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Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 26 दिसंबर 2016 (17:56 IST)

मोदी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा, कैसे बनेगा देश कैशलेस

मोदी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा, कैसे बनेगा देश कैशलेस - Narendra Modi, cashless, Reserve Bank of India
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद मोदी सरकार ने जनता को कैशलेस की राह दिखाई। जनता को डेबिड, क्रेडिट, आधार कार्ड और मोबाइल से भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इतना ही नहीं, इन  माध्यमों का उपयोग करने पर इनामों की घोषणा भी की गई, लेकिन हाल ही में आया एक सर्वे मोदी सरकार को कैशलेस देश बनाने की योजना पर झटका दे सकता है। इस सर्वे के मुताबिक देश में 95 करोड़ लोग इंटरनेट की सुविधा से दूर हैं।
सस्ते डाटा प्लान तथा स्मार्टफोनों की लगातार घटती कीमतों के बावजूद देश की 73 प्रतिशत आबादी यानी करीब 95 करोड़ लोग इंटरनेट की सुविधा से दूर हैं। उद्योग संगठन एसोचैम और बाजार अध्ययन एवं सलाह कंपनी डेलॉएट के एक संयुक्त अध्ययन में यह बात सामने आई है।
 
एसोचैम ने "स्ट्रेटिजिक नेशनल मेजर्स की कॉम्बैट साइबर क्राइन" नामक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि देश में इंटरनेट का दायरा बढ़ता जा रहा है तथा डिजिटल साक्षरता के विस्तार के लिए किफायती कीमत पर ब्रॉडबैंड, स्मार्टफोन तथा मासिक डाटा की उपलब्धता जरूरी है।
 
रिपोर्ट के अनुसार, अभी देश में 34 करोड़ 30 लाख लोग इंटरनेट सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं जिसके वर्ष 2020 तक बढ़कर 60 करोड़ पर पहुंचने की उम्मीद है। प्रतिशत के हिसाब से सिर्फ 27 प्रतिशत भारतीय है वर्तमान समय में इंटरनेट तक पहुंच रखते हैं। जापान में यह आंकड़ा 93 प्रतिशत, अमेरिका में 92 प्रतिशत, ब्रिटेन में 75 प्रतिशत, रूस में 73 प्रतिशत तथा चीन में 50 प्रतिशत लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। वैश्विक औसत 44 प्रतिशत है।
 
इसमें कहा गया है कि सुदूर गांवों में डिजिटल सेवाएं देने के लिए सरकार को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने चाहिए। स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में प्रशिक्षण, वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ साझेदारी तथा प्रशिक्षण के काम में कौशल भारत योजना के तहत प्रशिक्षित लोगों की मदद के जरिए डिजिटल साक्षरता बढ़ाई जा सकती है। इसमें कहा गया है कि कौशल भारत तथा डिजिटल भारत के बीच तालमेल बिठाकर कार्यक्रम बनाने तथा प्रशिक्षण देने की जरूरत है। एसोचैम ने कहा है कि सरकार को लोगों को बचाने चाहिए कि प्रौद्योगिकी के क्या फायदे हैं तथा इससे समाज के कमजोर वर्ग का जीवन स्तर किस प्रकार ऊंचा उठाया जा सकेगा। (एजेंसियां)