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Last Modified: गुरुवार, 4 जुलाई 2024 (13:53 IST)

बात के धनी किरोड़ीलाल मीणा, क्या इस्तीफे की कुछ और भी है वजह?

बात के धनी किरोड़ीलाल मीणा, क्या इस्तीफे की कुछ और भी है वजह? - Is there any other reason for Kirori Lal Meena resignation?
Rajasthan minister Kirori Lal Meena resigns: आम तौर पर नेता अपनी ही कही बात से पलट जाते हैं, लेकिन राजस्थान भाजपा के दिग्गज नेता और भजनलाल मंत्रिमंडल के सदस्य डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। कहा जा रहा है कि डॉ. मीणा ने लोकसभा चुनाव से पहले कहा था कि जिन सात सीटों की जिम्मेदारी उन्हें मिली है, उनमें से यदि भाजपा एक भी सीट हारती है तो व मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। डॉ. मीणा चुनाव के बाद अपनी बात से मुकरे नहीं और दावे के अनुरूप मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 
 
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि सिर्फ चुनावी हार ही डॉ. मीणा के इस्तीफे की प्रमुख वजह नहीं है। दरअसल, वे राजस्थान में मंत्रिमंडल गठन के बाद से ही असंतुष्ट नजर आ रहे थे। उन्हें कृषि मंत्रालय दिया गया था, जबकि वे और अच्छा मंत्रालय चाहते थे। उनकी पसंद का मंत्रालय नहीं मिलने के कारण भी उनमें नाराजगी थी। यह भी कहा जा रहा है‍ कि अपने भाई के लिए लोकसभा का टिकट चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उनकी यह मांग पूरी नहीं की थी।  ALSO READ: भजनलाल सरकार में मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का इस्तीफा, क्या है इसका लोकसभा चुनाव से कनेक्शन?
 
इन सीटों की मिली थी जिम्मेदारी : किरोड़ी लाल मीणा को लोकसभा चुनाव में दौसा, करौली-धौलपुर, सवाई माधोपुर-टोंक, भीलवाड़ा, जयपुर ग्रामीण और कोटा लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी मिली थी। उन्होंने दावा किया था कि यदि भाजपा इनमें से एक भी सीट हारती है तो वह मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि इनमें से 4 सीटों पर भाजपा की हार हुई थी। डॉ. मीणा के इस्तीफे की बात सामने आने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने 10 दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया था। 'मैं अपने वादों से मुकरता नहीं'। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर रामचरि‍तमानस की चौपाई भी लिखी- 'रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई'। 
 
कौन हैं किरोड़ी लाल मीणा : राजस्थान के दौसा जिले की महुआ तहसील के खोर्रा गांव में 1951 में जन्मे डॉ. किरोड़ी लाल मीणा पेशे से चिकित्सक हैं। छात्र जीवन से वे राजनीति में सक्रिय हो गए। 1985 में महुवा विधानसभा सीट से डॉ. मीणा पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1998 में बामनवास विधानसभा से, 2003 में सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीते। तत्कालीन मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में वे कैबिनेट मंत्री भी रहे।
 
इसी बीच, वसुंधरा के साथ रिश्तों में आई खटास के कारण उन्होंने भाजपा को बाय-बाय बोल दिया। 2008 में टोडाभीम से निर्दलीय विधायक बने। 2013 के विधानसभा चुनाव में वे पीए संगमा की पार्टी से जुड़ गए और 4 सीटों पर जीत दर्ज की। 10 साल बाद यानी 2018 में उनकी भाजपा में वापसी हुई। डॉ. मीणा की पत्नी गोलमा देवी भी विधायक रह चुकी हैं, वे अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में भी शामिल रहीं, लेकिन बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 
 
क्या भाजपा में सब कुछ ठीक है : डॉ. किरोड़ी लाल मीणा बाबा के इस्तीफे के बाद यह भी कहा जा रहा है कि राजस्थान भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। क्योंकि पिछले दिनों पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे ने सार्वजनिक रूप से अपना दर्द बयां किया था।

वसुंधरा ने पिछले महीने उदयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था-  सुंदर सिंह भंडारी जी ने राजस्थान में भैरोंसिंह जी सहित कितने ही नेताओं को आगे बढ़ाया। पर वफ़ा का वह दौर अलग था। तब लोग किसी के किए हुए को मानते थे, लेकिन आज तो लोग उसी उंगली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़कर वह चलना सीखते हैं। फिलहाल सिर्फ अटकलों का दौर है, लेकिन डॉ. मीणा का इस्तीफा राजस्थान की राजनीति पर क्या असर डालेगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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