क्यों मदर टेरेसा किसी के घर खाना नहीं खाती थीं, जानिए उनके बारे में 10 बड़ी बातें
मदर टेरेसा ने अपना जीवन लोगों की सेवा के लिए सौंप दिया था। उनके जीवन का उद्देश्य अनाथ बच्चों की सेवा करना और गरीबों का सहारा बनना था। मदर टेरेसा एक साधारण महिला थीं, जिन्होंने अपने हौंसले से कई असाधारण काम कर दिखाएं। अपने काम के लिए उन्हें शांति का नोबेल प्राइज मिल चुका है।
मदर टेरेसा ने उन बच्चों और उन लोगों को अपनाया जिन्हें समाज ने ठुकराया था। जिनके सिर पर छत नहीं थी, जो बेहसरा थे उनके लिए मदर टेरेसा ने अपना जीवन समर्पित किया।
आइए जानते हैं मदर टेरेसा के जीवन से जुड़ी 10 खास बातें
1. मदर टेरेसा ने साल 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी नामक संस्था की शुरुआत की थी।
2. मदर टेरेसा को 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
3. मदर टेरेसा का वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था, जिसे उन्होंने 1981 में बदलकर टेरेसा रख लिया।
4. वे सिर्फ 18 साल की उम्र में दीक्षा लेकर सिस्टर टेरेसा बनी थी।
5. उनकी संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने 1997 तक 155 में देशों में 755 निराश्रित गृह बनाए। इस संस्था से कम से कम 5 लाख लोगों को मदद मिली।
6. मदर टेरेसा को 1980 में भारत रत्न से नवाजा गया था।
7. उनका उसूल था कि वो किसी के भी घर का न खाना खाती थीं ना पानी पीती थीं। उनका मानना था कि गरीब लोग बहुत मेहनत से दो वक्त का खाना खा पाते हैं, ऐसे हालात में वो किसी पर बोझ नही बनाना चाहती थीं।
8. मदर टेरेसा ने अपनी जीवन शैली में एड्स, कुष्ठ रोग, तपेदीक से ग्रस्त लोगों के लिए घर बनाए और उन्हें सहारा दिया।
9. मदर टेरेसा का मानना था की सब के पास सारी सुविधाएं नहीं होती, लेकिन जिनके पास बेसहारा लोगों को मदद करने की क्षमता होती है उन्होंने जरूर करनी चाहिए।
10. मदर टेरेसा ने मरते दम तक शांति और प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने अपने जीवन को बेसहारा, गरीबों और बीमार लोगों की सेवा करने में बिताया।