महुआ ने लोकसभा सदस्यता रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
Mahua Moitra petition in Supreme Court: तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने अपनी लोकसभा सदस्यता रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। महुआ 2019 में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुई थीं। लोकसभा की आचार समिति ने उन्हें पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले दोषी पाया था। इसके चलते उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई।
लोकसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद महुआ सदस्यता ने कहा था- आचार समिति ने मामले की गहन जांच नहीं की। मैंने अडाणी का मुद्दा उठाया था। कमेटी को निष्कासन का अधिकार ही नहीं है।
उन्होंने अपने निष्कासन की तुलना कंगारू अदालत यानी अवैध अदालत द्वारा सजा दिए जाने से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है।
सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था- यह भाजपा के अंत की शुरुआत है, हम भाजपा का अंत देखेंगे। मैं अगले 30 साल तक लड़ूंगी।
कैसा रहा महुआ का राजनीतिक सफर : न्यूयॉर्क और लंदन में जेपी मॉर्गन चेज़ में निवेश बैंकर रहीं मोइत्रा ने राहुल गांधी की आम आदमी का सिपाही पहल से प्रेरित हो कर राजनीति का रुख किया। असम के कछार जिले में 1974 में जन्मी मोइत्रा की शुरुआती शिक्षा कोलकाता में हुई और फिर वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गईं। उन्होंने 2009 में कांग्रेस की युवा इकाई में शामिल होने के लिए लंदन में अपना हाई-प्रोफाइल बैंकिंग करियर छोड़ दिया। कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई में तैनात की गईं मोइत्रा ने पार्टी के नेता सुब्रत मुखर्जी के साथ निकटता से काम किया।
पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा की सरकार के खिलाफ बदलाव की बयार के बीच मोइत्रा और मुखर्जी 2010 के कोलकाता नगर निगम चुनाव से महज कुछ दिन पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए जिसमें ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने जीत हासिल की। 2011 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी से टिकट न मिलने के बावजूद मोइत्रा ने धैर्यपूर्वक इंतजार किया और 2016 के विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने पर करीमपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की।
उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया, लेकिन उनके ओजस्वी भाषण और वाद-विवाद कौशल ने उन्हें राष्ट्रीय मीडिया में पार्टी की प्रमुख प्रवक्ता बना दिया। मोइत्रा को 2019 में कृष्णानगर लोकसभा सीट से टिकट मिला और वह विजयी हुईं।
ज्यादा अनुभव न होने के बावजूद संसद में मोइत्रा के जोशीले भाषणों ने उन्हें राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया और वह टेलीविजन पर होने वाली बहसों में टीएमसी की तरफ से सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता बन गईं। अपने मन की बात कहने के लिए पहचानी जाने वाली मोइत्रा को अकसर संगठन के मामलों में पार्टी से मतभेदों का सामना करना पड़ा और ममता बनर्जी ने उन्हें सार्वजनिक रूप से फटकार भी लगाई।
पिछले दो साल में विवाद मोइत्रा का पर्याय बन गए जिसमें पत्रकारों को दो कौड़ी का बताने वाली टिप्पणी भी शामिल हैं जिसके कारण स्थानीय बांग्ला मीडिया ने लंबे समय तक उनका बहिष्कार किया था। उन्होंने पिछले साल एक सम्मेलन में देवी काली को मांस खाने वाली और शराब पीने वाली कह कर देशभर में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था।
राजद्रोह कानून की मुखर विरोधी मोइत्रा कानूनी लड़ाइयों में भी सक्रियता से शामिल रही हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका भी दायर की हुई है। पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले के बीच मोइत्रा ने कहा कि उन्हें भाजपा की सरकार को चुनौती देने की वजह से परेशान किया गया। उन्होंने भारी जनादेश के साथ संसद में लौटने का संकल्प जताया है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala