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Last Modified: सोमवार, 30 जून 2025 (16:55 IST)

मध्यप्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान का समापन, CM ने की 'एक बगिया मां के नाम' परियोजना की घोषणा

Madhya Pradesh News
भोपल। मध्यप्रदेश में 30 मार्च से चल रहे जल गंगा संवर्धन अभियान का समापन सोमवार को खंडवा में हुआ। समापन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खंडवा जिले में बड़ी घोषणाएं करते हुए 1518 करोड़ रुपये से अधिक के विकासकार्यों का लोकार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने “एक बगिया मां के नाम” परियोजना की घोषणा भी की। कार्यक्रम में सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज का कार्यक्रम अद्वितीय है। जल संरचनाओं के माध्यम से परमात्मा ने हमें प्रसाद दिया है। यह सबको बांटने के लिए है। हमारी सरकार ने गुडी पड़वा यानी 30 मार्च से शुरू करके 30 जून तक 2.39 लाख जलदूत बनाए। उनके बलबूते गांव-गांव के अंदर अद्वितीय अभियान चलाया गया। जल गंगा संवर्धन अभियान समापन समारोह एवं वॉटरशेड सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भेजे गए संदेश का वाचन किया गया। 

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारा मध्यप्रदेश नदियों का मायका है। करीब 300 नदियां अपने प्रदेश से निकलती हैं। हमारी नदियां केवल प्रदेश के लिए वरदान नहीं। राज्य की एक-एक नदी पूरे देश के लिए वरदान है। हमारी सोन नदी मां गंगा को समृद्ध करती है। इन नदियों के माध्यम से हमारा गौरवशाली अतीत आज फिर जीवित हो रहा है। जल गंगा संवर्धन अभियान के माध्यम से हमने कई काम किए। सारी नदियों के घाटों को स्वच्छ किया गया। ताकि, स्नान करने वालों के लिए सुविधा बढ़ाई जा सके। इस अभियान के लिए छाया के शेड तैयार किए गए। देश की सभी नदियों में मां नर्मदा का विशेष स्थान है। ये एकमात्र नदी है, जिसकी परिक्रमा होती है।

27 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की नई सुविधा
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारी सरकार ने जलदूतों के माध्यम से 57 नदियों में गिरने वाले 194 नालों से ज्यादा की पहचान करके उनके शोधन की योजना बनाई है। पर ड्रॉप-मोर क्रॉप के माध्यम से 40 हजार किसानों के खेतों में सिंचाई की व्यवस्था की गई है। वॉटरशेड के माध्यम से 36 जिलों में 91 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। 9 हजार से ज्यादा जल संरचनाएं बन चुकी हैं। 27 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की नई व्यवस्था की जा चुकी है। सरकार के प्रयासों से निमाड़ क्षेत्र में बड़ा बदलाव हुआ है। पहले ये क्षेत्र गर्मी में तपता था, लेकिन अब यहां का तापमान 4 डिग्री कम हो गया है। बुंदेलखंड पूरा प्यासा था, लेकिन अब केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना से यहां का दृश्य ही बदल जाएगा। पार्वती-काली-सिंध नदी जोड़ो परियोजना प्रदेश के बड़े क्षेत्र के वरदान साबित होगी।   

क्या है एक बगिया मां के नाम?
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में “एक बगिया मां के नाम’’ परियोजना चलाई जाएगी। इसके अंतर्गत 30 हजार से अधिक स्व सहायता समूह की पात्र महिलाओं की निजी भूमि पर 30 लाख से अधिक फलदार पौधे लगाएं जाएंगे। ये महिलाओं की आर्थिक तरक्‍की का आधार बनेंगे। ये पौधे 30 हजार एकड़ निजी भूमि पर लगाए जाएंगे। इस परियोजना की लागत 900 करोड़ रुपये है। परियोजना के तहत हितग्राहियों को पौधे, खाद, गड्‌ढे खोदने के साथ ही पौधों की सुरक्षा के लिए कंटीले तार की फेंसिंग और सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर का जलकुंड बनाने के लिए राशि प्रदान की जाएगी।यह अभियान 15 अगस्त से 15 सितंबर तक चलेगा।

जल संचय में इतनी वृद्धि
2048 करोड़ रुपये की लागत के 83 हजार से अधिक खेत तालाबों का निर्माण पूरा हुआ। इससे खेत का पानी खेत में सिंचित होगा। 254 करोड़ रुपये की लागत से 1 लाख से अधिक कूप रीचार्ज हुए। अमृत सरोवर 2.0 के तहत 354 करोड़ रुपये की लागत से 1 हजार से अधिक नए अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ। शहरी क्षेत्रों में 3300 से अधिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवन मिला। 2200 नालों की सफाई और 4000 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण पूरा हुआ।

जनभागीदारी और तकनीक का कमाल
जल गंगा संवर्धन अभियान में 40 लाख लोगों की भागीदारी से 5 हजार से अधिक जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ। My Bharat पोर्टल के माध्यम से 2.30 लाख से अधिक जलदूत बनाए गए। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी चौपाल का आयोजन हुआ। इस दौरान जीआईएस आधारित सिपरी (SIPRI) सॉफ्टवेयर के उपयोग से जल स्रोतों का चयन और एआई आधारित मॉनिटरिंग की गई। नर्मदा परिक्रमा पथ और अन्य तीर्थ मार्गों के डिजिटलीकरण के जरिए श्रद्धालुओं की सुविधाओं ख्याल रखा जा सकेगा।

पर्यावरण और खेती पर क्या हो रहा प्रभाव
57 प्रमुख नदियों में मिलने वाले 194 से अधिक नालों का चिह्नांकन और उनके शोधन के लिए योजना तैयार की गई है। जैव विविधता संरक्षण के लिए घड़ियाल और कछुओं का जलावतरण किया गया। 145 नदियों के उद्म क्षेत्रों को चिन्हित कर हरित विकास के लिए योजना तैयार की गई है। अविरल निर्मल नर्मदा योजना में 5600 हेक्टेयर में पौधरोपण शुरू कर दिया गया है। वन्य जीवों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 2500 से अधिक तालाब, स्टॉप डैम का निर्माण हुआ है। पौधरोपण के लिए करीब 6 करोड़ पौधों की नर्सरी विकसित की गई है। 1200 करोड़ लागत की 91 वॉटरशेड परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।  इससे 5.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा मिलेगी। 9000 से अधिक जल संरक्षण संरचनाओं के जरिए किसानों को 1 वर्ष में दो से तीन फसलों का लाभ मिलने लगा है।