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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 31 मई 2025 (16:59 IST)

कौन करते हैं पाकिस्तान में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा, जानिए हिन्दुओं से मेल खाती इस जनजाति की दिलचस्प कहानी

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kalash tribe of pakistan: पाकिस्तान का नाम सुनते ही अक्सर हमारे मन में कुछ और ही छवियाँ उभरती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी देश के भीतर एक ऐसी प्राचीन जनजाति भी है जो हिंदू देवी-देवताओं से मिलते-जुलते देवताओं की पूजा करती है? यह है कलाश जनजाति, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित हिंदूकुश के ऊँचे पहाड़ों से घिरी घाटियों में रहती है। यह सिर्फ एक जनजाति नहीं, बल्कि एक चलती-फिरती विरासत है जो हमें सदियों पुराने इतिहास और संस्कृति से जोड़ती है।

हिंदूकुश में छिपी कलाश जनजाति
पाकिस्तान के इस सुदूर, दुर्गम क्षेत्र में रहने वाली कलाश जनजाति सदियों से अपनी अनूठी परंपराओं और मान्यताओं को संजोए हुए है। भले ही ये लोग खुद को हिंदू न कहें, लेकिन उनके देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और पूजा पद्धतियाँ प्राचीन हिंदू धर्म से काफी मिलती-जुलती हैं। कहा जाता है कि ये आर्यो की मूल जाति भी है। उनकी आस्था प्रकृति, पूर्वजों और विभिन्न स्थानीय देवताओं में है, जिनमें से कई का स्वरूप और कार्य हिंदू देवी-देवताओं से मेल खाता है। यह अपने आप में एक चौंकाने वाली बात है कि एक मुस्लिम बहुल देश में, जहाँ अल्पसंख्यक हिंदू अक्सर भेदभाव का सामना करते हैं, वहीं यह जनजाति अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है।

कलाश: सिकंदर से जुड़ा एक अनसुलझा रहस्य
कलाश जनजाति का संबंध अक्सर सिकंदर महान से जोड़ा जाता है। हिंदूकुश पहाड़ों को लेकर एक पुरानी मान्यता है कि जब सिकंदर की इस इलाके में जीत हुई थी, तो इसे यूनानी भाषा में 'कौसोश इंदिकोश' यानी 'हिंदुस्तानी पर्वत' के नाम से जाना जाने लगा। कुछ लोग मानते हैं कि कलाश जनजाति सिकंदर के सैनिकों की ही वंशज है, जो यहाँ पीछे छूट गए थे। हालांकि, इतिहासकारों का मानना है कि इस जनजाति का अस्तित्व सिकंदर के आने से पहले से था, लेकिन उनके सिपाहियों की वजह से उनकी नस्ल में मिलावट ज़रूर हुई होगी। यह रहस्य आज भी अनसुलझा है, लेकिन यह कलाश जनजाति के इतिहास में एक दिलचस्प आयाम जोड़ता है।

 
कलाश समाज: खूबसूरती, परंपरा और एक अनोखी जीवनशैली
कलाश जनजाति की महिलाएँ अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं। उनकी रंग-बिरंगी वेशभूषा और पारंपरिक आभूषण उन्हें एक अलग पहचान देते हैं। इस जनजाति में महिला प्रधान समाज की झलक दिखती है, जहाँ महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पुरुषों में शराब का शौक आम है और यहाँ तक कि महिलाएँ भी शराब का सेवन करती हैं, जो आमतौर पर पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में देखने को नहीं मिलता। मनोरंजन के लिए ये लोग बाँसुरी और ड्रम बजाते हैं, जिससे उनकी संस्कृति में संगीत का महत्व साफ झलकता है।

कितनी है कलाश समाज की जनसंख्या
पाकिस्तान की जनगणना के अनुसार, इस जनजाति की जनसंख्या लगभग 4000 के आसपास है, जो इसे एक बहुत छोटी लेकिन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक इकाई बनाती है। अपनी विशिष्ट भाषा, रिवाज़ और मान्यताओं के साथ, कलाश जनजाति का अस्तित्व हमें इतिहास के पन्नों को पलटने पर मजबूर करता है।
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