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Manipur violence update : 'डर का माहौल, हजारों लोग बेघर', विपक्षी गठबंधन 'INDIA' के डेलिगेशन के सदस्यों ने बयां किए मणिपुर के हालात

Manipur violence update :  'डर का माहौल, हजारों लोग बेघर', विपक्षी गठबंधन 'INDIA' के डेलिगेशन के सदस्यों ने बयां किए मणिपुर के हालात - members india delegation returned manipur told situation atmosphere fear manipur violence thousands of people homeless
  • केंद्र और राज्य सरकार ने आंखें मूंदी
  • सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
  • कहा- सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं
Manipur violence update : 3 मई से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर का दौरा करने गया विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. का डेलिगेशन लौट आया है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को आरोप लगाया कि मणिपुर में ‘अनिश्चितता और भय’ व्याप्त है तथा केंद्र और राज्य सरकार वहां ‘बहुत गंभीर’ स्थिति से निपटने के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठा रही है। गठबंदन ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की। 
 
विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ का एक प्रतिनिधिमंडल 2 दिवसीय दौरे के बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर से लौट आया है। ‘इंडिया’ गठबंधन ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले तीन महीने से जारी मणिपुर जातीय संघर्ष जल्द हल नहीं किया गया, तो यह देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा कर सकता है।
 
इससे पहले, इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के 21 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने इंफाल में राजभवन में मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की और यात्रा के दौरान अपनी टिप्पणियों पर एक ज्ञापन सौंपा।
 
लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने पूर्वोत्तर राज्य से लौटने के बाद यहां हवाई अड्डे पर कहा कि मणिपुर के लोगों के मन में डर और अनिश्चितता है। मणिपुर में स्थिति बहुत गंभीर है।
 
उन्होंने कहा कि मणिपुर में काफी अनिश्चितता है। हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं। उन्हें नहीं पता कि वे अपने घरों में कब लौटेंगे। खेती ठप हो गई है।’
Manipur violence
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि कुकी और मेइती के बीच विभाजन को कैसे पाटा जाएगा। चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, सरकार द्वारा कोई मजबूत कदम नहीं उठाया गया है।
 
मणिपुर मुद्दे पर संसद का मानसून सत्र भी प्रभावित हुआ है और विपक्षी दलों का गठबंधन प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है। 
 
विपक्ष ने अब लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया है। वहीं, सरकार ने मणिपुर की स्थिति से निपटने के अपने तरीके का बचाव किया है और इस बात पर जोर दिया है कि वह अतीत की सरकारों की तुलना में अधिक सक्रिय रही है, जब राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी थी।
 
हालांकि, विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सरकारी तंत्र मणिपुर जातीय संघर्ष को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘चुप्पी’ की आलोचना करते हुए उन पर पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति के प्रति ‘उदासीनता’ दिखाने का आरोप लगाया।
 
चौधरी ने पुरानी कहावत ‘जब रोम जल रहा था, तो नीरो बांसुरी बजा रहा था’ की तर्ज पर कहा कि सारा मणिपुर जल रहा है और पीएम बांसुरी बजा रहे हैं।
 
तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता सुष्मिता देव ने कहा कि मुझे लगता है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री (एन बीरेन सिंह) पर से विश्वास पूरी तरह खत्म हो गया है। जनता अब मणिपुर के मुख्यमंत्री का समर्थन नहीं कर रही है।
 
मणिपुर की राज्यपाल उइके को सौंपे गए ज्ञापन में इस पर हस्ताक्षर करने वाले विपक्षी दलों के सांसदों ने राज्य में शांति और सद्भाव लाने के लिए प्रभावित लोगों के तत्काल पुनर्वास की मांग की।
 
ज्ञापन में कहा गया कि पिछले कुछ दिनों में लगातार गोलीबारी और मकानों में आगजनी की खबरों से इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि सरकारी तंत्र पिछले तकरीबन तीन महीने के लिए स्थिति पर नियंत्रण पाने में पूरी तरह नाकाम रहा है।
 
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पूर्वोत्तर राज्य की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

अनुभव साझा करें : केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने रविवार को मणिपुर से लौटे विपक्षी दलों के सांसदों से पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा में शामिल होने और यात्रा के अपने अनुभव साझा करने का आग्रह किया।
 
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने विपक्षी दलों के सदस्यों पर संसद में चर्चा से भागने का आरोप लगाया जब सरकार ने 20 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद राज्य में जातीय हिंसा पर बहस की पेशकश की थी।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद के चालू सत्र से पहले ही मणिपुर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार पर कड़ा बयान दे चुके हैं।
 
ठाकुर ने कहा कि विपक्षी सदस्यों से मेरी अपील है कि वे पूरे देश को बताएं कि कांग्रेस के शासन में मणिपुर छह महीने तक कैसे जलता रहता था, सैकड़ों लोगों की जान चली जाती थी और फिर भी किसी गृह मंत्री या प्रधानमंत्री ने संसद में कोई बयान नहीं दिया। एजेंसियां  Edited By : Sudhir Sharma
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