पृथ्वी का एमआरआई स्कैनर है NISAR, जानिए क्या उद्देश्य लेकर हुआ लॉन्च, भारत का कैसे होगा फायदा
NISAR Satellite Launch : भारत और अमेरिका की साझेदारी में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के संयुक्त प्रयास से बनाया गया निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॅान्च कर दिया गया। यह सैटेलाइट GSLV Mk-II रॉकेट के जरिए 747 किलोमीटर की सूर्य-समकालिक कक्षा (Sun-Synchronous Orbit) में स्थापित किया जाएगा।
मिशन के तहत लॉन्च होने वाले सैटेलाइट को धरती से 747 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा और यह मिशन 3 साल तक काम करता रहेगा। इस मिशन पर 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 12,500 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसे NASA और ISRO ने मिलकर बनाया है।
निसार मिशन खास इसलिए है क्योंकि यह पहला उपग्रह है जो धरती की तस्वीरें दो अलग-अलग रडार फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करेगा। हर मौसम और हर स्थिति में, चाहे बादल हों, घना जंगल हो, या रात का अंधेरा यह सैटेलाइट सबकुछ देख सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है डुअल-फ्रीक्वेंसी रडार तकनीक, जिसमें NASA का L-बैंड और ISRO का S-बैंड एक साथ काम करते हैं। यह तकनीक पहली बार किसी एक सैटेलाइट में इस्तेमाल की जा रही है।
इस उपग्रह का वजन 2,392 किलोग्राम है और इसे 740 किलोमीटर ऊंचाई पर सन-सिंक्रीनस ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा, जहां से यह हर 12 दिन में धरती की 242 किलोमीटर चौड़ी पट्टी की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें लेगा। इसके लिए पहली बार आधुनिक SweepSAR तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। सबसे पहले, NISAR का डेटा पूरी तरह से ओपन-सोर्स होगा, जिसका मतलब है कि भारतीय वैज्ञानिक, किसान, और आपदा प्रबंधन टीमें इसे मुफ्त में उपयोग कर सकेंगे। Edited by : Sudhir Sharma