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Last Modified: सोमवार, 30 जून 2025 (16:50 IST)

हिंदी को लेकर बैकफुट पर फडणवीस सरकार, अब ठाकरे बंधु निकालेंगे विजय जुलूस

Chief Minister Fadnavis on backfoot regarding Hindi
Chief Minister Fadnavis on backfoot regarding Hindi Language: महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडणवीस सरकार हिन्दी को लेकर बैकफुट पर आ गई है। सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने का फैसला वापस ले लिया है। इस मुद्दे ने ठाकरे बंधुओं (उद्धव और राज) को करीब ला दिया और वे अगले माह 5 जुलाई को हिन्दी को लेकर सरकार के फैसले के खिलाफ मार्च निकालकर मंच साझा करने वाले थे। उद्धव और राज ठाकरे ने इसे मराठी मानुष की जीत बताया है। 
 
फडणवीस ने फैसला बदलने के बाद कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के त्रिभाषा फॉर्मूले के क्रियान्वयन के लिए शिक्षाविद और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक नई विशेषज्ञ समिति बनाई जाएगी। सरकार इस नई समिति की रिपोर्ट का इंतजार करेगी, जिसके बाद ही यह तय किया जाएगा कि तीन-भाषा फॉर्मूला किस कक्षा से लागू किया जाए। हालांकि मुख्‍यमंत्री ने कहा कि हमारी नीति के केंद्र में मराठी और मराठी विद्यार्थी हैं। हमारी भाषा नीति हमेशा मराठी-केंद्रित रहेगी।
 
मराठी मानुस की जीत : शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने ‘मराठी मानुष’ की शक्ति के आगे हार मान ली है क्योंकि उसने राज्य के विद्यालयों में पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं में ‘त्रिभाषा नीति’ के तहत हिंदी भाषा की पढ़ाई को लेकर जारी दो जीआर (सरकारी आदेश) वापस ले लिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मराठी लोगों की एकता को विफल करने के लिए जीआर वापस ले लिया है।

ठाकरे का इशारा स्पष्ट रूप से हिंदी भाषा को ‘थोपे जाने’ के खिलाफ 5 जुलाई को शिवसेना यूबीटी और और राज ठाकरे नीत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा किए गए संयुक्त विरोध प्रदर्शन की ओर था। पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा फैसला वापस लिए जाने के बाद कहा कि अब यह आयोजन मराठी एकता की सफलता का जश्न मनाने के लिए एक विजय जुलूस होगा।
 
सरकार को डर होना चाहिए : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने रविवार को राज्य के स्कूलों में तीन-भाषा नीति के कार्यान्वयन पर शासकीय आदेश को वापस लेने का श्रेय मराठी मानुष की एकता को दिया, जो 5 जुलाई के विरोध कार्यक्रम में परिलक्षित होती। राज ने ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में कहा कि हिंदी को अनिवार्य बनाने के लिए राज्य सरकार पर किसने दबाव डाला, यह रहस्य बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मनसे अप्रैल 2025 से इस मुद्दे को उठा रही थी, जिसके बाद अन्य राजनीतिक दलों और संगठनों ने इसका हिस्सा बनने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अगर 5 जुलाई को मोर्चा होता, तो इससे संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की यादें ताजा हो जातीं। सरकार को इसका डर होना चाहिए। यह डर होना चाहिए।
 
विपक्ष के दबाव में झुकी सरकार : महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने सोमवार को दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार ने प्राथमिक कक्षाओं में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने पर अपना फैसला विपक्ष और नागरिक समाज के ‘दबाव’ के कारण वापस ले लिया। ठाकरे ने विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, भास्कर जाधव और अन्य विपक्षी विधायकों के साथ यहां विधान भवन की सीढ़ियों पर ‘मी मराठी’ (मैं मराठी हूं) लिखी तख्तियां लेकर एक प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया। ठाकरे ने कहा कि दबाव ने सत्ता पर विजय पा ली है।
 
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच रविवार को राज्य मंत्रिमंडल ने ‘त्रि-भाषा’ नीति पर सरकारी आदेश को रद्द कर दिया। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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