सोमनाथ, भावनगर, राजकोट, मोरबी, सुरेन्द्रनगर, देवभूमि द्वारका, जामनगर, अमरेली, पोरबंदर और बोटाद में एशियाई शेर पाए गए। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala