गन्ने के कचरे से लिए जा सकेंगे अपराधियों के फिंगरप्रिंट्स, महज 50 रुपए आएगा खर्चा
जयपुर। पुलिस को किसी भी केस की जांच में दोषियों तक पहुंचने के लिए फिंगरप्रिंट्स की आवश्यकता मुख्य रूप से पड़ती है। घटनास्थल पर मिले फिंगरप्रिंट्स पुलिस को दोषी तक पहुंचाने में बहुत मदद करते हैं। लेकिन, फिंगरप्रिंट की जांच में इस्तेमाल होने वाले पाउडर का दाम बहुत ज्यादा होता है। केवल 10 ग्राम पाउडर के लिए 3850 रुपए चुकाने होते हैं। जयपुर के शोधकर्ताओं ने इस खर्च से निपटने का तरीका खोज निकाला है। उन्होंने गन्ने के कचरे से फिंगर प्रिंट लेने एक ऐसा तरीका खोजा है, जो बेहद किफायती और प्रभावशाली है। इस किट की कीमत मात्र 50 रुपए है।
जयपुर के शोधकर्ताओं के दल में चूरू निवासी विनय आसेरी भी है, जिनकी उम्र 20 साल है। उन्होंने बताया कि ये देश का सबसे सस्ता फिंगरप्रिंट जांचने का तरीका होगा। इस आविष्कार पर विवेकानंद विश्वविद्यालय के फॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट ने दावा किया है कि यह पाउडर पूरी तरह सुरक्षित है। इससे जांचकर्ताओं को फेंफड़ों की बीमारी भी नहीं होगी।
वर्तमान में पुलिस अपराधियों के फिंगरप्रिंट एक विशेष तरह की स्याही से लेती है, जो ज्यादा समय तक पन्नों पर नहीं टिक पाते। वहीं अगर इसकी तुलना चारकोल पाउडर से की जाए तो इस पर लिए हुए प्रिंट 50 साल से ज्यादा चलते हैं। लेकिन, चारकोल पाउडर का दाम पुलिस विभाग के लिए बड़ी समस्या है। इसका दाम भी ज्यादा है और 10 ग्राम पाउडर से केवल 5-7 आरोपियों के ही फिंगर प्रिंट लिए जा सकते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार इस आविष्कार से पुलिस विभाग का खर्च भी बचेगा और गन्ने के कचरे को फिर से उपयोग में भी लिया जा सकेगा। गन्ने के कचरे के फाइबर बहुत छोटे होते हैं, जिनसे बनाए गए पाउडर से फिंगरप्रिंट लेने की प्रक्रिया को आसान किया जा सकता है। वर्तमान में इस्तेमाल की जाने वाली किट विदेश से मंगाई जाती है, जिसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। इस रिसर्च को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मान्यता भी मिल गई है।