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Last Updated : शनिवार, 28 जून 2025 (01:06 IST)

भगवान बलभद्र का रथ फंसा, पुरी रथयात्रा के दौरान 600 से ज्यादा लोग घायल

Jagannath Rath Yatra
Lord Jagannath Rath Yatra in Puri: ओडिशा के पुरी में शुक्रवार को आयोजित विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के दौरान भीषण गर्मी और भीड़भाड़ के कारण करीब 625 लोग बीमार पड़ गए और कई लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा। उल्लेखनीय है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान पुरी में जनसैलाब उमड़ा हुआ है। 
 
पुरी के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) डॉ. किशोर सतपथी ने बताया कि कई लोगों ने मामूली चोटें, उल्टी और बेहोशी की शिकायत की है और इसका मुख्य कारण भीड़भाड़ की स्थिति थी। उन्होंने कहा कि अधिकांश लोगों को ओपीडी में प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। कोई हताहत नहीं हुआ। ALSO READ: अहमदाबाद में जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान बेकाबू हुआ हाथी, वीडियो वायरल
 
गर्मी और उमस का असर : ओडिशा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा कि श्रद्धालुओं के बीमार होने का मुख्य कारण अत्यधिक गर्मी और उमस है। एक अधिकारी ने बताया कि पुरी के जिला मुख्यालय अस्पताल में करीब 70 लोगों का इलाज चल रहा है, जिनमें से 9 की हालत गंभीर बताई गई है। ALSO READ: जगन्नाथ रथ यात्रा में उमड़ा भक्तों का सैलाब, राष्ट्रपति और PM मोदी ने दी शुभकामनाएं
 
भगवान बलभद्र का रथ फंसा : इस बीच, सूत्रों ने दावा किया कि बालागंडी क्षेत्र के पास कई लोग घायल हो गए, जहां भगवान बलभद्र का रथ, तलध्वज, एक घंटे से अधिक समय तक फंसा रहा। एक अधिकारी ने कहा कि लंबे समय तक रथ के रुके रहने के कारण वहां भीड़ जमा हो गई, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग फंस गए और भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से बाहर निकलने की कोशिश करते समय घायल हो गए।

हजारों लोगों ने खींचा भगवान का रथ : ओडिशा के पुरी में शुक्रवार को रथ यात्रा उत्सव का मुख्य भाग शुरू होने के साथ ही हजारों लोगों ने भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के रथों से जुड़ी रस्सियों को श्री गुंडिचा मंदिर की ओर खींचा। श्री गुंडिचा मंदिर, 12वीं सदी के भगवान जगन्नाथ मंदिर से करीब 2.6 किलोमीटर दूर है। राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथों को खींचने वालों में शामिल थे।
 
‘जय जगन्नाथ’ और ‘हरि बोल’ के उद्घोष तथा झांझ-मंजीरे, तुरही और शंख की ध्वनि के बीच सबसे पहले शाम चार बजकर आठ मिनट पर भगवान बलभद्र का ‘तालध्वज’ रथ आगे बढ़ा। इसके बाद देवी सुभद्रा का ‘दर्पदलन’ रथ और अंत में भगवान जगन्नाथ का ‘नंदीघोष’ रथ रवाना हुआ। जब यात्रा शहर के ग्रैंड रोड से होकर गुजर रही थी और भक्त रथ खींच रहे थे, तब पुजारियों ने उन (रथ) पर सवार देवताओं को घेर लिया। हजारों लोगों ने रथ खींचे, जबकि लाखों अन्य लोग भी उत्सव में हिस्सा लेने के लिए पुरी के इस प्रसिद्ध मंदिर शहर पहुंचे हैं। अधिकारियों ने बताया कि वार्षिक रथ उत्सव में शामिल होने के लिए शहर में लगभग दस लाख भक्तों के एकत्र होने का अनुमान है।
 
पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब द्वारा तीनों रथ पर ‘छेरापहंरा’ (रथों की सफाई) की रस्म पूरी करने के बाद रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। भक्तों द्वारा खींचे जाने से पहले तीनों रथ पर अलग-अलग रंगों के लकड़ी के घोड़े लगाए गए। इससे पहले, शुक्रवार को यहां दो घंटे से अधिक समय तक चली औपचारिक ‘पहांडी’ रस्म के बाद भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ अपने-अपने रथों पर सवार हुए। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala