क्या महुआ मोइत्रा अगला लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगी?
Mahua Moitras Lok Sabha membership cancelled: तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता आचार समिति की रिपोर्ट के आधार पर रद्द कर दी गई है। महुआ 2019 में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई थीं। लोगों के मन में यह सवाल भी कौंध रहा है कि क्या वे फिर से लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगी? चूंकि महुआ का मामला राहुल गांधी से अलग है इसलिए अगला चुनाव लड़ने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। वे निर्वाचित होकर 2024 में फिर से लोकसभा पहुंच सकती हैं।
दरअसल, लोकसभा की आचार समिति ने पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में महुआ मोइत्रा को सदन की सदस्यता से निष्कासित करने की सिफारिश की थी। इसके बाद शुक्रवार को उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। निष्कासन के बाद महुआ ने अपने निष्कासन की तुलना कंगारू अदालत यानी अवैध अदालत द्वारा फांसी की सजा दिए जाने से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है।
महुआ ने कहा कि उन्हें उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है और उन्हें नकदी या उपहार दिए जाने का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।
क्या विकल्प हैं महुआ के पास : महुआ के पास पहला और बड़ा विकल्प है कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं। यदि वहां उनके पक्ष में फैसला आता है तो उनकी सदस्यता बहाल हो सकती है। हालांकि चुनाव में 6 माह से भी कम समय बचा है, इसलिए वे इस विकल्प पर शायद ही जाएं। लेकिन, जनता की अदालत में जाने से पहले वे खुद को पाक-साफ साबित करने के लिए इस विकल्प पर विचार कर सकती हैं।
दूसरा सबसे बड़ा विकल्प यह है कि वे लोकसभा चुनाव का इंतजार करें और सीधे जनता की अदालत में जाएं। यदि जनता उन्हें फिर से लोकसभा भेजती है तो एक बार फिर संसद में पूरी ताकत के साथ अपनी बात रख सकती हैं। महुआ कह भी चुकी हैं, वे पहले से ज्यादा वोटों से जीतकर एक बार फिर संसद पहुंचेंगी।
राहुल गांधी से कितना अलग है मामला : महुआ मोइत्रा का मामला राहुल गांधी से पूरी तरह अलग है। राहुल को अदालत ने मानहानि मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। इसलिए न सिर्फ उनकी लोकसभा सदस्यता गई, बल्कि उनके अगले चुनाव लड़ने पर भी तलवार लटक गई थी। लेकिन, राहुल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद उनकी सदस्यता फिर बहाल हो गई।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala