नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह समेत अनेक नेताओं के देश के निर्माण में योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले 75 वर्ष में भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जन का संसद पर विश्वास बढ़ता गया।
उन्होंने संसद में पिछले 75 वर्षों में अर्जित अनेक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मनमोहन सिंह सरकार में सामने आए नोट के बदले वोट घोटाले का भी जिक्र किया।
लोकसभा में संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा - उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख विषय पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन में कार्यवाही का अंतिम दिन होने का भी उल्लेख किया और कहा, हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। इस 75 वर्ष की हमारी यात्रा में अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया गया है... और इस सदन में रहे सभी सदस्यों ने सक्रियता से इसमें योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि इस 75 वर्ष में सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जनमानस का इस संसद पर विश्वास बढ़ता गया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यही है कि इस महान संस्था, व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास अटूट रहे।
उन्होंने कहा, हम भले नये भवन में जाएंगे, लेकिन पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। ये भारत के लोकतंत्र की स्वर्णिम यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
प्रधानमंत्री ने कहा, सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। परिवार भी पुराना घर छोड़कर नए घर में जाता है तो बहुत सारी यादें कुछ पल के लिए उसे झकझोर देती हैं। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं, अनेक यादों से भरा है। खट्टे मीठे अनुभव रहे हैं, नोकझोंक की भी स्मृतियां हैं, कभी संघर्ष का तो कभी उत्सव और उमंग का माहौल रहा है। ये हम सबकी साझी विरासत और स्मृतियां हैं। इसका गौरव भी हम सबका साझा है।
उन्होंने कहा, आजाद भारत के नव निर्माण से जुड़ी हुई अनेक घटनाएं इन 75 वर्षों में इसी सदन में आकार लेती हुई हमने देखी हैं। आज हम जब नए सदन की ओर प्रस्थान करने वाले हैं तब भारत के सामान्य जनमानस के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति का भी अवसर है।
उन्होंने कहा, पंडित नेहरू, शास्त्री जी, अटल जी, मनमोहन सिंह जी तक देश का नेतृत्व करने वालों की बड़ी संख्या रही है। उन्होंने सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है। देश को नए रंग रूप में ढालने का काम किया है। आज उनके गौरवगान का अवसर है।
मोदी ने कहा कि राम मनोहर लोहिया, चंद्रशेखर, लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने सदन की चर्चाओं को समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि देश को तीन प्रधानमंत्रियों- पंडित नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को उनके कार्यकाल के दौरान खोना पड़ा और सदन में उमंग तथा उत्साह के पलों के बीच आंसू भी बहे हैं।
मोदी ने कहा कि यह वो सदन है जहां पंडित नेहरू के ए स्ट्रोक ऑफ मिडनाइड भाषण की गूंज हम सभी को प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसी सदन में कहा था कि, सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी लेकिन यह देश रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू के प्रारंभिक मंत्रिपरिषद में मंत्री के रूप में डॉ भीमराम आंबेडकर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं भारत में लाने में जोर देते थे और इसका परिणाम देश को आज भी लाभ के रूप में मिल रहा है।
मोदी ने कहा कि आंबेडकर ने नेहरू सरकार में जल नीति दी थी, तो शास्त्री ने हरित क्रांति की नींव रखी थी, चौधरी चरण सिंह ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का गठन किया तो नरसिंह राव की सरकार ने पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई आर्थिक नीतियों को अपनाने का साहस किया था।
उन्होंने कहा कि यह सदन इस बात का साक्षी रहेगा कि इसी संसद ने मतदान की आयु 21 से 18 वर्ष करने का निर्णय लिया। इसी सदन के सामर्थ्य से वाजपेयी ने सर्वशिक्षा अभियान शुरू किया और आदिवासी कार्य मंत्रालय तथा पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के सृजन जैसे निर्णय लिए। मोदी ने कहा कि वाजपेयी ने परमाणु परीक्षण करके दुनिया को देश की ताकत भी दिखाई।
उन्होंने कहा कि लेकिन इसी सदन में मनमोहन सिंह की सरकार के समय देश ने नोट के बदले वोट कांड को भी देखा। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के शासनकाल में तीन नए राज्य उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ बनने पर हर तरफ उत्सव का माहौल था, लेकिन तेलंगाना के हक को दबोचने के भारी प्रयास हुए।
उन्होंने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद न तेलंगाना उत्सव मना पाया, न आंध्र उत्सव मना पाया। मोदी ने कहा, अच्छा होता कि उसी उत्सव के साथ तेलंगाना का निर्माण होता जिस तरह छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड का हुआ था।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के समय हुए कुछ निर्णय गिनाते हुए कहा कि सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के साथ इस सदन में अनेक ऐतिहासिक निर्णय हुए और दशकों से लंबित विषयों का स्थायी समाधान भी इसी सदन में हुआ। उन्होंने इसमें अनुच्छेद 370 की समाप्ति, एक राष्ट्र एक कर, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन, गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण जैसे फैसले गिनाए।
मोदी ने कहा कि इसी सदन में एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरी थी और पूर्व प्रधानमंत्री ने सत्ता गंवाने की चिंता किए बिना लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाया था।
उन्होंने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद से लेकर डॉ अब्दुल कलाम, रामनाथ कोविंद और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक, इन सभी के संबोधनों का लाभ सदस्यों को मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष जीवी मावलंकर से लेकर सुमित्रा महाजन और अब ओम बिरला तक सदन के 17 अध्यक्ष रहे हैं जिन्होंने अनेक चुनौतियों के बावजूद बेहतरीन तरीके से दोनों सदनों को सुचारू रूप से चलाया है।
उन्होंने कहा, सभी अध्यक्षों की अपनी शैली रही और उन्होंने सभी को साथ लेकर नियमों, कानूनों के बंधन में सदन को ऊर्जावान बनाये रखा। मैं उन सभी का वंदन, अभिनंदन करता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, यह बात सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था, लेकिन यह बात हम कभी नहीं भूल सकते और गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना हमारे देशवासियों का, परिश्रम और पैसे भी देश के लोगों के लगे थे।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया में चारों तरफ भारतवासियों की उपलब्धियों की चर्चा हो रही है और गौरव के साथ हो रही है। उन्होंने कहा कि देश के 75 साल के संसदीय इतिहास में सामूहिक प्रयास के परिणाम की गूंज विश्व में सुनाई दे रही है।
राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दिनों आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता को देश के 140 करोड़ देशवासियों की उपलब्धि बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसी कारण से आज भारत विश्वमित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया है और पूरी दुनिया भारत में अपना मित्र खोज रही है। मोदी ने कहा, यह किसी व्यक्ति की सफलता नहीं है, किसी दल की सफलता नहीं है।
उन्होंने चंद्रयान-3 की सफलता को भी रेखांकित करते हुए कहा, मैं इस सदन के माध्यम से देश के वैज्ञानिकों और उनके साथियों को कोटि कोटि बधाई देता हूं।
उन्होंने संसद भवन में सांसद के रूप में अपने पहले प्रवेश का जिक्र करते हुए अपना अनुभव कुछ इस तरह से साझा किया, मैं जब पहली बार संसद सदस्य बनकर यहां आया था तो मैंने संसद भवन की सीढ़ियों पर शीश झुकाकर लोकतंत्र के मंदिर में श्रद्धा भाव से पैर रखा था। वह पल भावनाओं से भरा था। मैं कल्पना नहीं कर सकता था लेकिन भारत के लोकतंत्र की ताकत है, भारत के सामान्य मानव की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला गरीब परिवार का बच्चा संसद पहुंच गया। मोदी ने कहा कि कल्पना नहीं की जा सकती थी कि देश उन्हें इतना सम्मान, आशीर्वाद और प्यार देगा।
उन्होंने संसद भवन के द्वार पर अंकित एक सूक्ति का उल्लेख करते हुए उसका अर्थ बताया कि जनता के लिए दरवाजे खोलिए और देखिए कि कैसे वो अपने अधिकारों को प्राप्त करती है। उन्होंने कहा कि समय के साथ संसद की संरचना भी निरंतर बदलती रही और अधिक समावेशी बनती गई।
मोदी ने कहा कि इस सदन में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व नजर आता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमियों, गांवों-शहरों समेत पूर्ण रूप से समावेशी वातावरण यहां देखने को मिलता है।
उन्होंने कहा कि संसदीय इतिहास के प्रारंभ से अब तक दोनों सदनों में कुल मिलाकर लगभग 7500 सदस्यों ने प्रतिनिधित्व किया है जिनमें करीब 600 महिला सदस्य रही हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे महिला सदस्यों की संख्या बढ़ती गयी है।
मोदी ने कहा कि इसी सदन की शक्ति है कि इंद्रजीत गुप्ता जैसे सांसद 43 साल तक सदन में रहे तो आज शफीकुर रहमान बर्क 93 वर्ष की आयु में भी सदन में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि 25 साल की चंद्रमणि मुर्मू सदन की सदस्य बनीं।
मोदी ने कहा कि इस सदन में हमने वाद-विवाद, कटाक्ष सबकुछ का अनुभव किया है, लेकिन उसके बावजूद हम लोगों के बीच परिवार भाव रहा है और वह लोकतंत्र को एक अलग ही ऊंचाई तक ले जाता है। उन्होंने कहा कि हम यहां से कड़वाहट पालकर नहीं जाते और हम उसी प्यार से सदन छोड़ने के बाद भी मिलते हैं।
मोदी ने कहा कि आजादी के बाद बहुत से विद्वानों ने आशंकाएं व्यक्त की थीं कि देश चल पाएगा या नहीं? एक रहेगा या नहीं? लोकतंत्र बना तो रहेगा? लेकिन देश की संसद की ताकत है कि पूरे विश्व की आशंकाओं को गलत साबित कर दिया और देश पूरे सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ता रहा।
मोदी ने इस अवसर पर पुराने संसद भवन में कार्य करने वाले विभिन्न कर्मियों, सचिवालय के कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और पत्रकारों के योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अब हम नई संसद में जाएंगे तो नए विश्वास के साथ जाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उससे पहले मैं इस धरती को, इस सदन को प्रणाम करता हूं। इसकी एक एक ईंट को प्रणाम करता हूं। Edited by navin rangiyal/(भाषा)