मणिपुर में हिंसा के कारण स्थानीय क्रिकेटरों ने नैट प्रैक्टिस के लिए किया नागालैंड का रुख
उत्तर क्षेत्र जैसी मजबूत टीम के खिलाफ दो विकेट लेना किसी भी युवा गेंदबाज के चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकता है लेकिन Manipur मणिपुर के 17 वर्ष के गेंदबाज जतिन सिंह jatin Singh के लिये अपने प्रदेश में जारी जातीय हिंसा को भुलाकर खेल पर फोकस करना आसान काम नहीं है।मणिपुर में Kuki कुकी और मैतेई Meitie के बीच चल रहे जातीय संघर्ष में कई जाने जा चुकी हैं।
वहां तनाव थमने का नाम ही नहीं ले रहा और ऐसे में अगले तीन दिन पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये दलीप ट्रॉफी में खेल रहे जतिन के सामने बड़ी चुनौती इन हालात पर से ध्यान हटाकर खेल पर फोकस करने की भी है।पहले दिन दो विकेट लेने वाले जतिन ने कहा , घर पर हालात बहुत खराब है।कर्फ्यू और बाकी पाबंदियां हैं । सभी यह समाचार में देख ही रहे हैं।
नेट प्रैक्टिस के लिए मणिपुर की जगह नागालैंड रवानादलीप ट्रॉफी के लिये चुने गए मणिपुर के क्रिकेटरों को अभ्यास के लिये नगालैंड के दीमापुर जाना पड़ा था।जतिन ने कहा , मणिपुर में कर्फ्यू होने के कारण इम्फाल में अभ्यास करना संभव नहीं था तो हम नगालैंड गए । इतने बड़े टूर्नामेंट के लिये यह तैयारी काफी नहीं थी क्योंकि हम दो सप्ताह ही अभ्यास कर सके लेकिन क्या किया जा सकता है।
जतिन के पिता रोहिंद्रू ने घर पर ही नेट लगा रखा है चूंकि वह अपनी क्रिकेट अकादमी चलाते हैं।इस गेंदबाज ने कहा , यह बड़ी अकादमी नहीं है लेकिन कम से कम घर पर कुछ अभ्यास तो कर सका।पूर्वोत्तर के एक और खिलाड़ी किशन सिंघा ने कहा , घर पर जो कुछ हो रहा है, हम उसे भुला नहीं सकते । लेकिन हम यहां खेलने आये हैं और अगर अच्छा खेले तो घर पर लोगों को खुश होने का मौका दे सकेंगे।
(भाषा)