नई दिल्ली। कुलभूषण जाधव के मामले में भारत को एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय सफलता मिली है। पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने भारतीय नागरिक जाधव को कथित तौर पर 'जासूसी करने' और 'विध्वंसक गतिविधियां चलाने' के आरोप में 4 अप्रैल को जो फांसी की सजा सुनाई थी, उस पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने रोक लगा दी है। कुलभूषण जाधव से जुड़ा पूरा घटनाक्रम...
24 मार्च, 2016 : को कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार बताया गया जबकि उनको पकड़े जाने की खबर 3 मार्च को ही मिल गई थी लेकिन उनकी गिरफ्तारी की आधिकारिक घोषणा 24 मार्च को की गई। पाकिस्तानी सेना ने जाधव के रॉ का एजेंट होने का दावा किया। बलूचिस्तान के गृह मंत्री सरफराज बुगती ने मार्च में ही घोषणा की कि जाधव को बलूचिस्तान के सुदूर पूर्वी इलाके से पकड़ा गया है, वहीं पाकिस्तानी सेना की सैन्य इकाई इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के डीजी जनरल असीम बाजवा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जाधव को सारवान से पकड़ा गया था जो कि जाहीदान के दक्षिण-पूर्व में पाकिस्तान-ईरान सीमा पर स्थित है। दोनों स्थानों के बीच सड़क मार्ग से दूरी 868 किलोमीटर है।
26 मार्च 2016 : पाकिस्तान के विदेश विभाग ने भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया और बयान जारी किया। बयान के अनुसार, 'आज (शुक्रवार को) विदेश सचिव ने भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया और एक डिमार्शे (राजनयिक कार्रवाई) के जरिए बताया कि एक रॉ अधिकारी ने पाकिस्तान में गैरकानूनी रूप से प्रवेश। उसकी बलूचिस्तान और कराची में विध्वंसकारी गतिविधियों में कथित संलिप्तता को लेकर अपना विरोध जताया और गहरी चिंता व्यक्त की।'
जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि 'बताए गए शख्स (कुलभूषण जाधव) का सरकार से कोई संबंध नहीं है क्योंकि उन्होंने समय से पहले ही भारतीय नौसेना से रिटायरमेंट ले लिया था। (आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2002 में ही जाधव ने भारतीय नौसेना से रिटायरमेंट ले लिया थी और तब से वे ईरान के चाबहार बंदरगाह से कार्गों का बिजनेस कर रहे थे)।
भारत ने राजनयिक प्रयासों के जरिए जाधव तक पहुंचने की अनुमति मांगी, लेकिन भारत को अनुमति नहीं दी गई। जबकि भारतीय प्रवक्ता का कहना था कि 'किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों में दखल देने में भारत की कोई रुचि नहीं है और हमें यकीन है कि स्थिर और शांतिपूर्ण पाकिस्तान पूरे क्षेत्र के हित में है, लेकिन इस स्पष्टीकरण के बावजूद भारत को जाधव तक पहुंच की इजाजत नहीं दी गई।
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29 मार्च 2016 : जाधव के एक इकबालिया बयान का एक वीडियो पाकिस्तान सरकार ने जारी किया। वीडियो में उन्हें यह कहते हुए देखा जा सकता है कि वे भारतीय नौसेना के अधिकारी हैं और रॉ के लिए काम करते हैं। उनकी गिरफ्तारी और घोषणा के बीच करीब तीन हफ्ते का अंतराल और कुछ अन्य कारकों ने भारतीय अधिकारियों के सामने वीडियो की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े किए। भारत सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने शायद जाधव को टॉर्चर कर या उस पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल कर उससे इकबालिया बयान लिया हो।
अप्रैल 2016 : बलूचिस्तान की सरकार ने जाधव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जिसमें आतंकवाद और विध्वंस के कामों में लिप्त होने के आरोप लगाए गए।
7 दिसंबर 2016 : जांच के दौरान विदेश मामलों में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने सीनेट चैंबर से कहा कि जाधव के विषय में दिया गया डॉजियर में केवल कुछ बयान भर हैं और उस पर पर्याप्त सबूत नहीं दिए गए हैं। हालांकि उन्होंने जाधव के रॉ एजेंट होने के आरोपों से इनकार नहीं किया और सबूतों के अभाव में मामले को पाकिस्तानी अधिकारियों के लिए छोड़ दिया ताकि वे जाधव के विषय में और जानकारी इकट्ठा कर सकें।
3 मार्च 2017 : अजीज अपने पुराने बयान से पलट गए कि जाधव को लेकर पर्याप्त सबूत नहीं हैं। पाकिस्तानी सीनेट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जाधव को किसी भी हालत में भारत प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा।
4 अप्रैल 2017 : एक गुप्त सुनवाई में जाधव को मौत की सजा सुनाई गई। आईएसपीआर ने जाधव की मौत की सजा के विषय में आधिकारिक बयान जारी किया।
पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के मुताबिक फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने जाधव को मौत की सजा सुनाई और पाक आर्मी चीफ ने इसकी पुष्टि भी कर दी। यानी जाधव को 90 दिन के भीतर फांसी की सजा दी जानी है।
आईएसपीआर ने पिछले साल एक वीडियो जारी किया था, जिसे उसने जाधव का कबूलनामा बताया था। जाधव को इसी कबूलनामे के आधार पर पाक उसे भारतीय जासूस बता रहा है जबकि भारत ने साफ कर दिया है कि जाधव नौसेना में जरूर था लेकिन वे यह नौकरी छोड़कर ईरान से व्यापार करने लगा था और पाक एजेंसियों ने उसका वहीं से अपहरण किया है।
9 मई : कुलभूषण जाधव के मामले में भारत को एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय सफलता मिली है। पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने भारतीय नागरिक जाधव को कथित तौर पर 'जासूसी करने' और 'विध्वंसक गतिविधियां चलाने' के आरोप में 4 अप्रैल को जो फांसी की सजा सुनाई थी, उस पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने रोक लगा दी है। फांसी की सजा पर यह रोक अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने भारत की अपील पर लगाई है।
पाकिस्तान कर रहा है यह दावा : पाक का दावा है कि कुलभूषण जाधव भारतीय नौसेना में सेवारत अफसर है और कमांडर है। वे नौसेना के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से हैं और उनका कवर नाम हुसैन मुबारक पटेल था जो उसने भारतीय एजेंसियों के लिए खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए अपनाया था। पाक का दावा है कि कुलभूषण ने 1987 में नेशनल डिफेंस अकेडमी जॉइन की और उसके बाद जनवरी 1991 में उसने इंडियन नेवी में नौकरी शुरू की।
दिसंबर 2001 में जब संसद पर हमला हुआ तो कुलभूषण ने अपनी सेवाएं खुफिया सूचनाएं जुटाने के लिए देना शुरू कर दीं। पाक दावा कर रहा है कि कुलभूषण मुंबई में रहते हैं और अब भी वे नौसेना में सेवारत अफसर है जो 2022 तक रिटायर होंगे।
जाधव ने लिया रॉ के ज्वाइंट सेक्रेटरी का नाम : पाक के मुताबिक जाधव ने ईरान के चाबहार में एक छोटा बिजनेस शुरू किया था, वह इसी मकसद से किया गया था ताकि वह भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम कर सके। जाधव 2003 और 2004 में रॉ के मिशन को पूरा करने के लिए कराची भी आया था। पाक ने जो कबूलनामा जारी किया है उसके मुताबिक जाधव 2013 में रॉ द्वारा चुना गया और तब से वह बलूचिस्तान और कराची में एजेंसी से लिए कई मिशन पूरे कर चुका है। वीडियो में जाधव कहता दिख रहा है कि वह रॉ में संयुक्त सचिव अनिल कुमार गुप्ता को सीधे रिपोर्ट करता है और गुप्ता के पाक खासकर बलूचिस्तान छात्र संगठन में अच्छे संबंध हैं।
ईरान से पाक में घुसते वक्त गिरफ्तार : वीडियो में कुलभूषण के हवाले से कहा जा रहा है कि भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ बलूच आंदोलन को पैसा मुहैया करा रही है और इन आंदोलनकारियों की मदद से पाकिस्तान में देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रही है जिससे पाकिस्तानी नागरिकों की जानमाल का नुकसान हो रहा है। कुलभूषण ने इस कथित कबूलनामे में अपने पकड़े जाने की भी कहानी बताई। उसने कहा कि वह 3 मार्च 2016 को सारवान सीमा से ईरान से पाक में घुसने की कोशिश कर रहा था तभी पाक अधिकारियों ने उसे पकड़ लिया।
उसने बताया कि वह बलूचिस्तान के अलगाववादियों के साथ मीटिंग करने और उन्हें भारतीय एजेंसियों के संदेश पहुंचाने के लिए पाकिस्तान आ रहा था। इस वीडियो में कुलभूषण खुद को रॉ का जासूस बता रहा है, लेकिन पाक एजेंसियों की जमकर तारीफ कर रहा है कि उन्होंने उसके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया और उसके साथ बर्ताव में उसे उचित सम्मान दिया।
सरताज अजीज ने कहा था, जाधव के खिलाफ सबूत नहीं : दिसंबर में ही खबर आई थी कि पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने एक मीटिंग में माना था कि कुलभूषण जाधव के खिलाफ पाक सरकार और एजेंसियों के पास पुख्ता सबूत नहीं हैं। पाकिस्तानी टीवी चैनल जिओ न्यूज ने खबर दी थी कि अजीज ने सीनेट चेंबर में सांसदों को ब्रीफ करते हुए साफ कहा था कि जाधव ने कबूलनामे के अलावा उसके खिलाफ हमारे पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है। अजीज ने यह भी कहा था कि भारत को दिए जाने वाले डोजियर में जो सबूत हमने रखे हैं, वे काफी नहीं हैं। अब एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे जाधव के खिलाफ सबूत जुटाने में कितना वक्त लगाती हैं।
क्या है भारतीय पक्ष :
कबूलनामे पर प्रश्नचिन्ह? : पाक ने जाधव के कबूलनामे का जो वीडियो जारी किया है उस पर भी विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि तकरीबन छ: मिनट के इस वीडियो में करीब 102 कट हैं। वीडियो को देखकर कई जगह ऐसा लगता है कि कुलभूषण अपनी मर्जी से कुछ बोलने की बजाय सामने टेलीप्रिंटर पर लिखा कुछ पढ़ रहा है। इसीलिए कुलभूषण का वह वीडियो कबूलनामा नहीं बल्कि दबाव डालकर दिलवाया गया बयान ज्यादा साबित हुआ है। हालांकि पाक इस मुद्दे पर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। भारत ने कई बार पाकिस्तान से कुलभूषण से मिलने देने की अपील की है लेकिन पाकिस्तान ने इसकी इजाजत भारतीय एजेंसियों को नहीं दी।
नेवी में था कुलभूषण, मुंबई में रहने की बात भी सही : भारत ने कुलभूषण जाधव के भारतीय नागरिक होने या फिर नेवी में नौकरी करने पर कोई सवाल नहीं उठाया लेकिन उसका कहना है कि जाधव नेवी की नौकरी छोड़ने के बाद ईरान में अपना बिजनेस शुरू कर चुका था जिसके उसके पास वैध दस्तावेज हैं। कुलभूषण जाधव ने वीडियो में खुद को मुंबई का निवासी बताया था। बताया जाता है कि उसे 2014 में ही एक पासपोर्ट मुंबई के ठाणे से इश्यू हुआ था जिसमें ओल्ड मुंबई-पुणे रोड का एक पता दर्ज है। बताया जाता है कि यहां के एक कॉप्लेक्स के जिस फ्लैट में जाधव रहते थे वह उनकी मां के नाम रजिस्टर्ड है।
- भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक जाधव कानूनी तौर पर ईरान में अपना व्यापार करते थे। उन्हें जबरन हिरासत में लेकर परेशान किया गया। भारत ने कहा था कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया और पाकिस्तान यह बताने में नाकाम रहा कि वे पाकिस्तान कैसे पहुंचे।
- भारत ने पाकिस्तान में भारतीय एम्बेंसी के अफसरों की जाधव से मुलाकात करवाने की 13 बार इजाजत मांगी थी, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने भारत की इस मांग को ठुकरा दिया था। पाकिस्तान सैन्य अदालत ने जाधव को देश के खिलाफ 'जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल' होने का दोषी बताया।
- पिछले सोमवार को अचानक पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा 46 साल के कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुना दी गई। इस फैसले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि अगर न्याय के मूलभूत सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय नियमों को दरकिनार कर जाधव को मौत की सजा दी गई तो इसे उनकी सुनियोजित हत्या समझा जाएगा।
- वहीं भारत सरकार ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत के इस फैसले के विरोध में बुधवार को 11 पाकिस्तानी कैदियों को रिहाई नहीं करने का फैसला किया है।
- फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल (FGCM) द्वारा सभी आरोपों में दोषी पाए जाने पर कुलभूषण जाधव की सजा के बाद आशंका है कि पहले से ही तनावपूर्ण भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में अब और ज्यादा कड़वाहट आ सकती है।
- पाकिस्तानी सेना के कानून के तहत आए इस फैसले पर 90 दिनों के भीतर अमल होना तय है। जाधव की फांसी पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के मुहर लग जाने के बाद इस फैसले के खिलाफ अपील की कोई गुंजाइश नहीं है। फिलहाल भारत सरकार इस फैसले के खिलाफ हर संभव कोशिश करने की बात कह रही है।
-पिछले कई दिनों से यह मामला भारतीय संसद में गूंज रहा है। इस मामले पर बयान देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि अगर कुलभूषण जाधव को फांसी हुई तो भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों पर विपरीत असर पड़ेगा। जाधव केवल अपने मां-बाप के बेटे नहीं, बल्कि पूरे हिन्दुस्तान के बेटे हैं।
-इतना ही नहीं, सुषमा ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुआ कहा है कि अगर जाधव को फांसी हुई तो पाकिस्तान को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। सुषमा ने आगे कहा कि ‘हिंदुस्तान को इस बेटे को बचाने के लिए अच्छा वकील खड़ा करना तो बहुत छोटी बात है, हम राष्ट्रपति तक भी बात करेंगे।’उन्होंने सदन में आश्वासन दिया है कि वे जाधव को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा है कि भारत इस सजा की पुरजोर शब्दों में निंदा करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत इस मसले पर किसी भी हद तक जाने को तैयार है। भारत कुलभूषण के लिए हरसंभव प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में न्याय के सिद्धांतों की अनदेखी हुई है और कुलभूषण को बचाव के लिए वकील तक मुहैया नहीं कराया गया।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में कहा कि ‘अगर उन्हें फांसी होती है तो हम इसे सोचा- समझा मर्डर कहेंगे।’सरकार को घेरते हुए खड़गे ये भी कह दिया कि अगर उसे बचा नहीं पाए तो यह सरकार की कमज़ोरी मानी जाएगी।
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी कुलभूषण जाधव के मामले पर कहा है कि सरकार को अपनी विशेष ताक़त का इस्तेमाल कर उन्होंने वापस भारत लाना चाहिए। फिलहाल सरकार की प्राथमिकता जाधव की ज़िंदगी बचाना ही होनी चाहिए। ओवैसी ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए पाकिस्तान सेना की अदालत को ‘बनाना कोर्ट’ कहा।
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कठोर कार्रवाई की सिफारिश करते हुए कहा है कि भारत को बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे देना चाहिए और भारत में रहने वाले बलूचों से निर्वासन में सरकार बनाने का आग्रह करना चाहिए।
और पांच जासूसों की गिरफ्तारी का दावा : पाकिस्तान में भारत के कथित जासूस कुलभूषण जाधव को जहां मौत की सजा सुनाए जाने के बाद सेना का गुणगान जारी है। पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ से जुड़े पांच और आतंकवादियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है जबकि पाकिस्तान में जादव को तुरंत फांसी देने की मांग की जा रही है।
इस बीच पाकिस्तानी अर्धसैनिक बल रेंजर्स के सिंध प्रांत के प्रवक्ता कर्नल कैसर खान ने बुधवार (12 अप्रैल) को कराची में एक कांफ्रेंस बुलाकर यह दावा किया। उन्होंने कराची के पास मवाछ गोठ के इलाके में छापे के दौरान पांच संदिग्धों की गिरफ्तारी को बड़ी कामयाबी बताया और दावा किया कि कराची को एक बड़ी तबाही से बचा लिया गया है।
पाकिस्तानी अखबार ‘नेशन’ की खबर के मुताबिक सिंध रेंजर्स के प्रवक्ता कर्नल कैसर खान ने बताया, 'ये आतंकवादी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ और अफगान खुफिया एजेंसी एनडीएस का नेटवर्क चला रहे थे।' उन्होंने इन लोगों के पास से आठ किलो विस्फोटक, एक आत्मघाती जैकेट, चार हैंड ग्रेनेड, चार बोलत बम, 20 मीटर डेटोनेटर कोर्ड, तीन डेटोनेटर और कई दूसरे हथियार भी बरामद करने का दावा भी किया।
भारत में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध : सिंध रेंजर्स ने कहा कि ये गिरफ्तारियां आतंकवादियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन ‘रद्द उल फसाद’ के तहत हुई हैं। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख कमर बाजवा ने पद संभालने के बाद ही इस अभियान का एलान किया था, जबकि इससे पहले जनरल राहील शरीफ के दौर में ऑपरेशन ‘जर्ब ए अज्ब’ की बहुत चर्चा होती थी और आतंकवादियों की कमर तोड़ देने के दावे किए जाते थे, लेकिन पाकिस्तान में एक के बाद एक हुए हालिया हमले बताते हैं कि पाकिस्तानी सेना और सरकार के दावे कितने खोखले हैं।
‘डॉन’ की रिपोर्ट में बुधवार को रेंजर्स के छापों में गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम दिए गए हैं जिनमें बिलाल अहमद, ताहिर जमान, मोहम्मद नवाज, मोहम्मद फरहान सिद्दीकी और मोहम्मद मशहादी शामिल हैं। इन सभी लोगों का संबंध उपमहाद्वीप में सक्रिय अल कायदा की शाखा से बताया गया है और यह भी कहा गया है कि इन लोगों ने अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ली थी।
पाकिस्तानी अखबार ‘ट्रिब्यून’ ने पाकिस्तानी रेंजर्स के सिंध मुख्लालय की तरफ से जारी किए गए पूरे बयान को अपनी खबर में प्रकाशित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कुछ स्थानीय लोगों की तरफ से दी गई जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई गई।
जल्द से जल्द फांसी दो : दूसरी तरफ, पाकिस्तान में कुलभूषण को मौत की सजा दिए जाने पर अब भी सेना की शान में कसीदे पढ़े जा रहे हैं। साथ ही यह चिंता भी उभर रही है कि कहीं पाकिस्तान इस मुद्दे पर किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने न झुक जाए। उर्दू अखबार ‘औसाफ’ के संपादकीय से इसकी साफ झलक मिलती है, जो लिखता है कि पाकिस्तान को भारतीय जासूस के मुद्दे पर अमेरिका या भारत समेत किसी का भी दबाव कबूल नहीं करना चाहिए।
अखबार के मुताबिक भारत अपने जासूस को मिली सजा के बाद अमेरिका समेत अन्य देशों के जरिए पाकिस्तान पर दबाव डालने और फैसले को बदलवाने के लिए लॉबिंग कर रहा है। कुलभूषण को फांसी दिए जाने पर खतरनाक नतीजे भुगतने की सरहद पार से आने वाली चेतावनी पर अखबार का कहना है कि पाकिस्तान को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।
वहीं रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ लिखता है कि कुलभूषण ने गंभीर जुर्म किए हैं और उसे सजा मिलनी ही चाहिए। अखबार के मुताबिक अगर भारत ने अपने एजेंट का मामला विश्व स्तर पर उठाया तो पाकिस्तान अपना भरपूर बचाव करने की पूरी क्षमता रखता है, इसलिए भारत को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए, वहीं ‘नवा ए वक्त’ ने कुलभूषण को जल्दी से जल्दी फांसी देने की वकालत करते हुए लिखा है कि जितनी देर तक वह जिंदा रहेगा, उतनी देर तक भारत को दुनिया भर में पाकिस्तान के खिलाफ जहरीला दुष्प्रचार करने का मौका मिलता रहेगा।
अखबार लिखता है कि अगर कुलभूषण की मौत की सजा पर अमल नहीं हुआ, तो जो आज पाकिस्तान की मजबूती है, वह कमजोरी में तब्दील हो जाएगी। अखबार लिखता है कि दुश्मन के साथ किसी तरह की नरमी करना उसे फलने फूलने का मौका देने के बराबर है। जबकि दूसरी ओर भारत में सरकारी सूत्रों का कहना है कि कुलभूषण जाधव को बचाने के लिए शीर्ष स्तरीय प्रयास किए जा रहे हैं और इस मामले पर भारत-पाक वार्ता भी शुरू हो सकती है।