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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 21 जुलाई 2025 (19:08 IST)

भारत के इन राज्यों में अल्पसंख्यक हैं हिंदू? जानिए देश के किस राज्य में सबसे कम है हिन्दू आबादी

हिंदू अल्पसंख्यक राज्य
States where hindus are in minority: भारत को अक्सर एक हिंदू-बहुल राष्ट्र के रूप में देखा जाता है, जहाँ हिंदू समुदाय सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। हालाँकि, यह एक विशाल और विविध देश है, जहाँ धार्मिक और भाषाई विविधता इसकी पहचान का अभिन्न अंग है। राष्ट्रीय स्तर पर हिंदू बहुसंख्यक होने के बावजूद, भारत के कुछ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे भी हैं जहाँ हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक है। यह तथ्य भारत की अनूठी जनसांख्यिकीय संरचना को दर्शाता है और धार्मिक अल्पसंख्यकों की अवधारणा पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

जनगणना 2011 के अनुसार हिंदू अल्पसंख्यक राज्य
जनगणना 2011 के आँकड़ों के अनुसार, भारत के आठ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हिंदू समुदाय अल्पसंख्यक है। ये क्षेत्र मुख्य रूप से ईसाई या मुस्लिम बहुल हैं, और यहाँ की जनसांख्यिकी राष्ट्रीय औसत से काफी भिन्न है:
1. मिजोरम: यहाँ हिंदू आबादी सबसे कम है, लगभग 2.75%। यह राज्य ईसाई बहुल है।
2. नगालैंड: इस पूर्वोत्तर राज्य में हिंदू जनसंख्या लगभग 8.75% है। यह भी ईसाई बहुल राज्य है।
3. मेघालय: मेघालय में हिंदू समुदाय की आबादी लगभग 11.53% है, और यहाँ ईसाई धर्म के अनुयायी बहुसंख्यक हैं।
4. जम्मू-कश्मीर: अविभाजित जम्मू-कश्मीर (2011 जनगणना के अनुसार) में हिंदू आबादी लगभग 28.44% थी, जबकि मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक था।
5. अरुणाचल प्रदेश: इस राज्य में हिंदू आबादी लगभग 29.04% है, जहाँ ईसाई और स्थानीय जनजातीय धर्मों के अनुयायी भी बड़ी संख्या में हैं।
6. पंजाब: पंजाब में हिंदू आबादी लगभग 38.49% है, जबकि सिख समुदाय बहुसंख्यक है।
7. मणिपुर: मणिपुर में हिंदू आबादी लगभग 41.39% है, जबकि ईसाई समुदाय की आबादी भी लगभग 41.29% है। यहाँ दोनों समुदायों के बीच लगभग बराबरी का अनुपात है।
8. लक्षद्वीप: यह केंद्र शासित प्रदेश मुस्लिम बहुल है, जहाँ हिंदू आबादी महज 2.77% है।
इन आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि भारत की धार्मिक संरचना केवल राष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर भी काफी विविध है।

जनसांख्यिकीय परिवर्तन और इसके कारण
कई प्रदेशों की कुल आबादी में हिंदुओं का अनुपात तेजी से कम हुआ है, जबकि कुछ अन्य समुदायों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। इन जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
  • ऐतिहासिक और भौगोलिक कारक: पूर्वोत्तर के कई राज्यों में ईसाई धर्म का प्रसार ब्रिटिश काल से शुरू हुआ और स्वतंत्रता के बाद भी जारी रहा, खासकर जनजातीय समुदायों के बीच। जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप में मुस्लिम आबादी की ऐतिहासिक जड़ें गहरी हैं।
  • प्रजनन दर: विभिन्न धार्मिक समुदायों की प्रजनन दरों में अंतर भी जनसांख्यिकीय बदलावों में भूमिका निभाता है।
  • प्रवासन: आंतरिक और बाहरी प्रवासन भी किसी क्षेत्र की धार्मिक संरचना को प्रभावित कर सकता है।
  • धर्मांतरण: कुछ क्षेत्रों में धर्मांतरण भी एक कारक हो सकता है, हालांकि इसका प्रभाव आमतौर पर सीमित होता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 'अल्पसंख्यक' की परिभाषा भारत में राष्ट्रीय स्तर पर तय की गई है, जिसके तहत मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। हालाँकि, कुछ राज्यों में, जहाँ हिंदू समुदाय संख्या में कम है, वहाँ उन्हें राज्य-स्तरीय अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग भी उठती रही है, ताकि वे अल्पसंख्यक समुदायों को मिलने वाले लाभों का उपयोग कर सकें।